- कुल 396 स्कूलों के बच्चों को मिलता है मिड-डे मील
- कक्षा एक से पांचवीं तक के लिए चार रुपये 97 पैसे
- उससे ऊपर के लिए मिलते हैं सात रुपये 45 पैसे
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बच्चों को पढ़ाई के साथ भोजन उपलब्ध कराने की सरकार की मिड-डे मील योेजना का लाभ सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को दिया जा रहा है। कई स्कूलों में मिड-डे मील तैयार करने के लिए रसोइयों की नियुक्ति की हुई है तो कई विद्यालयों में एनजीओ द्वारा इसकी पूर्ति कराई जाती है, लेकिन जो पैसा एक बच्चे के लिए भोजन उपलब्ध कराने पर खर्च किया जा रहा है। क्या वह काफी है, यह सबसे अहम् सवाल है?
बीएसए कार्यालय से मिड-डे मील को लेकर जानकारी ली गई तो पता चला कि पूरे जिले में शहरी, ग्रामीण व नगर पंचायत के कुल 396 स्कूलों में मिड-डे मील योजना के तहत भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। कई जगहों पर स्कूलों में ही भोजन तैयार करने की व्यवस्था है तो कई जगहों पर एनजीओ द्वारा भोेजन सप्लाई होता है, लेकिन इस योजना के लिए प्रत्येक बच्चों के लिए जो पैसे प्रतिदिन के हिसाब से सरकार से मिलते हैं।
उनको लेकर सवाल उठ रहा है कि क्या वह काफी है। पहली से पांचवीं कक्षा के लिए बच्चों को मिड-डे मील के लिए चार रुपये 97 व छह से आठवीं के लिए सात रुपये 45 पैसे प्रति बच्चों के लिए सरकार से मिलते हैं। इतने पैसे में ही दोपहर का भोजन उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन क्या यह संभव है कि इतने पैसे में बच्चों को भरपेट भोजन मिलता होगा। साथ ही सवाल यह भी उठता है कि भोजन की गुणवत्ता किस तरह से तय की जाती है। स्कूलों में भोजन तैयार करने के लिए जिन रसोइयों को नियुक्त किया गया है।
उनको साल में 10 माह के लिए 15 सौ रुपये प्रतिमाह की दर से भुगतान किया जाता है। कुल मिलाकर मिड-डे मील योजना का उद्देश्य बच्चों को शिक्षित करना है। जिससे बच्चों को खाना व शिक्षा दोनों एक साथ मिल सके, लेकिन इस योजना के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि नाकाफी नजर आ रही है। कुछ लोगोें ने पहचान छिपाने की शर्त पर बताया कि महंगाई के इस दौर में अगर बच्चों को एक समय का भी भोजन स्कूल में मिलता है तो यह राहत वाली बात है। कम से कम एक समय के खाने का तो खर्च सरकार वहन कर रही है।
पढ़ाई को लेकर बताया कि स्कूल में जो भी पढ़ाया जाता है। वह बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए कितना फायदेमंद है। यह तो उस समय पता चलता है। जब बच्चे भविष्य में कुछ बन जाते हैं। सरकार को चाहिए कि मिड-डे मील के लिए स्कूलों को दी जाने वाली अनुदान राशि में कुछ इजाफा किया जाए। जिससे इस योजना का उचित लाभ बच्चों को मिल सके।