- अपात्रों के राशन कार्ड के मामले में शासन ने दिए एफआईआर के आदेश
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: अपात्रों के राशन कार्ड बनाने के मामले में फंसे आपूर्ति विभाग के अफसरों को बचाने के लिए क्या नयी स्क्रिप्ट लिखी जा रही है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि शासन के निर्देश पर उक्त मामले में डीलरों के खिलाफ तो एफआईआर करा दी गयी है, लेकिन जिला आपूर्ति कार्यालय के जिन तत्कालीन अफसरों को शासन की एसआईटी ने कसूरवार ठहराया था।
उनके खिलाफ प्रदेश के आयुक्त खाद्यान्न के आदेश के बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं करायी गयी है। इतना ही नहीं इस मामले में फंसे अफसरों को बचाने की जुगत लगाई जा रही है। जानकारों की माने तो एसआईटी ने जिस अफसरों को कसूरवार ठहराया था।
उनमें उनको क्लीनचिट के लिए एक ओर एसटीआई का गठन कर मेरठ भेजा गया है। मंगलवार को यह टीम जिला आपूर्ति कार्यालय पहुंचने तथा बुधवार को इसके सदस्य फूड सेल के आफिस भी गए थे। दरअसल इस जांच में फूड सेल ने बड़ी भूमिका निभाई थी।
हालांकि आपूर्ति विभाग के तमाम आला अफसर इस लखनऊ से भेजी गयी बतायी जा रही जांच टीम पर मुंह खोलने को तैयार नहीं। डीएसओ नीरज सिंह से जब बात की गयी तो उन्होंने बताया कि वह इलाहाबाद हैं। डीसी फूड सत्यदेव सिंह की भी लोकेशन इलाहाबाद मिली है।
यह जांच पूर्व विधायक व प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी की शिकायत पर की गयी थी। मेरठ पहुंची एसआईटी ने तब करीब 56 हजार अपात्रों के बताकर राशन कार्ड निरस्त कर दिए थे। साथ ही 63 राशन डीलरों व आपूर्ति कार्यालय के तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर के निर्देश दिए हैं, लेकिन अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर को लगातार टाला जा रहा है। बताया गया है कि अधिकारियों को क्लीनचिट के लिए ही एक नई जांच कमेटी बना दी गयी है।
राशन डीलर की जांच को पहुंची खाद्य विभाग की टीम
कस्बे के एक राशन डीलर की लगातार मिल रही शिकायतों को लेकर बुधवार को नगर पंचायत में खाद्य रसद विभाग की टीम जांच के लिए पहुंची। टीम ने उपभोक्ताओं की शिकायत सुनी और उनके बयान दर्ज किए। कस्बे के आदर्श सस्ते गल्ले की दुकान संचालक आदर्श पर घटतौली समेत विभिन्न आरोप लगाए थे।
डीलर के खिलाफ लगातार मिल रही शिकायतों को लेकर नगर पंचायत ने आपूर्ति विभाग को अवगत कराया। इस पर बुधवार को जिला पूर्ति निरीक्षक नीरज सिंह के निर्देश पर सरधना की पूर्ति निरीक्षक शिखा पांडे अपनी टीम के साथ नगर पंचायत कार्यालय पहुंची।
टीम ने उपभोक्ताओं को नगर पंचायत बुलाया और उनके बयान दर्ज किए। उपभोक्ताओं ने डीलर पर विभिन्न आरोप लगाए। टीम ने सभी के बयान दर्ज कर लिए है। पूर्ति निरीक्षक शिखा पांडेय का कहना है कि रिपोर्ट बनाकर अधिकारियों को भेज दी जाएगी।
एसआईटी ने भेजी 63 की लिस्ट, एफआईआर 64 पर
अपात्र के राशन कार्ड बनाने के मामले में आपूर्ति विभाग के अफसरों की कारगुजारियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। एसआईटी की जांच में दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज न कराए जाने का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि राशन की एक ऐसी दुकान के खिलाफ एफआईआर कराने का मामला सामने आया है, जो दुकान पहले ही खत्म कर दी गयी।
इस मामले में आपूर्ति विभाग की सप्लाई इंस्पेक्टर शिखा पांडे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। मामले की शिकायत सीएम की पोर्टल पर की गयी बतायी गयी है।
ये है पूरा मामला
दौराला ब्लॉक के सरधना के गांव महल में राम किशोर की राशन की दुकान थी। कुछ कार्ड धारकों की शिकायत के चलते साल 2017 में तत्कालीन जिलापूर्ति अधिकारी ने राम किशोर की दुकान को खत्म कर दिया। उसके यहां जो राशन कार्ड लगे थे उन्हें एक अन्य राशन डीलर मैसर्स ममता के यहां सबद्ध कर दिया गया। वहां से कार्ड धारकों को राशन मिलने लगा।
कमिश्नर के यहां से अपील खारिज
साल 2017 में राशन डीलर राम किशोर ने दुकान को खत्म किए जाने के डीएसओ के फैसले के खिलाफ कमिश्नर की अदालत में अपील की। वहां कुछ तारीखों के बाद उक्त दुकान को खत्म किए जाने के डीएसओ के फैसले को सही ठहराते हुए राम किशोर की अपील को कमिश्नर ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। इसके बाद मामला खत्म मान लिया गया।
खुद के खेल में फंसीं सप्लाई इंस्पेक्टर
जिला आपूर्ति अधिकारी कार्यालय की सप्लाई इंस्पेक्टर शिखा पांडे अपने ही खेम में फंस गयीं। जानकारों की मानें तो अपने किसी परिचत के इशारे पर जो दुकान पहले ही खत्म कर दी गयी है उसके पूर्व के कोटेदार राम किशोर के खिलाफ 63 दुकानों के साथ ही एफआईआर करा दी गयी, लेकिन जब इस चुक का पता चला और मामला सीएम के पोर्टल व हाईकोर्ट तक पहंचने के आसार नजर आने लगे तो सप्लाई इंस्पेक्टर को अब अपनी चूक का अहसास हुआ। इसके लिए उन्होंने कुछ पुराने खुरांट लोगों से मदद की गुहार लगायी है।
गले की फांस बनी कारगुजारी
अपात्र के राशन कार्ड मामले में लखनऊ से जांच को आयी एसआईटी ने एफआईआर कराने के लिए जो सूची भेजी थी उसमें सिर्फ 63 राशन डीलरों के नाम थे, लेकिन आरोप है कि शिखा पांडे ने 64 डीलरों के खिलाफ एफआईआर करा दी है। सप्लाई इंस्पेक्टर की यह कारगुजारी आपूर्ति विभाग के बडेÞ अफसरों के भी गले की फांस बन गयी है। मामला शासन तक पहुंच गया है।
ये कहना है शिखा पांडे का
सप्लाई इंस्पेक्टर शिखा पांडे का कहना है कि जो ऊपर से आदेश हुए हैं उनका अनुपालन किया गया है। वैसे भी जिस दौरान का यह प्रकरण है तब अवकाश पर थी। सही और गलत की जांच का जिम्मा आईओ का है। वैसे कुल सूची 67 की एसआईटी ने भेजी है।
ये कहना है डीएसओ का
डीएसओ नीरज सिंह ने बताया कि वह हाईकोर्ट में चल रहे किसी मामले की पैरवी के चलते इलाहाबाद में है। जहां तक इस मामले की बात है तो यह संज्ञान में फिलहाल नहीं। लौटने पर ही कुछ कहा जा सकता है।