Friday, June 27, 2025
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चौराहों-बाजारों में भीख मांगने वालों का कब्जा

क्रांतिधरा के चौराहों पर वाहन चलाना चुनौती बनता जा रहा हैं। यहां भीख मांगने वालों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा हैं। बेगमपुल, तेजगढ़ी चौराहा आदि स्थानों पर वाहन रुकते ही ये चारों ओर खड़े हो जाते हैं। इससे हादसों का खतरा भी बढ़ जाता हैं। वहीं, बाजारों में खरीदारी करने वाले भी परेशान हैं। ‘जनवाणी’ टीम ने पड़ताल की तो शहर सराफा बाजार में भी भीख मांगने वाले डोर-टू-डोर जाते हैं। इनका बकायदा दिन निर्धारित हैं। अलग-अलग ग्रुप भीख मांगने पहुंचता हैं। इनके इलाके तक बटे हुए हैं। इसी तरह से तेजगढ़ी चौराहा हो या फिर बेगमपुल, रोडवेज बस स्टैंड ऐसे तमाम स्थलों पर भीख मांगने वालों की भीड़ लगी रहती हैं।

  • कही ट्रेंड तो कही भीख मांगने के लिए मासूम बच्चों का लिया जा रहा है सहारा
  • सरकारी आदेशों की भी उड़ रही धज्जियां

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: तेजगढ़ी चौराहे पर जैसे ही ट्रैफिक पुलिस कर्मी वाहनों को रोकता हैं, वैसे ही अचानक भिखारी वाहनों को घेर लेते हैं। यह एक दिन का हाल नहीं, बल्कि सातों दिन चलता हैं। वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं, तब इन भिखारियों की एंट्री होती हैं। अब तो टैंक चौराहे पर ट्रैफिक रुकने लगा हैं, वहां भी भिखारी पहुंच गए हैं। वाहनों के रुकते ही वाहनों के पास भिखारी पहुंच जाते हैं। इसमें बच्चे और बुजुर्ग भी शामिल हैं।

वाहनों के पास जाकर भीख मांगने वालों में महिलाएं भी शामिल हैं, वो भी गाड़ियों के पास पहुंचकर भीख मांगती हैं। तेजगढ़ी चौराहा हो या फिर बेगमपुल, हापुड स्टैंड सभी जगहों पर भिखारियों का कब्जा हो चुका है। इनकी संख्या शहर में इस कदर बढ़ गई है कि लोग इनसे परेशान हो गए है। इन भिखारियों के रुप में कम उम्र के युवक और युवतियों का जाल पूरे शहर में बिछा हुआ हैं, जो लोगों के हाथ और पैर पकड़ कर पैसा लेते है।

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जबकि सरकार भीख को सामाजिक अपराध मानकर इसे रोकने का अभियान चला रही हैं, लेकिन लोकल प्रसाशन और नगर निगम अपनी जिम्मेदारी से बच रहा है। बेगमपुल और तेजगढ़ी चौराहे पर हालात सबसे अधिक खराब है। गाड़ियों के रुकते ही लड़कियों का और औरतों का झुंड गाड़ियों को घेर लेता है और खिड़िकियां खोलने के लिए विवश कर देते हैं। जब तक कोई पैसे न दे वह पीछे हटने को तैयार नहीं होते है।

सूत्रों की माने तो इनमें सबसे ज्यादा बच्चे काशीराम कॉलोनी के है जिनकों दिन निकलते ही अलग-अलग ऐरियों में भीख मांगने के लिए भेज दिया जाता है। हालांकि इन भिखारियों की कभी कोई गिनती नहीं की गई हैं, लेकिन माना जा रहा है कि शहर के चौराहों, बस अड्डों, रेलवे स्टेशन और मंदिरों के बाहर 500 से अधिक भिखारी सुबह से लेकर शाम तक संक्रिय रहते है और लोगों को पैसे देने के लिए मजबूर करने में लगे रहते है।

बता दें कि अगर आप कार में बैठकर किसी चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल मिलने का इंतजार कर रहे हैं तो इतने में बाबू एक रुपया दे दो कहता हुआ बच्चा आपके पास आ जाएगा और पीछे पड़ जाएगा। आप दया भाव या पीछा छुड़ाने के लिए उसे रुपये देने लगेंगे। आपकी कार के पीछे का शीशा खुला हुआ है। इतनी देर में इस सीट पर रखा लैपटॉप, मोबाइल, पर्स या फिर अन्य कीमती सामान भी गायब हो सकता है। आगे निकलने के बाद आप को जब तक होश आएगा तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। भीख मांगते हुए छोटे-छोटे बच्चों वाहन के सामने आ जाते हैं। इससे जान पर भी आफत बन जाती है।

सभी व्यस्त चौराहे कब्जे में

शहर में करीब 10 से अधिक बड़े चौराहे होंगे। इन पर 500 से अधिक भिखारियों ने कब्जा कर रखा है। इन लोगों ने चोराहों को आपस में बांट रखा है। तेजगढ़ी, हापुड अड्डा, बेगमपुल, बच्चा पार्क आदि चौराहों को भिखारियों ने आपस में बांट रखा है। यहां से हर महीने लाखों रुपये की आमदनी होती है।

भीख मांगने के पेशे में न सिर्फ छोटे बच्चो बल्कि बुजुर्ग व महिलाएं भी शामिल हैं। छोटे बच्चाों को गोद में लेकर ये लोग चौराहों पर खड़े वाहन चालकों को परेशान कर देते हैं। भीख मांगने के लिए जान जोखिम में डालने से नहीं चूकते। वाहन रुकने से पहले ही ये लोग सामने आ जाते हैं।

भीख नहीं देने पर मार देते हैं स्क्रेच

तेजगढ़ी चौराहे पर भीख मांगने वाले तब गुस्से में भी आ जाते हैं, तब उन्हें भीख देने से मना कर दिया जाता हैं। ऐसे में भिखारी कार पर किसी लोहे की वस्तु से लाइन भी मार देते हैं। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। इसकी शिकायत तेजगढ़ी पुलिस चौकी पर भी की गई, मगर इसमें कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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