- निगम से रुका वेतन नहीं मिला तो पीड़ित हो जाएगा बर्बाद
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम में मंगलवार को जनसुनवाई के रूप से मंगल दिवस का आयोजन किया जाता है। इसमें बीते दिवस मंगलवार को भी मंगल दिवस का आयोजन किया गया। इस दौरान नगरायुक्त अमित पाल शर्मा, अपर नगरायुक्त प्रमोद कुमार, सहायक अपर नगरायुक्त ब्रजपाल एवं अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। शिकायतें आती हैं और उन पर सुनवाई हो या न हो वह तो शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत करना एवं प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा समाधान करना उन सबके अपने अधिकार क्षेत्र एवं कर्तव्य का मामला होता है।
शिकायतें तो 28 आई, लेकिन समाधान एक का भी नहीं हो सका। दो शिकायतों को जनवाणी समाचार पत्र ने प्रमुखता से प्रकाशित किया। जिसमें एक तो नगर निगम में गाड़ी चालक के रूप में कार्य करने वाले अब्दुल गफ्फार एवं दूसरे माधवपुरम निवासी दीपांकर की, जोकि उसने गलत तरीके से पेट्रोल पंप के संचालन की शिकायत की थी। इन दोनों खबरों को प्रकाशित करने के बाद पीडितों के द्वारा जो शिकायत की गई है। उनकी क्या सच्चाई है? वह जनवाणी संवाददाता ने जानने का प्रयास किया। जिसमें दोनो ही शिकायतें कुछ हद तक पीड़ितों द्वारा सही की गई, लेकिन निगम के अधिकारियों ने उन पर किस तरह से संज्ञान लिया।
उसका दबाव क्या रहा होगा? वह भी समझना जरूरी है। जहां बुधवार को पेट्रोल पंप का संचालन रोजमर्रा की तरह से होता मिला,वहीं मामले की जांच कर रहे सहायक अपर आयुक्त इस मामले में सवाल पर संतोष जनक जवाब नहीं दे सके। गाड़ी चालक गफ्फार के मामले की सच्चाई जानने के लिये जनवाणी संवाददाता बुधवार सुबह उनके नगर निगम में बने क्वार्टर पर पहुंचे तो क्वार्टर के बाहर निगम की गाड़ी खड़ी थी, शायद उसे गफ्फार ही चलाता है। परिवार में जानकारी की तो गाड़ी चालक गफ्फार घर पर नहीं मिला।
आवाज लगाई तो उनके परिवार से एक बेटी दरवाजे पर आई और बोली, उसके पापा घर पर नहीं हैं। उसने कहा कि उनके परिवार में छह सदस्य हैं। जिसमें दो भाई एवं दो बहन एवं माता-पिता, उनके पिता के साथ 11 अन्य कर्मचारी नगर निगम में रखे गये थे। जिसमें से 11 की पदोन्नति हो गई और उनके पिता को वेतन के भी लाले पडे हैं। उनके परिवार के सदस्य कितने परेशान हाल है, बताना मुश्किल है। जिसके बाद गफ्फार का नंबर मिलाया तो वह स्विच आॅफ मिला। बेटी ने बताया कि इस मामले को परिवार के सदस्य मीडिया से दूर ही रखना चाहते हैं।
कहीं उनके पिता को मिलने वाला वेतन अधिकारियों के चिढ़ने से मिलते हुये भी न मिल सके। मीडिया कर्मी उसके पिता से दोबारा से मिलने आने की बात कहकर वहां से नगर निगम पहुंच गया। नगर निगम में गाड़ी चालक गफ्फार के मामले में निगम का कोई अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है और मानो जैसे मौन साध गये। वहीं दोबारा से गफ्फार के घर पहुंचे तो वह मिल गया। उसने अपना दर्द बयां करते हुये बस इतना ही कहा कि वह इस मामले को मीडिया से अलग इस लिये रखना चाहता है कि कहीं उसको मिलने वाला वेतन अधिकारियों के चिढ़ने के कारण नहीं मिल सके।
वहीं जो मीडिया उसकी बात को उठा रहा है। शायद वह भी निगम के अधिकारियों के दबाव में चुप्पी साध जाये। उस कारण वह इस मामले को फिलहाल अलग रखना चाहते है। वहीं, गफ्फार के परिवार के दर्द को सुना तो कहीं मानसिक दबाव में वेतन न मिलने की स्थिति में कोई अनहोनी जैसा कदम न उठा ले। फिलहाल निगम के अधिकारियों की चुप्पी एवं गफ्फार एवं उसके परिवार की मीडिया से खामोशी सिस्टम एवं सरकार से बहुत कुछ कहना चाहती है, लेकिन मजबूरी वस वह खामोश दिखाई पड़ रही है।