नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। आज बुधवार को केंद्र की मोदी सरकार ने छह प्रमुख रबी की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दे दी है। अगले मार्केटिंग सीजन के लिए एमएसपी में दो से सात फीसदी तक का इजाफा किया गया है।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2024-25 के लिए रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि को मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी के तहत अगले सत्र के लिए गेहूं, जौ, चना मसूर, सरसों और सनफ्लावर का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है।
केंद्र सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक जिन फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है, उनमें सबसे ज्यादा मसूर, दूसरे नंबर पर सरसों, तीसरे नंबर पर गेहूं और सनफ्लावर चौथे नंबर पर है। जबकि उसके बाद जौ और चने की एमएसपी में बढ़ोतरी की गई है। दो से सात फ़ीसदी की बढ़ोतरी के साथ कई फसले ऐसी हैं, जिनका न्यूनतम समर्थन मूल्य छह हजार रुपये को पार कर गया है, जबकि कुछ उसके आसपास पहुंच गईं हैं।
जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य मसूर का बढ़ा है। मसूर पर केंद्र सरकार ने 425 रुपये की बढ़ोतरी कर देश के किसानों को बड़ी सौगात दी है। अगले साल के लिए मसूर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य 6425 रुपये का तय किया गया है। इसी तरह केंद्र सरकार ने सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 200 रुपये की बढ़ोतरी की है। अगले साल किसानों को इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य 5660 रुपये के हिसाब से मिलना तय किया गया है।
जबकि सनफ्लावर और गेहूं की फसल के लिए केंद्र सरकार ने डेढ़ सौ रुपये की बढ़ोतरी एमएसपी में की है। बढ़ी हुई एमएसपी के मुताबिक गेहूं के लिए अगले साल से किसानों को 2275 रुपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा। जबकि सनफ्लावर के लिए 5800 रुपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है। केंद्र सरकार ने जौ पर 115 रुपये की बढ़ोतरी की और चने पर 105 रुपये की बढ़ोतरी की है। जौ का समर्थन मूल्य 1850 रुपये, जबकि चने का समर्थन मूल्य 5440 रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य के तौर पर केंद्र सरकार ने तय किया है।
केंद्र सरकार की ओर से जिन 6 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है, उनमें मसूर ऐसी फसल है जिसमें 2014-15 की तुलना में 2024-25 के न्यूनतम समर्थन मूल्य में दोगुने से ज्यादा का अंतर हो गया है। अहिरवार कहते हैं कि सिर्फ मसूर ही नहीं बल्कि सरसों और सनफ्लावर से लेकर चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी 2014-15 की तुलना में 2024-25 के न्यूनतम समर्थन मूल्य के दोगुने के आसपास पहुंच रहा है।
केंद्र सरकार की ओर से रबी की छह फसलों पर बढ़ाए जाने वाले समर्थन मूल्य को लेकर सियासी जानकार मानते हैं कि पीएम मोदी ने इसके माध्यम से उत्तर भारत के सभी राज्यों से लेकर दक्षिण भारत के सभी प्रमुख राज्यों को भी साध लिया है। जिस तरीके से गेंहू, चना, जौ, सरसों, मसूर और सनफ्लावर पर एमएसपी बढ़ाई गई है उसे उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक समेत आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और तमिलनाडु के किसानों को भी साध कर भारतीय जनता पार्टी ने सियासी रूप से बड़ा है।
वैसे तो उत्तर भारत के किसानों के लिए गेहूं, मसूर, चना, जौ और सरसों की बढ़ी हुई एमएसपी का सियासी फायदा न सिर्फ इस साल होने वाले मध्यप्रदेश, राजस्थान के विधानसभा चुनाव में हो सकता है। बल्कि लोकसभा चुनाव में भी सियासी तौर पर भारतीय जनता पार्टी ने अपनी मजबूत फील्डिंग इसके माध्यम से सजा ली है। दक्षिण भारत में रबी की फसल के अंतर्गत आने वाले सनफ्लावर की एमएसपी बढ़ाकर केंद्र सरकार ने कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और तमिलनाडु में किसानों को अपने पक्ष में करने के लिए एक बड़ा माहौल तो बना ही लिया है।
- आंकड़ों के मुताबिक 2014-15 में जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1100 रुपये हुआ करता था, जो 2024-25 के लिए 1850 रुपये कर दिया गया है।
- इसी तरह गेहूं का समर्थन मूल्य 2014-15 में 1400 रुपये हुआ करता था, जो कि अगले साल के लिए 2275 रुपये कर दिया गया है।
- चने का समर्थन मूल्य 2014-15 में 3100 रुपये था, जो अब 5440 रुपये कर दिया गया है।
- मसूर का समर्थन मूल्य 2014-15 में 2950 रुपये था, जो 2024-25 में 6425 रुपये कर दिया गया है।
- सरसों का समर्थन मूल्य 2014-15 में 3050 रुपये था, जो कि अगले साल से 5660 रुपये कर दिया गया है।
- सनफ्लावर का समर्थन मूल्य 2014-15 में 3000 रुपये हुआ करता था, जो साल 2024 के लिए 5800 रुपये कर दिया गया है।