Friday, July 5, 2024
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शाहिद अखलाक का बेटा गया जेल

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  • पूर्व सांसद पुत्र दानिश अखलाक को पुलिस ने किया था गिरफ्तार
  • पुलिस दानिश को शहर कोतवाली से जिला अस्पताल में मेडिकल परीक्षण कराने पहुंची
  • इसके बाद दानिश को परतापुर थाने ले जाया गया

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: दुष्कर्म के आरोप में पुलिस ने देर रात में ही पूर्व सांसद पुत्र दानिश अखलाक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। सुबह पुलिस दानिश को शहर कोतवाली से जिला अस्पताल में मेडिकल परीक्षण कराने पहुंची। इसके बाद दानिश को परतापुर थाने ले जाया गया। परतापुर पुलिस ने दानिश को शाम को कचहरी स्थित रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। मजिस्ट्रेट ने दुष्कर्म के आरोपी दानिश अखलाक को 14 दिन न्यायिक रिमांड पर लेकर जेल भेज दिया है। इस हाई प्रोफाइल केस की चर्चा दिनभर शहर में होती रही।

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बता दें कि शुक्रवार की देर रात्रि में शहर पुलिस ने गुपचुप तरीके से पूर्व सांसद शाहिद अखलाक के घर दबिश देकर दुष्कर्म के आरोपी दानिश अखलाक को गिरफ्तार कर लिया। दानिश की गिरफ्तारी की खबर लीक होने के डर से पुलिस ने गिरफ्तार आरोपी को जहां शहर कोतवाली में छिपाए रखा तो वहीं मीडिया कर्मियों के बीच थाना परतापुर में होने की बात फैलाई जाती रही। दोपहर बाद शहर कोतवाली से आरोपी दानिश अखलाक का मेडिकल चेकअप कराने के लिए पुलिस जिला अस्पताल पहुंची, यहां कानूनी प्रक्रिया के तहत आरोपी का मेडिकल चेकअप हुआ।

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इसके बाद पुलिस मीडिया कर्मियों से आरोपी को बचाते हुए किसी तरह परतापुर थाने पहुंची। मालूम हो कि दुष्कर्म के आरोपी दानिश अखलाक पर परतापुर थाने में ही धारा 376 के तहत दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज हुआ है। परतापुर थाना पुलिस दानिश की गिरफ्तारी को लेकर गुमराह करती रही। कानूनी कार्रवाई के उपरांत शाम को रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने दुष्कर्म के आरोपी दानिश को पेश किया। रिमांड मजिस्ट्रेट शशि गौतम ने अधूरे कागज बताये, जिन्हें पुलिस ने आनन-फानन में पूरा किया, जिसके बाद ही रिमांड मजिस्ट्रेट ने आरोपी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया हैं।

दौड़ते रहे मीडियाकर्मी

दिनभर मीडियाकर्मी शहर कोतवाली से लेकर परतापुर थाने का चक्कर काटते रहे मगर, कोई यह बताने की तैयार नहीं हुआ कि दुष्कर्म के आरोपी दानिश को कहां रखा गया है? काफी देर बाद यह पता चला कि पुलिस देर रात्रि में गिरफ्तार कर शहर कोतवाली ले आई और खबर फैला दी गई कि आरोपी परतापुर थाने में बंद है।

क्रोम होटल भी जांच के दायरे में

क्रोम होटल में ही पूर्व सांसद शाहिद अखलाक के बेटे दानिश ने दिल्ली की युवती के साथ जबरन दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था। इस होटल की चर्चा भी पूरे शहर में होती रही। बताया जा रहा है कि होटल क्रोम में सीसीटीवी फुटेज लेने पुलिस पहुंची हुई थी। मगर, पता चला है कि मात्र 48 घंटे का ही वीडियो मौजूद है।

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इससे पहले जिस वक्त घटना होने की बात युवती ने बताई है उस वक्त का वीडियो फुटेज मौजूद नहीं है। इससे साफ जाहिर है कि दुष्कर्म के आरोपी और क्रोम होटल के मैनेजर और संचालक की संलिप्तता प्रतीत होती है। अब यह जांच में ही स्पष्ट हो पाएगा कि इस बात में कितनी सच्चाई है।

क्रोम होटल की बढ़ी परेशानी, एसपी सिटी बोले-होगी जांच

शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सिटी एसपी ने बताया कि दिल्ली की एक युवती ने इंस्टग्राम के जरिए दानिश अखलाक नामक युवक से दोस्ती होने की बात कही और उसके बुलावे पर वह क्रोम होटल मेरठ पहुंची। जहां दानिश ने उसके साथ जबरन दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया।

एसपी सिटी ने आगे बताया कि साइबर सेल से रिपोर्ट लेने के बाद शुक्रवार की रात्रि में आरोपी दानिश के खिलाफ धारा 376 के तहत दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज किया गया है। घटना स्थल क्रोम होटल की सीसीटीवी फुटेज की जांच की जाएगी, दोषी पाए जाने पर उसके विरुद्ध भी नियमानुसार कार्रवाई होगी।

कानून एक, फिर कार्रवाई अलग-अलग क्यों

एक तरफ शहर की बेटी ने धारा 164 के तहत दिए बयान में भाजपा नेता अरविन्द गुप्ता मारवाड़ी के खिलाफ भी गंभीर आरोप लगाए हैं। तो वहीं दूसरी ओर दिल्ली की बेटी ने पूर्व सांसद शाहिद अखलाक के बेटे पर दुष्कर्म का आरोप लगाया। दोनों ही मामलों में पीड़िता का बयान धारा 164 के तहत लिया गया है, मगर पुलिस की कार्रवाई पर सवालिया निशान लग रहे हैं।

हालांकि कारण स्पष्ट हैं कि एक केस में दोनों आरोपी सत्तारूढ़ भाजपा के नेता हैं तो दूसरे केस में गैर भाजपा नेता का पुत्र है। अब पुलिस को निष्पक्ष फैसला लेना चाहिए था। इस बात की चर्चा है कि मेरठ पुलिस का यह रवैया सवाल खड़ा करता है। ‘जनवाणी’ ने इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए शहर के तीन अधिवक्ताओं से यह जानने की कोशिश की है कि दोनों मामलों में कानून के अंदर कोई भेदभाव तो नहीं, आइए जानते हैं सच्चाई…।

शहर के नामी अधिवक्ता और मेरठ बार एसोसिएशन के महामंत्री विनोद चौधरी ने बताया कि कानून नागरिकों के लिए कोई भेदभाव नहीं पैदा करता है। सबके लिए समान न्याय व्यवस्था है, लेकिन किसी भी केस में डिपेंड करता है कि आईओ साक्ष्य का कलेक्शन कितनी जल्दी करता है और धारा 164 और 161 के तहत बयान होना भी जरूरी होता है। इसी मसले पर वरिष्ठ अधिवक्ता नेपाल सिंह सोम ने बताया कि पुलिस दबिश देती है आरोपी फरार दिखाया जाता है। जांच अधिकारी साक्ष्य को एकत्रित करने में देरी हो जाती है।

गिरफ्तार करने में देरी के कई कारण है। फिलहाल कानून सबके लिए एक है और उसमें कोई भेदभाव नहीं है। मेरठ बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. ओपी शर्मा ने बताया कि पुलिस को तो दोनों ही मामलों में गिरफ्तारी करनी चाहिए। क्योंकि कानून कहता है कि इस संगीन धाराओं के केस में गिरफ्तारी आवश्यक है। अब एफआईआर के साथ जांच अधिकारी की रिपोर्ट का स्टेटस क्या कहता है ? यह देखने पर पता चलेगा। फिलहाल कानून सबके लिए समान व्यवहार करता है।

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