- लोहियानगर क्षेत्र में हवा-पानी को प्रदूषित कर रहे कूड़े के पहाड़
- गांवड़ी में जनवरी से बंद पड़ा है कूड़ा निस्तारण प्लांट
- कूड़े के पहाड़ों की दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही संख्या
- निगम की ओर से कूड़ा निस्तारण को नहीं है कोई ठोस योजना
- कूड़ा न उठने से शहर बना कूड़ादान, उठ रही भयंकर सड़ांध
- हवा दूषित होने से गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे नागरिक
- निगम को एनजीटी की ओर से जारी किए जा चुके कई नोटिस
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: गांवड़ी में जनवरी माह से कूड़ा निस्तारण प्लांट बंद पड़ा है, जबकि लोहियानगर में कूड़ा निस्तारण प्लांट पूरी क्षमता से दो शिफ्टों में चलाए जाने के बावजूद दो तिहाई कूड़े को ही निस्तारित कर पा रहा है। जिसके चलते लोहियानगर डंपिंग ग्राउंड कूड़े के दर्जन भर पहाड़ बन चुके हैं, जिनकी संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। नगर निगम की ओर से कूड़ा निस्तारण के लिए कोई ठोस योजना न बनाए जाने के कारण एक ओर महानगर के विभिन्न क्षेत्रों में गंदगी के अंबार लगे हैं,
दूसरी ओर लोहियानगर क्षेत्र का भूजल और हवा प्रदूषित होने के कारण लोग बीमार पड़ रहे हैं, जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। हालांकि नगर निगम को एनजीटी की ओर से कई नोटिस भी जारी किए जा चुके हैं, लेकिन नगर निगम के अधिकारी मोहलत मांगकर हालात को बंद से बदतर बनाते जा रहे हैं।
नगर निगम के सफाईकर्मियों और निजी कंपनी के माध्यम से डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था के बीच इन दिनों शहर भर से लोहियानगर स्थित डंपिंग ग्राउंड में कूड़ा डाला जाता है। जिसके लिए 100 वर्ग फीट के 50 फीट तक गहरे गड्ढे खोदकर उनमें कूड़ा भरा जाता है। नगर निगम के अधिकारी यह मानते हैं कि नगर क्षेत्र से प्रतिदिन 900 से एक हजार टन कूड़ा निकल जाता है।
वहीं लोहियानगर में लगाए गए कूड़ा निस्तारण प्लांट की क्षमता केवल 30 टन कूड़ा प्रतिघंटा सेपरेट करने की है। प्लांट संचालन का काम देख रहे गोविंद बताते हैं कि सामान्य दिनों में इस प्लांट को 20 घंटे प्रतिदिन दो शिफ्टों में चलाकर 600 टन कूड़े का निस्तारण किया जाता है। वो बताते हैं कि जनवरी माह में जब गांवड़ी स्थित प्लांट चलता रहा, वह भी प्रतिदिन 300 टन कूड़े का निस्तारण करता था, लेकिन उसे बंद हुए 11 महीने गुजर चुके हैं।
इन दिनों लोहियानगर में प्रतिदिन निकलने वाले कूड़े से दो तिहाई तक ही निस्तारण हो पाने के कारण इस क्षेत्र में हर तरफ कूड़े के पहाड़ बनते जा रहे हैं। स्थिति यह बन चुकी है कि लोहियानगर क्षेत्र और आसपास की बस्तियों में बदबू के कारण लोगों का जीना मुहाल हो गया है। इन क्षेत्रों में भूजल भी प्रदूषित होता जा रहा है, जिसे पीने से और बदबूदार हवा में सांस लेने के कारण लोग बीमार हो रहे हैं, लेकिन नगर निगम की ओर से इस दिशा में कोई आदर्श योजना बनाकर राहत देने का काम नहीं किया जा सका है।
अभी हो रहा है 2021 के कूड़े का निस्तारण
नगर निगम की ओर से लगाए गए ब्लास्टिक सेपरेटर प्लांट का संचालन करने वाली कंपनी इनवाइरोन आॅर्गेनिक वर्क एंड सप्लायर्स के इंचार्ज गोविंद का कहना है कि लिगेसी वेस्ट को प्लांट के जरिये आरडीएफ फ्यूल बनाने, कम्पोस्ट बनाने और सीएनडी वेस्ट के जरिये गड्ढे आदि भरने के लिए तीन अलग-अलग प्रयोग के लिए सेपरेट किया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रेश वेस्ट को कल्चर के माध्यम से टीले बनाकर रखा जाता है।
जिसमें कीड़े पड़ने के बाद वह सेपरेटर प्लांट के लिए तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया में कई महीने का समय लगता है। उन्होेंने बताया कि इन दिनों वर्ष 2021 में एकत्र किए गए कूड़े के निस्तारण का काम किया जा रहा है। चूंकि हर दिन कम से कम 300 टन कूड़ा अतिरिक्त हो जाता है, इसलिए कूड़े के टीलों की संख्या बढ़ती चली जा रही है। उनका कहना है कि मंगतपुरा में करीब पांच लाख टन कूड़ा एकत्र है, जिसे निस्तारित करने में एक साल से अधिक का समय लग सकता है।
इसके लिए गावड़ी में प्लांट शिफ्ट होने और वहां दोनों प्लांट एक साथ संचालित होने के बाद ही कूड़े के पहाड़ों में कमी आ सकेगी। उन्होंने बताया कि हाइवे बनाने वाली कंपनी की ओर से भी नगर निगम कार्यालय में नोटिस भेजे गए हैं, जिनमें लोहियानगर से प्लांट हटाने को कहा गया है, क्योंकि इस स्थान पर हाइवे का रिंग रोड प्रस्तावित है।
समस्या की मुख्य जड़ पॉलीथिन, निस्तरण की नहीं व्यवस्था
कूड़े के पहाड़ की समस्या अकेले मेरठ की नहीं बल्कि पूरे देश की है। लोकसभा में इस संबंध में सवाल भी उठा चुका हूं। सरकार इसको लेकर चिंतित भी है। समस्या की मुख्य जड़ पॉलीथिन है। इसके निस्तारण की व्यवस्था नहीं हो पा रही है।
इन कूड़े के पहाड़ों से पर्यावरण को भारी नुकसान भी हो रहा है। नगर निगम को चाहिये कि शहर में तमाम जगहों पर कूड़े के ढेर लगे हुए हैं, उनको समय से निस्तारित कराए। -राजेन्द्र अग्रवाल, सांसद
कूड़ा निस्तारण प्लांट की क्षमता बेहद कम
गावड़ी में कूड़े का निस्तारण का प्लांट तो लगा दिया गया, लेकिन इसकी क्षमता बेहद कम है। कूड़े का निस्तारण तक नहीं हो पा रहा है। पर्यावरण को अलग नुकसान हो रहा है।
नगर विकास मंत्री से इस बारे में चर्चा कर समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा। वहीं नगर आयुक्त को कूड़े के निस्तारण के संबंध में गंभीरता से कदम उठाने चाहिये, क्योंकि शहर में कूड़ों का ढेर लगा हुआ है। -डा. सोमेन्द्र तोमर, राज्यमंत्री उर्जा