- पुलिस की छत्रछाया में फल-फूल रहा बाइपास स्थित होटलों में जिस्म फरोशी का धंधा ?
- जिस्म फरोशी का धंधा करने वालों के लिए भी ओयो होटल बने हैं सुरक्षित ठिकाने ?
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: एनएच-58 स्थित ओयो होटल रेड लाइट एरिया में तब्दील हो रहे हैं। इनका नहीं तो सराय ऐक्ट में पंजीकरण है और नहीं इनके मानचित्र ही एमडीए से स्वीकृत। पूरी तरह से अवैध हैं, लेकिन इन पर एमडीए और प्रशासनिक अधिकारी भी खूब मेहरबान है। यही वजह है कि इनकी शिकायत होने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। पुलिस का भी इन्हें संरक्षण प्राप्त है।
एमडीए बायलॉज का इन होटलों में उल्लंघन किया जा रहा हैं, मगर कार्रवाई इसके बाद भी नहीं की जा रही हैं। अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान चला रखा है, मगर इसके बाद कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है, यह बड़ा सवाल है। बागपत बाइपास स्थित एक होटल तो ग्रीन बेल्ट में ही बना दिया गया है। इस पर नोटिस भेजने के बाद एमडीए इंजीनियर चुप्पी साध गए हैं।
सवाल यह भी है कि जितने भी बड़े होटल हैं, उन पर सराय ऐक्ट में पंजीकरण नहीं होने पर कार्रवाई की तलवार लटकाये रहता है, मगर प्रशासन इन होटलों पर कोई कार्रवाई करने से क्यों बच रहा हैं? एनएच-58 पर एक-दो नहीं, बल्कि परतापुर बाइपास से ही ऐसे होटल शुरू हो जाते हैं। रोहटा रोड बाइपास, बागपत बाइपास, सुभारती के इर्द-गिर्द, एमआईटी के पास कई ओयो होटल बने हुए हैं।
शिकायत मिली है कि कबाड़ी बाजार का रेड लाइट एरिया बंद होने के बाद ओयो होटल में ही यह गोरखधंधा चल रहा है। कालोनियां एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग दस्ते के निशाने पर आने के बाद ऐसे लोगों ने ओयो होटल में अनैतिक कार्य आरंभ कर दिये। शहर के तमाम ओयो होटलों को इन्होंने अपना ठिकाना बना लिया है।
ओयो होटलों में पुलिस से बचने की गारंटी भी दी जाती है। एस्कार्ट सर्विस के नाम पर इन होटलों में आॅन डिमांड लड़कियां मुहैय्या करा दी जाती हैं। कई बार यहां छापे भी लगे और लड़कियां भी पकड़ी गई हैं, लेकिन पुलिस की कार्रवाई केवल रस्म अदायगी भर ही रही।
बाइपास स्थित ओयो होटलों की यदि बात की जाए तो परतापुर बाइपास से लेकर दौराला बाइपास तक ओयो होटल कुकरमुत्तों की तरह उग आए हैं। परतापुर से कुछ आगे सुभारती के समीप पहुंचते ही ओयो होटलों के बोर्ड नजर आने लगेंगे। बाइपास स्थित कई मकानों को वहां रहने वालों ने ओयो होटलों में तब्दील कर दिया है।
बागपत रोड पुल के नीचे और आसपास ओयो के नाम पर कई ऐसे होटल मिल जाएंगे, जिनको देखकर यह अनुमान लगाना मुश्किल होगा कि ये होटल हैं या फिर घर। सुनने में आया है कि जब भीतर दाखिल होंगे तो तमाम अनैतिक कार्य ओयो होटल में धंधे किये जाते हैं।
तमाम स्थानीय दलालों का बाइपास स्थित ओयो होटल धंधा करने का ठिकाना बने हुए हैं। जो दलाल पहले पॉश कालोनियों में किराए पर फ्लैट में धंधा करते थे, उन्होंने अब बाइपास स्थित ओयो होटलों को अपना ठिकाना बना लिया है। आमतौर पर ओयो होटलों में छापों का डर नहीं रहता। पुलिस से पहले सेटिंग कर ली जाती है। ज्यादातर ओयो होटल अनैतिक कार्यों पर ही फल-फूल रहे हैं।
पांच विभागों के आंख फेरने से पनप रहे ओयो होटल
इसे चोरी और सीनाजोरी नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे। पांच सरकारी विभागों के आंखे फेर लेने से हाइवे पर ओयो होटलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इन होटलों में आठ सौ रुपये से लेकर एक हजार रुपये प्रति घंटे के हिसाब से कमाई होती है और देह व्यापार के धंधे को खुलकर हवा मिल रही है।
हाइवे पर स्थित ओयो होटलों को चलाने के लिये सरकारी विभागों के अहसान लेने की जरूरत नहीं है। इन होटलों के नक्शे एमडीए से पास नहीं है। सड़क किनारे बने इन होटलों ने मानकों का खुलकर उल्लंघन किया हुआ है। प्रशासन ने इनको सराय ऐक्ट में पंजीकृत नहीं किया है। इन होटलों में आबकारी विभाग की मिलीभगत से हरियाणा की शराब खुलकर पिलाई जाती है।
जीएसटी से इन होटलों का पंजीकरण नहीं हुआ है। इसके अलावा एंटीह्यूमैन ट्रैफिकिंग के बार बार छापे मारने के दौरान भी इन होटलों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है, क्योंकि इन होटलों से प्रति माह चढावा संबंधित थानों को जाता है।
यही कारण है कि जब भी छापे में लड़के-लड़कियां पकड़े जाते हैं अगले दिन वही धंधा शुरु हो जाता है। कुकरमुत्ते की तरह उग आए इन होटलों में अवैध धंधा जोरों पर पनप रहा है और सरकारी विभाग इनको हवा दे रहे हैं।