Saturday, July 27, 2024
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आधुनिक उपकरण, आधुनिक तकनीक, फिर भी दरक रही जमीन!

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  • रैपिड प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को धरातल पर साकार करने के लिए भले ही एनसीआरटीसी अधिकारी जी तोड़ कोशिश कर रहे हो लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री और मेरठ वासियों का यह सपना 2024 तक पूरा हो पाएगा? 82 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर पर सिर्फ मेरठ में ही दिक्कत क्यों आ रही है यह अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा है।

दरअसल मेरठ में इस समय रैपिड और मेट्रो के लिए सुरंगों की खुदाई का काम जोरों से चल रहा है। दीपावली से दो दिन पूर्व ही गांधीबाग से बेगम पुल तक के बीच की सुरंग का ब्रेक थ्रू भी एमडी विनय सिंह की मौजूदगी में किया गया। विनय सिंह ने खुद दावा किया था कि 2024-25 तक वह इस कॉरिडोर पर प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के पूरे प्रयास करेंगे, लेकिन जिस प्रकार मेरठ में सुरंगों की खुदाई के समय जमीन धंसने की घटनाएं हो रही हैं

वह अपने आप में कई सवाल भी खड़े कर रही हैं। इस पूरे मामले में रैपिड अधिकारियों की दलील ही बड़ी अजीबो-गरीब है। नाम ना छापने की शर्त पर रैपिड से जुड़ी एक अधिकारी ने दलील दी कि जमीन धंसने की 100 वजह हो सकती हैं हम आपको कितनी वजह बताएं? वह कहती हैं कि खुद एनसीआरटीसी के हैवी लोडेड ट्रक यहां से गुजरते हैं, तो ये भी एक वजह हो सकती है। साथ ही साथ वह यह भी जोड़ देती हैं

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इसके अलावा भी 100 और वजह हो सकती हैं। इसके अलावा रैपिड के जब दूसरे अधिकारियों एवं मुख्य जनसंपर्क अधिकारी से बात करने की कोशिश की जाती है तो वह भी गेंद एक दूसरे के पाले में डाल देते हैं अथवा फोन डिस्कनेक्ट कर देते हैं। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि 30274 करोड रुपए के प्रोजेक्ट पर काम कर रही टीम में हर कोई अपनी जवाबदेही से बचना चाहता है।

वहीं, दूसरी ओर जब हमने इतिहासविद डॉ. अमित पाठक से इस संबंध में कुछ जानकारी चाही तो उन्होंने कहा कि यह सही है कि पुरानी दिल्ली में भी मेट्रो के लिए सुरंगों की खुदाई की गई, लेकिन वहां इक्का-दुक्का मामलों को छोड़ जमीन धंसने की घटनाएं उन्होंने नहीं सुनी। डॉ. अमित पाठक के अनुसार मेरठ में इमारतों में आ रहा क्रैक और धंस रही जमीन एक गंभीर विषय है, इस पर एनसीआरटीसी को मीडिया के जरिए लोगों को अवेयर करना चाहिए।

बताते चलें कि कैसरगंज में जमीन धंसने की घटना कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी रुड़की रोड पर मैसोनिक लॉज और इसके इर्द-गिर्द के हिस्से में जमीन धंस चुकी हैं। इसके साथ साथ ही बेगम पुल के रैपिड स्टेशन से थोड़ी दूरी पर सेंट जोसेफ इंटर कॉलेज की पूरी बाउंड्री वॉल गिर चुकी है उसके आगे की जमीन भी धंस चुकी है। इन सब के बावजूद एनसीआरटीसी कोई भी संतोषजनक स्पष्टीकरण देने को तैयार नहीं है।

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