Sunday, June 22, 2025
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निजी विमान कंपनियों का लचर प्रदर्शन

Nazariya 22


DR OP TRIPATHIहवाई उड़ानों के दौरान होने वाली दुर्घटना में हर साल कई सौ लोगों की मौत हो जाती है, लेकिन भारत हवाई यात्रा के मामले में एशिया और अफ्रीका के दूसरे देशों की तुलना में अधिक सुरक्षित माना जाता है। पिछले दिनों देवभूमि उत्तराखंड के पवित्र केदारनाथ में हेलीकाप्टर दुर्घटना में पायलट सहित सात लोगों की मृत्यु हो गयी। कोहरे की वजह से हेलीकाप्टर के चट्टान से टकरा जाने को हादसे का कारण माना जा रहा है। खराब मौसम के कारण हुआ यह सातवां हादसा है। पर्वतीय तीर्थस्थलों में हेलीकाप्टर सेवा काफी लोकप्रिय हो रही है। वैष्णों देवी और अमरनाथ में भी हजारों यात्री इसका उपयोग करते हैं। शारीरिक कष्ट के साथ ही इससे समय भी बचता है। यात्री चूंकि कुछ ही घंटों में लौट जाते हैं इसलिए वहां भीड़ भी कम होती है। साथ ही यात्रा मार्ग में होने वाली गंदगी भी घटती है। एक जमाना था जब घरेलू हवाई सेवा के लिए इन्डियन एयर लाइन्स ही एकमात्र विकल्प हुआ करता था। उदारीकरण के बाद उड्डययन क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए भी खोल दिया गया। देखते-देखते अनेक निजी एयर लाइन्स इस व्यवसाय में कूद गर्इं। हवाई अड्डों की रौनक बढ़ने लगी तो उनके विस्तार का काम भी निजी क्षेत्र को दिया जाने लगा। इसमें दो राय नहीं है कि बीते दो दशक में भारत में हवाई यात्रा करने वाले बहुत तेजी से बढ़े हैं और विमानों की सीटों पर मध्यमवर्गीय यात्री भी नजर आने लगे हैं। ये स्थिति निश्चित रूप से उत्साहित करती है, किंतु दूसरी तरफ ये भी सही है कि जिस उम्मीद से निजी क्षेत्र को उड्डयन व्यवसाय में हाथ आजमाने का अवसर दिया गया था वह पूरी नहीं हो पा रही।

देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत का दिसंबर 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया था। इस हेलिकॉप्टर में कुल 14 लोग थे, जिनमें कोई भी जीवित नहीं बचा। केदारनाथ में गत दिवस जो दुखद घटना हुई उसके बारे में ये तो बता दिया गया कि मौसम खराब था और कोहरे के कारण वह उड़न खटोला चट्टान से टकरा गया। लेकिन जो जानकारी छनकर आ रही है उसके अनुसार पर्वतीय तीर्थस्थलों में हेलीकाप्टर सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां नियमों के पालन में लापरवाह होने के साथ ही रखरखाव के बारे में बेहद लापरवाह हैं। उनके साथ ही हवाई यातायात को नियंत्रित करने वाले विभाग का गैर जिम्मेदाराना रवैया भी ऐसे हादसों के लिए उत्तरदायी है, जो कोहरे के बावजूद उड़ान की अनुमति दे देता है। पहाड़ी क्षेत्रों वैसे भी हेलीकाप्टरों को उडने के लिए ज्यादा जगह उपलब्ध नहीं होती। अनेक मर्तबा उन्हें नियंत्रण कक्ष से मिलने वाले संकेत भी ठीक से नहीं मिल पाते। ये भी ज्ञात हुआ है कि गत दिवस जब उक्त दुर्घटना हुई उस समय कोहरे के बाद भी कुछ और हेलीकाप्टर उसी हवाई मार्ग पर उड़ रहे थे, जिसकी वजह से पायलट के सामने मार्ग बदलने का विकल्प ही नहीं बचा। जांच के बाद और भी बातें सामने आएंगीं लेकिन हवाई यातायात में केवल दुर्घटना ही समीक्षा का विषय नहीं अपितु विमानन कंपनियों की बढ़ती लापरवाही और ग्राहक सेवा की अनदेखी भी बड़ा मुद्दा बन गया है। मसलन घरेलू उड़ानों में समय से अपने गंतव्य तक पहुंचने की गारंटी करीब-करीब खत्म हो गई है। सुरक्षा जांच आदि औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए यात्रियों को घंटों पहले हवाई अड्डे पहुंचना होता है। महानगरों में दूरी और यातायात की समस्या का सामना भी उसे करना होता है। लेकिन घंटों पहले आने के बाद जब उसे ज्ञात होता है कि उड़ान विलम्ब से जायेगी तब उसे इस बात पर गुस्सा आता है कि पहले से इसकी सूचना क्यों नहीं दी गई।

सूचना क्रांति के इस दौर में भी जब हवाई यात्री को विमानन कंपनी का स्टाफ ये नहीं बता पाता कि उड़ान कितने बजे जाएगी, तब वह तिलमिलाकर रह जाता है। कंपनी जानती है कि जाना यात्री की मजबूरी है, क्योंकि यदि वह टिकिट करवाता है तब उसे अगली टिकिट और ज्यादा दाम पर मिलेगी। उड़ान विलम्बित होने पर कई कंपनियां यात्रियों के लिए चाय-पानी की व्यवस्था तक करने से बचती हैं। सही बात ये है कि कम संख्या में विमान होने के बाद भी ज्यादा से ज्यादा शहरों तक सेवा शुरू किए जाने के कारण विमानों का रखरखाव भी अपेक्षित तरीके से नहीं हो पाता, जिससे आए दिन उड़ानें रद्द होने की खबर आती हैं। मध्यम श्रेणी के शहरों से विदेश जाने वाले वालों के लिए उस समय संकट उत्पन्न हो जाता है जब महानगर जाने वाली उनकी उड़ान ऐन समय पर रद्द हो जाती है।

जबसे उड्डयन क्षेत्र में नई विमानन कंपनियां आई हैं, तबसे निजी हेलीकाप्टरों की भी बाढ़ आ गई है। चुनावों में राजनीतिक नेता धड़ल्ले से इनका उपयोग करते हैं। एयर एम्बुलेंस का व्यवसाय भी तेजी से पनप रहा है। जिस तरह अच्छी सड़कें देश के विकास का मापदंड हैं, उसी तरह से उड्डयन सेवाओं में लगातर वृद्धि भी समृद्धि का सूचक है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जबसे उड्डयन मंत्रालय संभाला है तब से हवाई यातायात में वृद्धि के दावे हो रहे हैं। नई उड़ानों की बाढ़ सी आ गई है। नए हवाई अड्डों के निर्माण और पुरानों के विस्तार का काम भी तेजी से चल रहा है। अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे वाकई वैश्विक स्तर का नजारा उत्पन्न करते हैं। लेकिन ये कहना लेशमात्र भी गलत नहीं होगा कि केदारनाथ में घटित हादसे के अलावा विमानन कंपनियों का लचर प्रदर्शन आगे पाट पीछे सपाट की स्थिति पेश कर रहा है। निजीकरण किसी भी सेवा में सुधार के लिए किया जाता है, लेकिन मौजूदा दौर में विमानन कम्पनियां इस अवधारणा को पलीता लगाने का काम कर रही हैं।


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