नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका अभिनंदन और स्वागत है। आज मुस्लिम समाज ने चांद के दीदार कर ईद उल फितर के जश्न की तैयारी में जुट गया है। इस्लाम धर्म का पाक महीना 22 अप्रैल 2023 को ईद-उल-फितर के दिन खत्म हो गया है और इस्लाम का महीना शब्वाल शुरू हो गया है। मुस्लिम समुदाय के लिए ईद का ये त्यौहार सबसे खास होता है। कुछ इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार ईद-उल-फितर को मीठी रूप में भी जाना जाता है।
हिज़री कैलेंडर के अनुसार इस्लाम धर्म के 10वें महीने जिसे शब्वाल कहा जाता है के पहले दिन ईद का त्यौहार धूमधाम से दुनियाभर के मुसलमान मनाते हैं।इस्लामी कैलेंडर में ये महीना चांद देखने के साथ शुरू होता है और जब तक चांद नहीं दिख जाता तब तक रमज़ान का महीना खत्म नहीं होता। जब रमज़ान के आख़िरी रोज़े के दिन चांद दिख जाता है तो उसके अगले दिन ईद मनाई जाती है। इस्लाम धर्म के अनुसार इस दिन हजरत मुहम्मद मक्का शहर से मदीना के लिए निकले थे।
…तो इसलिए मनाया जाता है ईद-उल-फितर
कहा जाता है मक्का से मुहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पाक शहर मदीना में ईद-उल-फितर का उत्सव शुरू हुआ था। बताया जाता है कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी। इसकी खुशी में सबका मुंह मीठा करवाया गया था, जिसकी वजह इसे मीठी ईद व ईद-उल-फितर के रूप में मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हिजरी संवत 2 यानि 624 ईस्वी में पहली बार (करीब 1400 साल पहले) ईद-उल-फितर मनाया गया था। पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बताया है कि उत्सव मनाने के लिए अल्लाह ने कुरान में पहले से ही 2 सबसे पवित्र दिन बताए हैं। जिन्हें ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा कहा गया है। इस प्रकार ईद मनाने की परंपरा अस्तित्व में आई थी।
इस्लाम में मदद का पैगाम देता है यह त्यौहार
मुस्लिम धर्म का सबसे अहम ईद के त्यौहार पर अमीर-गरीब सभी मुसलमान एकसाथ नमाज़ पढ़ते हैं और एक दूसरे को गले लगाते हैं। इस्लाम में चैरिटी ईद का एक महत्वपूर्ण पहलू है। जिसमें हर मुसलमान को धन, भोजन और कपड़े के रूप में कुछ न कुछ दान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। कुरान में ज़कात अल-फ़ित्र को अनिवार्य बताया गया है। ज़कात को हर मुसलमान का फर्ज़ बताया गया है। परंपराओं के मुताबिक ज़कात रमज़ान के अंत में और ईद की नमाज़ पर जाने से पहले दिया जाता है। विश्व के कुछ मुस्लिम देशों में ज़कात स्वैच्छिक है, वहीं अन्य देशों में यह अनिवार्य है।
ऐसे मनाई जाती है ईद-उल-फितर
ईद की शुरुआत सुबह दिन की पहली दुआ के साथ होती है। जिसे सलात अल-फ़ज़्र भी कहा जाता है। इसके बाद पूरा परिवार कुछ मीठा खाता है। वैसे ईद पर खज़ूर खाने की परंपरा है। फिर नए कपड़ों में सजकर लोग ईदगाह या एक बड़े खुले स्थान पर जाते हैं, जहां पूरा मुस्लिम समुदाय एक साथ ईद की नमाज़ अदा करता है। इसके बाद, ईद की बधाईयां दी जाती हैं। उस समय एक-दूसरे को ईद-मुबारक कहा जाता है। जो आपस में एक-दूसरे के प्यार और आपसी भाईचारे को दर्शाता है।
इस मौके पर एक खास दावत तैयार की जाती है जिसमें खासतौर से मीठा खाना शामिल होता है। इस कारण इसे भारत और कुछ दक्षिण एशियाई देशों में मीठी ईद भी कहा जाता है। ईद-उल-फितर पर खासतौर से सेवइयां दूध में मिलाकर बनाया जाता है और इसे सूखे मेवों और फलों के साथ परोसा जाता है।
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