- पांच को अनिश्चितकाल के लिए विद्युत कर्मचारी, अधिकारी जाएंगे हड़ताल पर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: निजीकरण को लेकर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की तत्वाधान में चल रहा धरना प्रदर्शन शनिवार को भी जारी रहा। जिसमें कर्मचारियों ने हुंकार भरते हुए कहा कि निजीकरण के विरोध में वह अब अनिश्चित काल के लिए हड़ताल पर जाएंगे।
वहीं, निजीकरण पर ऊर्जा निगम प्रबन्धन के अपर मुख्य सचिव (ऊर्जा), उत्तर प्रदेश शासन व अध्यक्ष, पावर कारपोरेशन अरविंद कुमार एवं विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष प्रतिनिधियों के मध्य शक्ति भवन में वार्ता भी बेनतीजा रही। संघर्ष समिति ने एक बार पुन: प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रभावी हस्तक्षेप किये जाने की अपील की है, जिससे ऊर्जा क्षेत्र में टकराव की स्थिति समाप्त हो एवं बिजलीकर्मी पूर्ववत निष्ठापूर्वक निर्बाध विद्युत आपूर्ति के कार्य में जुटे रह सके।
वार्ता के दौरान विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने कहा कि पांच अप्रैल को ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा के साथ हुए लिखित समझौते उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार के लिए कर्मचारियों एवं अभियन्ताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्रवाई की जायेगी।
कर्मचारियों एवं अभियन्ताओं को विश्वास में लिये बिना उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि. के निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल निरस्त करने की मांग की। संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने ये भी कहा कि समझौते के अनुसार प्रबन्धन बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों एवं अभियन्ताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्रवाई करे।
जिस पर प्रबन्धन द्वारा कुछ भी पहल नहीं की गयी। संघर्ष समिति ने पुन: प्रस्ताव दिया कि समझौते के अनुसार निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल निरस्त कर सुधार की कार्य योजना बनाई जाएं, जिसके लिये बिजलीकर्मी संकल्पबद्ध है। संघर्ष समिति के सुधार के संकल्प के बावजूद ऊर्जा निगम प्रबन्धन निजीकरण पर अड़ा रहा एवं निजीकरण करने के प्रस्ताव को निरस्त करने की मांग को अस्वीकार कर दिया। जिससे वार्ता बेनतीजा रही।
नहीं होने दी जाएगी विद्युत आपूर्ति बाधित
समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि पांच अक्टूबर से वह सभी अनिश्चितकाल के लिए कार्य का बहिष्कार करेंगे। हालांकि कार्य बहिष्कार के दौरान बिजली का ग्रिड फेल न हो और आम नागरिको को तकलीफ न हो इसके लिए बिजली उत्पादन गृहों, विद्युत उपकेन्द्र और प्रणाली नियंत्रण में पाली में काम करने वाले कर्मचारियों को कार्य बहिष्कार से अलग रखा गया है। संघर्ष समिति ने बताया कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने पावर ग्रिड कारपोरेशन, प्रशासनिक अधिकारियों तथा लेखपालों आदि को तमाम बिजलीघरों और संस्थानों का चार्ज देने के निर्देश दिये गये हैं।
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि शांतिपूर्ण कार्यरत बिजली कर्मचारियों का चार्ज यदि बाहरी एजेंसियों और प्रशासनिक अन्य अधिकारियों को सौंपने की कोशिश की गयी तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। जिसकी सारी जिम्मेदारी पावर कारपोरेशन प्रबन्धन की होगी। वार्ता के दौरान प्रबन्धन की ओर से अपर मुख्य सचिव (ऊर्जा) अरविंद कुमार, प्रबन्ध निदेशक पाकालि एम देवराज, प्रबन्ध निदेशक उत्पादन निगम सेन्थिल पांडियन सी एवं संघर्ष समिति की ओर से इं. शैलेन्द्र दुबे, इं. एके सिंह, इं. वीपी सिंह, इं. प्रभात सिंह, एके श्रीवास्तव, वीके सिंह कलहंस, आरके सिंह, हसमत, राकेश उपस्थित रहे। वहीं प्रदर्शन में मुख्य अभियंता एसबी यादव, चिराग बंसल, राजीव कुमार, दीपांशु, सचिन कुमार, नीरज कुमार, अधीक्षण अभियंता एके सिंह, एके आत्रे, अशोक कुमार सिंह आदि अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
स्मार्ट मीटर की जांच में उलझा विभाग कब मिलेगी उपभोक्ता को निजात
भले ही आज देश मे टेक्नॉलोजी के सहारे से हर कार्य तीव्र गति से किए जा रहे हैं, लेकिन किसी चीज की जांच की जाएं तो आज भी सिस्टम पुराने जमाने की तरह ही कार्य करता है। इसका उदहारण बिजली विभाग में देखने को मिल रहा है। वैसे तो विभाग के सभी कार्य तकनीकी स्तर से किए जाते हैं। जिससे उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो और न ही विभाग का ज्यादा समय खर्च हो, लेकिन विभाग द्वारा स्मार्ट मीटर की खामियों को जांचने के लिए उस तरह की तेजी नहीं दिखाई जा रही है।
जिस तरह से दिखानी चाहिए थी। दरअसल जन्माष्टमी के दिन अचानक से बिजली चली जाने के विषय पर शासन ने स्मार्ट मीटर की जांच के आदेश दिए थे। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने विभाग को निर्देश देते हुए 15 दिन में जांच प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा था। यहीं नहीं तब तक प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक लगा रखी है, लेकिन जांच के लिए निर्धारित की गयी समय सीमा से दोगुनी अवधि हो चुकी है। फिर भी जांच प्रक्रिया का कोई नतीजा अभी तक देखने को नहीं मिला है। हालांकि नए स्मार्ट मीटर लगाने पर तीन अक्टूबर तक रोक की अवधि बढ़ा थी। अब ये अवधि बढ़ेगी या नहीं ये देखना होगा।
स्मार्ट मीटर से ज्यादा बिल की जनता की है शिकायत
उपभोक्ताओं ने विभिन्न प्लेटफार्म के माध्यम से प्रदेश सरकार से स्मार्ट मीटर लगने के बाद दोगुने बिल की शिकायत की थी। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए स्मार्ट मीटर की हर तरह से जांच के आदेश दिए गए थे। जिससे अगर सच में स्मार्ट मीटर से बिल ज्यादा आ रहे हैं तो रोक लगाई जा सकें, लेकिन विभाग की कार्यप्रणाली के कारण अभी तक यह जांच चल रही है। अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं आया है, ऐसे में जनता के नसीब में सिर्फ इंतजार ही लिखा है। उपभोक्ताओं की माने तो उनका कहना है कि सरकार सुविधाएं देने से ज्यादा उपभोक्ताओं से बिल वसूल रही है। जनता की समस्या का समाधान भी नहीं हो पाता हैं।
12 अगस्त को अचानक से गायब हो गई थी लाइट
12 अगस्त को अचानक से प्रदेश भर में उपभोक्ताओं की बिजली गायब हो गई थी। जब कई घंटों तक रात को बिजली नहीं आई तो उपभोक्ताओं ने बिजलीघर में जाकर इस संबंध में बात की तो बिजली विभाग के कर्मचारियों ने बिल जमा न होने की बात कहकर टाल दिया। जिसके बाद उपभोक्ताओं ने बिल जमा की रशीद दिखाकर हंगामा किया। उसके बाद मामला बड़ा होने के बाद प्रदेश के ऊर्जा मंत्री तक ये बात पहुंची।
उन्होंने जांच के आदेश देते हुए स्मार्ट मीटर पर रोक लगा दी थी। दरअसल बिजली बिल ज्यादा आने पर फरवरी में भी इस संबंध में जांच बैठायी गई थी, लेकिन जब भी जांच प्रक्रिया अधर में ही लटकी रही थी। ऐसे में अबकी बार देखना होगा कि ये विषय कब तक अटका रहेगा। वहीं, इस संबंध में मुख्य अभियंता एसबी यादव ने कहा कि शासन स्तर से इसकी जांच चल रही है। शासन के जो भी आदेश होंगे उसके अनुसार ही आगे कार्य किया जाएगा।
डीएम और सिटी मजिस्ट्रेट ने किया बिजलीघरों का निरीक्षण
आगामी पांच अक्टूबर को निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों द्वारा शुरू की जा रही है। अनिश्चितकालीन हड़ताल को लेकर शासन-प्रशासन सक्रिय हो गया है। मुख्य सचिव ने भी इस संबंध में जिला अधिकारी एवं जिले के कप्तान को पत्र जारी करते हुए बिजली व्यवस्था को सुचारू करने एवं बिजली कर्मचारियों पर किसी भी प्रकार का दबाव न बनाने का आदेश जारी किया था।
यह भी कहा था कि आम जनता इससे परेशान न हो, इसीलिए सभी बिजलीघरों का निरीक्षण कर व्यवस्था का जायजा लिया जाए। इसको लेकर शनिवार रात को डीएम व सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा निरीक्षण किया गया। डीएम व सिटी मजिस्ट्रेट ने थाना लिसाड़ी गेट क्षेत्र के विकासपुरी बिजलीघर, लिसाड़ी गेट, लेडीज पार्क स्थित बिजलीघर सहित अन्य बिजलीघरों का निरीक्षण किया। जिससे उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की समस्या न हो। वहीं विद्युत संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने भी सरकार एवं प्रशासन को आश्वासन दिया है कि हड़ताल के दौरान आपूर्ति को सुचारु रखा जाएगा, लेकिन इस बीच अगर कर्मचारियों के साथ किसी भी प्रकार का उत्पीड़न हुआ तो उसके जिम्मेदार खुद जिला प्रशासन होगा।