- मानचित्र बुनकर समिति के नाम से स्वीकृत चल रहा था मीट प्लांट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मानचित्र बुनकर समिति के नाम से मेरठ विकास प्राधिकरण से स्वीकृत है, जबकि मौके पर पशु वधशाला (मीट प्लांट) चल रही है। इसी को लेकर मेरठ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने पूर्व सांसद हाजी शाहिद अखलाक पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। उनको एक नोटिस भेजा गया है, जिसमें मेडा की तरफ से कहा गया है कि पशु वधशाला किसके नाम से है और मानचित्र किसके नाम से स्वीकृत है?
इसको लेकर प्राधिकरण उपाध्यक्ष के यहां से जारी किये गए नोटिस पर कार्रवाई की जा रही हैं। मेरठ विकास प्राधिकरण के इस नोटिस से पूर्व सांसद हाजी शाहिद अखलाक के परिजनों में हड़कंप मच गया हैं। कहा गया कि जो मानचित्र पूर्व सांसद हाजी शाहिद अखलाक लेकर मेरठ विकास प्राधिकरण में पहुंचे, वह मानचित्र बुनकर समिति के नाम से स्वीकृत है। इसकी पुष्टि मेडा सचिव सीपी तिवारी ने भी की हैं। उ
समें हैंडलूम का कार्य होना चाहिए था, लेकिन वहां पर पशु वधशाला चल रही है। इसका संज्ञान मेरठ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक पांडे ने लिया। इसके बाद ही पूर्व सांसद को नोटिस भेजा गया है। अब इस पशु वधशाला (कमेला) पर सील लगाने की तैयारी मेरठ विकास प्राधिकरण कर रहा है। क्योंकि मानचित्र स्वीकृत किसी दूसरे नाम से है और कार्य पशु को काटने का किया जा रहा है। कमेले के नाम से कोई मानचित्र स्वीकृत ही नहीं कराया गया।
इस मामले में पूर्व सांसद हाजी शाहिद अखलाक फंस गए हैं। अब इस मामले को लेकर मेरठ विकास प्राधिकरण के सचिव सीपी तिवारी का कहना है कि इसका मानचित्र पुन: स्वीकृत कराया जाएगा या फिर इसकी कंपाउंडिंग होगी। इसके बाद ही मेरठ विकास प्राधिकरण इसे हरी झंडी दे सकता है। फिलहाल इसमें मेरठ विकास प्राधिकरण ने पूर्व सांसद की घेराबंदी कर ली है। यदि संशोधित मानचित्र पूर्व सांसद की तरफ से नहीं दिया गया
तो इसमें सील की कार्रवाई कभी भी हो सकती है और ध्वस्तीकरण के आदेश भी किये जा सकते हैं। इसी वजह से पूर्व सांसद का परिवार तनाव में आ गया है। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आखिर इस मामले में क्या किया जाए। प्राधिकरण ने पूर्व सांसद के मानचित्र से संबंधित तमाम फाइल निकलवा ली है,
जिनकी जांच पड़ताल आज पूरा दिन चली। हालांकि प्राधिकरण उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय मंगलवार को आॅफिस नहीं आये। बताया गया कि उनका स्वास्थ्य अच्छा नहीं था, जिसके चलते वो आॅफिस नहीं आये, लेकिन इस मामले को लेकर टाउन प्लानर ने पूर्व सांसद के मीट प्लांट से संबंधित मानचित्र की जांच पड़ताल की।
मानचित्र और बॉयलाज को लेकर सवाल
मेरठ विकास प्राधिकरण से तीन तरह के मानचित्र स्वीकृत होते हैं, जिसमें आवासीय, व्यवसायिक और औद्योगिक। इसके अलावा मीट प्लांट का मानचित्र स्वीकृत कराने के लिए कोई बॉयलाज में नहीं हैं। अब देखना ये है कि बुनकर समिति का मानचित्र व्यवसायिक है तो फिर इसमें कुछ भी व्यवसाय किया जा सकता हैं। केवल बुनकर का कार्य करने की बाध्यता कैसे बन गई? ये भी बड़ा सवाल हैं।
मानचित्र को लेकर अचानक प्राधिकरण का फोकस पूर्व सांसद शाहिद अखलाक पर कैसे हो गया? इससे पहले भी तमाम मीट प्लांट के मानचित्र प्राधिकरण अफसरों ने जांचे थे। मौके पर भी टीम गई थी, तब इसमें कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब तो यही है कि मानचित्र व्यवसायिक में स्वीकृत है तो फिर उसमें मीट प्लांट संचालन क्यों नहीं किया जा सकता? इसमें विधि विशेषज्ञ इसकी जांच पड़ताल करें, तभी सच सामने आ सकता हैं।
पूर्व सांसद ने ये दिया जवाब…
पूर्व सांसद हाजी शाहिद अखलाक ने कहा कि जिस प्रॉपर्टी में मीट प्लांट चल रहा हैं, वो नीलामी में खरीदी गई थी, जिसका मानचित्र स्वीकृत कराया गया था। मानचित्र की प्रति और उसकी कटवाई गयी रशीद भी पूर्व सांसद ने प्राधिकरण अफसरों को उपलब्ध करा दी हैं। ये भी दावा किया गया कि तत्कालीन डीएम ने इंटीग्रेटिड मीट प्लांट लगाने की अनुमति दी थी।
39 विभागों की इसमें एनओसी भी ली गई, जो फाइलों में लगाई गयी हैं। वर्ष 2017 में भी एमडीए ने एक नोटिस भेजा था। ये वाद एमडीए ने किया था, जिसमें एमडीए का वाद खारिज हो गया था। 2021 मास्टर प्लान के अनुसार कोई भी उद्योग इसमें लगाया जा सकता था, फिर उनके उद्योग पर आपत्ति किस बात की हैं? वर्तमान में मीट प्लांट अल साकिब के नाम से चल रहा हैं।