- कथावाचक तुलसी पीठाधीश्वर जगतगुरु श्रीरामभद्राचार्य जी महाराज
जनवाणी ब्यूरो |
लखनऊ/गोरखपुर/उनवल: भगवान शिव ने जय सच्चिदानंद जग पावन कहते हुए भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम को प्रणाम किया किन्तु माता सती ने भगवान के परब्रह्मस्वरूप पर संदेह किया था और माता सीता के रूप में भगवान की परीक्षा ली थी। जिसके परिणामस्वरूप भगवान शिव ने माता सती का परित्याग किया था। इतना ही नहीं माता सती ने सोलह बिंदुओं राम ब्रह्म नहीं, सत, चित, आनंद, परधाम, सुंदरता को देख कर निमग्न, व्यापकता, नर, अभेद, चिंता, जग, पावन, मनोज, नसावन, अंतर्यामी होने पर संदेह किया था।
जिसके निवारण के लिए भगवान शिव ने हनुमान जी के रूप में भगवान श्रीराम के 32 चरित्र एवं गुणों से संदेह का निवारण किया है। उनवल झारखंडेश्वर महादेव मंदिर के निकट चल रही रामकथा के तीसरे दिन तत्व ज्ञान और भगवान श्रीराम की बाल लीला, विवाह लीला, वन लीला, रण लीला,राज्य लीला की व्याख्या करते हुए व्यास पीठ से तुलसी पीठाधीश्वर रामानंदाचार्य जगद्गुरु श्रीरामभद्राचार्य ने उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करते हुए बताया कि निलांभुजष्यामलकोमलांग्म श्लोक में पांच लीलाओं का वर्णन है। कथा के दौरान उन्होंने बताया कि अपने 8 वें जन्मदिवस पर 9 घंटे पूरी रामायण सुनाई। कथा में संचालन आचार्य घनश्याम मिश्रा ने किया।
उक्त कथा के अवसर पर धनेश्वर मणि, अंकित, जुबोध उपाध्याय इत्यादि लोग उपस्थित होकर आरती किए।