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कैसे मिलेगा राशन, कार्ड के आवेदन कूड़ेदान में

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कैसे मिलेगा राशन, कार्ड के आवेदन कूड़ेदान में
  • राशन कार्ड बनाने के इंतजामों के दावों की खुली पोल
  • कई कई माह धक्के खाने के बाद भी नहीं बन पता कार्ड
  • कार्ड बन भी जाता है तो कम कर दी जाती हैं परिवार की यूनिट

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: सबको राशन और शत प्रतिशत खाद्यान्न वितरण का दावा कैसे पूरा होगा जब राशन कार्ड के लिए दिए गए आवेदन आपूर्ति कार्यालय के बाथरूम में डंप कर दिए जाएंगे। इस घटना ने जहां राशन कार्ड बनाने के विभाग के इंतजामों की पोल खोल कर रख दी है।

वहीं दूसरी ओर सवाल है कि जो आवेदन कर्ता राशन मिलने के लिए कार्ड बनने की बाट जोह रहे हैं उनको कैसे और कब तक राशन मिलेगा। सबसे बड़ा सवाल उन गरीब परिवारों का है जो कोटेदार से मिलने वाले राशन पर ही गुजारा करते हैं। महंगा आटा खरीदना जिनके बूते से बाहर की बात है। किसी एक पर ठीकरा फोड़कर जिम्मेदारी से नहीं बचा जा सकता है। सवाल उन गरीबों की भूख का है जिन्होंने सस्ता राशन मिलने की आस में कार्ड के लिए आवेदन किया था।

दूरदराज से आते धक्के खाते

गांव देहात के दूरदराज इलाकों से लोग राशन कार्ड की आस में आपूर्ति कार्यालय पहुंचते हैं। कई दिन तक इधर उधर धक्के खाने के बाद आवेदन फार्म मिलता है। उसे जमा कराया जाता है। वो आवेदन ही खो दिया जाए तो फिर कार्ड कैसे बनेगा जब कार्ड नहीं तो राशन नहीं।

महीनों खाने पड़ते हैं धक्के

राशन कार्ड बनवाने या फिर परिवार के सदस्यों के काट दिए गए नाम जुड़वाने के लिए महीनों धक्के खाने पड़ते हैं। उसके बाद भी यह गारंटी नहीं कि कार्ड बन ही जाएगा। कई बार तो तमाम कागजी खानापूर्ति के बाद भी कार्ड जब नहीं बन पता तो थक हारकर घर बैठ जाते हैं।

एक परिवार में दो-दो कार्ड

किसी को तो एक राशन कार्ड भी मयस्सर नहीं। इसके उलट कुछ परिवार ऐसे हैं जो सप्लाई इंस्पेक्टर की नजरें इनायतों के चलते जिनके यहां दो दो राशन कार्ड हैं। ऐसा ही मामला शास्त्रीनगर निवासी तरूण आहूजा व उनकी माता राजरानी का है। इस संबंध में एक शिकायत शासन को भेजी गयी है।

एक दूसरे के सिर ठीकरा

राशन कार्ड के आवेदन बाथरूम में पाए जाने के मामले को लेकर आपूर्ति विभाग का स्टाफ एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहा है। इसके लिए सप्लाई इंस्पेक्टर शिखा पांडे पर आरोप लग रहा है। उनका कहना है कि इसके लिए लिपिक शादाब जिम्मेदार हैं।

यह कहना है डीएसओ का

इस संबंध मे डीएसओ नीरज सिंह का कहना है कि जिस स्थान पर आवेदन मिले हैं वह यूज में नहीं था। कार्यालय में ततइयों का छत्ता बन जाने की वजह से संभवत कार्ड वहां रखे गए थे। इस मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं।