Saturday, January 11, 2025
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तबादलों के ‘खिलाड़ियों’ पर एक्शन के कयास

  • अटकी सांसें: सीज हो सकते हैं पीडब्ल्यूडी विभागाध्यक्ष के अधिकार!
  • सीएम के समक्ष मौखिक तौर पर जांच रिपोर्ट पेश

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: लोक निर्माण विभाग में हुए बहुचर्तित तबादलों के खेल में कई अफसरों तक की गर्दन फंसती दिख रही है। उनके ऊपर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार इस खेल में कुछ बड़े अफसर जांच कमेटी के निशाने पर हैं और पता तो यहां तक चला है कि उनके नाम तक सीधे तौर पर मुख्यमंत्री को मौखिक रूप से बता दिए गए हैं। बताया जाता है कि आज या कल में यह जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी जाएगी।

हाल ही में लोक निर्माण विभाग में बड़ी संख्या में विभिन्न स्तरों के अभियन्ताओं की तबादला सूची शासन स्तर से जारी हुई थी जिसके बाद से ही इन तबादलों पर हाय तौबा शुरू हो गई थी। आरोप लग रहे थे कि तबादलों में ‘खेल’ खेला गया है और इसमें सीधे तौर पर लोक निर्माण विभाग के विभागाध्यक्ष को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है। मामले ने इतना तूल पकड़ा कि यह बात मुख्यमंत्री तक जा पहुंची। मुख्यमंत्री ने इस पूरे मामले पर जांच कमेटी बनाकर फौरन रिपोर्ट पेश करने का फरमान भी जारी कर दिया।

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इस मामले मेें सीधे मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद विभागीय अधिकारियों में हड़कम्प मच गया और फिर बताया जाता है कि फिर यहीं से ‘सेटिंग’ का खेल शुरू हो गया ताकि मुख्यमंत्री के कोप का भाजन से बचा जा सके। विभागीय सूत्रों के अनुसार तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने अपनी पूरी रिपोर्ट को लिफाफे में बंद कर लिया है और इसे आज या कल मुख्यमंत्री को सौंप दिया जाएगा। हालांकि सूत्र यह भी बताते हैं कि यह जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को मौखिक तौर पर बता भी दी गई है।

बताया जाता है कि प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त, प्रमुख सचिव आबकारी व एसीएस (नियुक्ति)की तीन सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट में कई ऐसे बड़े नाम हैं जिन पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है। सूत्रों के अनुसार प्रदेश में मेरठ सहित विभिन्न स्थानों पर सैकड़ों अभियन्ताओं के जो तबादले किए गए थे। उनमें लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव तक से चर्चा नहीं की गई थी। जिसके बद मामले ने और तूल पकड़ लिया था।

सूत्रों के अनुसार इस पूरे खेल के पीछे पीडब्ल्यूडी के विभागाध्यक्ष मनोज गुप्ता को ‘खिलाड़ी’ माना जा रहा है। अब इस पूरे मामले में तलवार बड़े नामों के सिर पर लटक गई है, सिर्फ कार्रवाई का इंतजार है। विभाग से जुड़े विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि विभागाध्यक्ष मनोज गुप्ता का कार्यकाल सितम्बर में पूर्ण हो रहा है। इसलिए उनके प्रशासनिक व वित्तीय अधिकारों को सरकार सीज कर सकती है।

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