Tuesday, October 3, 2023
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महज आंकड़ा बन कर न रह जाए पौधारोपण

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Samvad 52


ankit Malikउत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी वृहद स्तर पर किए गए पौधारोपण के सकारात्मक कार्य की नाते प्रशंसा करनी चाहिए। इस बार यानी 2023 में जुलाई माह व अगस्त माह में (वर्षा ऋतु में) सरकार का लक्ष्य 35 करोड़ पौधे उत्तर प्रदेश की भूमि पर रोपित करना है। गत वर्ष 2022 में यह लक्ष्य 30 करोड़ के आसपास था। सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष यह लक्ष्य जिलेवार वन विभाग अन्य विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों को दे दिया जाता है, जिसमें ग्राम प्रधान से लेकर पर्यावरणविद तक हर कोई अपनी भूमिका निभाता है। इस बार भी प्रत्येक जिले को यह जिम्मेदारी दी गई। जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शामली को 13 से 14 लाख पौधे, मुजफ्फरनगर को लगभग 24 लाख पौधे, मेरठ को 22 से 23 लाख पौधे, बिजनौर को 60 लाख पौधे व इसी क्रम में आगरा में 41 लाख पौधे रोपित करने का लक्ष्य दिया गया।

ठीक इसी तरह से अन्य सभी जिलों को भी उनके क्षेत्रफल व संभावनाओं के अनुरूप पौधारोपण का लक्ष्य दिया गया। अगर हम इस पौधारोपण पर आने वाले खर्च की बात करें तो इस वर्ष 3000 करोड़ रुपये की एक बड़ी राशि राज्य सरकार ने पौधरोपण अभियान पर खर्च की साथ ही कुछ विभागों में तो 22 जुलाई को आधे दिन का अवकाश भी कर्मचारियों को दिया गया, ताकि वे इस कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले सकें।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुजफ्फरनगर व बिजनौर में पौधारोपण कार्यक्रम में शामिल हुए और अपने हाथों से पौधा लगाकर वर्ष 2023 के पौधारोपण अभियान की शुरुआत ‘पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ’ के थीम के साथ की। अब इस इतने बड़े अभियान के साथ कुछ सवाल भी मन में उठते हैं-जैसे क्या वास्तव में इतनी बड़ी संख्या में पौधारोपण हुआ है?

या फोटो खिंचवाने और फाइलों में आंकड़े चढ़ाने मात्र से ही कुछ जिम्मेदार अधिकारी सरकार को संतुष्ट करने की कोशिश करते हैं? खैर हम तो सकारात्मक सोच रखते हुए यही मान लेते हैं कि वास्तविक रूप में 35 करोड़ पौधे उत्तर प्रदेश की धरा पर रोहित हुए हैं, किंतु इतने पौधे अगर हर साल लगें तो जमीन पर हर जगह छाया व वन का माहौल दिखे, किंतु ऐसा दिखता नहीं है।

प्रकृति का संरक्षण किसी एक व्यक्ति या एक नेता की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह प्रकृति मां के प्रति प्रेम तो हर हृदय में होना चाहिए। जब प्रकृति का उपभोग प्रत्येक व्यक्ति करता है, तो उसका संरक्षण व रक्षा भी प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है। दूसरा सबसे बड़े सवाल उठता है इन पौधों की देखभाल का, क्योंकि अगर इनका संरक्षण व पालन-पोषण एक शिशु की भांति नहीं किया गया तो यह संख्या केवल आंकडे मात्र बनकर रह जाएगी, जिसका किसी को कोई लाभ नहीं होगा, बल्कि राज्य सरकार व जनता पर केवल आर्थिक बोझ ही बढ़ेगा।

एक दिन मैंने खुद एक घटना देखी, जिसमें गांव की महिलाएं हरे पौधों की लकड़ियों के बंडल सर पर रख कर ला रही थीं। जब मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने बताया कि हम यह चूल्हे में जलाने के लिए कृष्णा नदी के किनारे लगे पेड़ों (शामली जिले की) को काट कर लाते हैं।

वे महिलाएं वास्तव में 1 से 3 साल के बढ़ते पेड़ों को काटकर छोड़ देती हैं और फिर अगली बार में उनके पत्ते वहीं झाड़ने के बाद घर ले आती हैं और चूल्हे में जलाती हैं। यह क्रम ऐसे ही नित्य चलता रहता है। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि ऐसे छोटे पेड़ों को काटने से बचाने के लिए क्या करें?

यह किसकी जिम्मेदारी है? क्या ऐसे में 35 करोड़ पौधे पेड़ बन पाएंगे? मुझे लगता है कि सरकार व प्रशासन को पौधारोपण के साथ-साथ ‘पौधा रक्षक व संरक्षण दल’ का भी गठन करना चाहिए जिसमें पर्यावरणविदों, जनता व अधिकारियों की सहायता से इन नन्हें पौधों की हत्या को रोका जा सके। तभी पेड़ लगाओ-पेड़ बचाओ का नारा भी परवान चढ़ सकेगा।

आज जिस प्रकार से वाहन बढ़ रहे हैं, शहरीकरण हो रहा है, पहाड़ व वन काटकर सड़कें बनार्इं जा रही हैं, यह सब प्रकृति का बड़े स्तर पर विनाश कर रहा है, जिस वजह से रोज प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं। ऐसे में प्रकृति के संरक्षण को बेहद गंभीरता से लेने की जरूरत है।

अब समय आ गया है कि हम केवल खानापूर्ति करने व फोटो खिंचवाने में आंकड़ों तक सीमित न रहें, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्य का पूरी ईमानदारी व निष्ठा के साथ निर्वहन करे। जितने पौधे लगें, वे अधिक से अधिक पेड़ के रूप में तैयार हो सकें।

पौधों का संरक्षण हम सभी का दायित्व व कर्तव्य है साथ ही सरकार भी पौधारोपण के साथ-साथ पौधों के संरक्षण के लिए भी लोगों को जागरूक करें इस कार्य को करने वाले लोगों को सम्मानित करें, ताकि पौधों की देखभाल भी सभी के अंदर उमंग व कर्तव्य के रूप में उभर सके।

सरकार द्वारा पौधा संरक्षण या पौधा देखभाल दिवस भी घोषित किया जाए। आज जिस तरह से ऐ क्यू आई बढ़ने से चारों तरफ धुएं के बादल हैं, बाढ़ है, उच्च तापमान है, सूखा है, भारी बारिश है व साथ ही बादल फटते हैं, ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी पहले से बहुत ज्यादा बढ़ गई है कि हम 20 प्रतिशत की जगह 33 प्रतिशत भूमि को वनाच्छादित बनाएं।

पूरे विश्व में प्रत्येक एक सेकंड में एक फुटबॉल के मैदान के बराबर जंगल काटे जा रहे हैं या उससे भी कहीं ज्यादा, तो फिर ऐसे में सुरक्षित भविष्य के लिए प्रकृति संरक्षण सरकार व साथ ही हम सब की व्यक्तिगत जिम्मेदारी बन गई है।


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