राजेंद्र कुमार शर्मा
एक स्व-सहायता पुस्तक वह है जो अपने पाठकों को व्यक्तिगत समस्याओं को हल करने के बारे में निर्देश या मार्गदर्शन देने के इरादे से लिखी जाती है। किताबों का नाम ‘सेल्फ-हेल्प’ से लिया गया है, जो 1859 में सैमुअल स्माइल्स की सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब थी। इन्हें ‘सेल्फ-इंप्रूवमेंट’ की मार्गदर्शिका भी कहा जा सकता है, जो एक आधुनिक संस्करण है। बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में स्व-सहायता पुस्तकें मॉडर्न सांस्कृतिक में एक विशेष स्थान रखती थी।
ऐसा कहा जा सकता है कि जितना पुराना इतिहास लेखन का है शायद दैनिक व्यवहार के लिए अनौपचारिक मार्गदर्शिकाएं भी उसी समय से अस्तित्व में हैं। शास्त्रीय रोम में, सिसरो की आॅन फ्रेंडशिप और आॅन ड्यूटीज ‘सदियों के माध्यम से हैंडबुक और गाइड’ बन गई और ओविड ने आर्ट आॅफ लव और रेमेडी आॅफ लव लिखा, जो दैनिक जीवन की व्यावहारिक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करती है। एक अन्य उदाहरण अल-गजाली हैं, जिन्होंने अय फरजंद (हे बेटे!) लिखा है जो मशविरे की एक छोटी किताब है, जिसे अल-गजाली ने अपने एक छात्र के लिए लिखा था। पुनर्जागरण के दौरान, स्माइल्स की सेल्फ-हेल्प से इस बात की जानकारी मिलती है सेल्फ-फैशनिंग की चिंता ने शैक्षिक और स्वयं-सहायता सामग्रियों की बाढ़ सी ला दी थी। इसी श्रेणी में फ्लोरेंटाइन जियोवानी डेला कासा ने 1558 में प्रकाशित उनकी शिष्टाचार की पुस्तक बताती है: ‘किसी अन्य व्यक्ति का शराब या भोजन को अपनी नाक के पास उठाना और उसे सूंघना शिष्टाचार नहीं है।’
स्व-सहायता पुस्तकों का मूलभूत सिद्धांत
स्व-सहायता पुस्तकें अक्सर लोकप्रिय मनोविज्ञान जैसे रिश्ते, मन और मानव व्यवहार के पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जिसमे स्व-सहायता में विश्वास करने वालों को लगता है कि प्रयास से नियंत्रित किया जा सकता है। स्व-सहायता पुस्तकें आमतौर पर खुद को आत्म-जागरूकता बढ़ाने में सक्षम होने के रूप में विज्ञापित करती हैं। जिसमें किसी के जीवन की संतुष्टि भी शामिल है। वे अक्सर कहते हैं कि पारंपरिक उपचारों की अपेक्षा तुलना में इसे अधिक तेजी से हासिल करने में मदद कर सकते हैं। कई मशहूर हस्तियों ने स्व-सहायता पुस्तकों का विपणन किया है जिनमें जेनिफर लव हेविट, ओपरा विनफ्रे, एलिजाबेथ टेलर, चार्ली फिट्जमौरिस, टोनी रॉबिंस, वेन डायर, दीपक चोपड़ा और चेर शामिल हैं।
स्व सहायता पुस्तकों के प्रति धारणा
कुछ लोग मानते हैं कि स्व सहायता पत्रिका से बहुत सारे फायदे मिलते हैं, तो कुछ ऐसे लोग भी हैं जो इनसे दूर रहने का मशविरा देते हैं। उनका मानना है कि ये किताबें हमें झूठी आशा सिंड्रोम के भ्रम में डालती हैं। प्रश्न है कि हमारे लिए सही क्या है, क्या वाकई हमें इन पुस्तकों को अपने आपको प्रेरित करने या सफल होने के लिए पढ़ाई करनी चाहिए या फिर आशाओं की बीमारी से बचने के लिए इनसे दूरी बनाकर रखनी चाहिए। यदि विस्तृत विवरण के बारे में देखें तो इन पुस्तकों को पढ़ने के कुछ नुकसान हो सकते हैं, कुछ लोग इस बात पर विश्वास कर सकते हैं कि वे इस चक्कर में भ्रम की दुनिया में फंस गए हैं।
स्व सहायता पुस्तकों के लाभ
अक्सर लोगों को इन पुस्तकों को पढ़ने से कई तरह के लाभ होते हैं। जैसे करियर के मामले में, असाध्य रोगों से जूझने में और मानसिक रूप से संघर्ष में भी। ये पुस्तकें हमें करियर के मामले में प्रतियोगिताओं को पास करने के रास्ते सुझाती हैं। कठिन परीक्षाएं रोमांचक होती जा रही हैं। हमारे हौसले को बनाये रखते हैं, जो न सिर्फ हमारी कहानियों को निरंतर रखने का जरिया बनती है । बल्कि हमें लगातार कुछ कर दिखाने के लिए प्रेरित करता है और सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसी किताबें खुद पर नियंत्रण करना सिखाती हैं। ये हमें अनुशासन में रहना सिखाती हैं और अगर मामले में अपनी परिस्थितियों को जानना-समझना और स्व के चिकित्सा से हो तो ये किताबें हमें इतने संबल देती हैं कि हम लंबे समय तक इनसे संघर्ष करके जटिलताओं से भी पार पा सकते हैं। इसलिए, अगर पढ़ने और न पढ़ने से मिलने वाले किताबें पर उंगली रखना हो तो विधिवत रूप से न पढ़ने के मुकाबले ऐसी किताबों को पढ़ने के कई फायदे होते हैं।
क्या करती है स्व सहायता पुस्तकें
इन पुस्तकों को पढ़ने से हम जान सकते हैं कि आखिर हम गलतियां क्या कर रहे हैं और उनसे कैसे बच सकते हैं। यानी ये किताबें हमें हमारी कमजोरियों को जानने और उनकी सही करने में मदद करती हैं। ये पुस्तकें हमे कुछ नया सीखने के लिए प्रेरित करती हैं। ये हमें एक उत्साह देता है, इसलिए हम किसी भी उम्र में कोई भी कौशल सीखने के लिए तैयार हो जाते हैं और जब सीखते हैं तो उसका लाभ मिलता है। ऐसी किताबें हमें दृढ़ बनाती है, समस्या का समाधान सुझाती हैं और सफलता के लिए रणनीतियां बनाने व उन्हें चिन्हित करने का मौका देती हैं।
स्व मार्गदर्शकिओं का सबसे बड़ा लाभ
इन किताबों को पढ़ने का हमें एक बड़ा फायदा यह भी मिलता है कि हम उस अभ्यास के तौर तरीके को जान पाते हैं, जो हमें आगे चलकर मदद करता है। ये हमें अपने प्रति ईमानदार बनाती हैं और अपना मूल्यांकन करने के लिए तरीका और पैमाने सुझाती है। निश्चित रूप से इन किताबों को पढ़कर हमें ज्ञान होता है, हिम्मत आती है और नई तरीके से सोचने की कला सीख जाते हैं।
स्व सहायता पुस्तकों से कोई नुकसान नहीं
अगर मान लें कि इनमें से कुछ नहीं होता, तो भी निश्चित तौर पर एक बात यह होती है कि हमें इन किताबों के पढ़ने का कोई नुकसान नहीं होता। जो हममें नकारात्मक प्रभाव डालें। अगर हम इनसे कुछ सीखते नहीं, तो यह भी तय है कि हम इन किताबों से कुछ खोते भी नहीं है, किसी तरह का हमारा कोई नुकसान नहीं होता।