- भीषण गर्मी में बिना पंखों के शिक्षा लेने को मजबूर छात्र
- जिले में 38 स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं, डीएम को कराया जा चुका अवगत
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सूरज की तपिश आग जैसी लग रही है, घरों में लगे पंखे व कूलर मानों खिलौने बन गए हैं। भीषण गर्मी से लोग बेहाल होने लगे हैं, लेकिन मेरठ में करीब ऐसे 38 विद्यालय हैं, जिनमें बिजली के कनेक्शन ही नहीं है। ऐसे में गर्मी के मौसम में इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को पंखे की हवा भी नसीब नहीं हो रही है।
सोमवार को ऐसे ही एक विद्यालय का दौरा करने पर जो सच सामने आया वह यह बतानें के लिए काफी है कि क्या सरकारी विद्यालय में केवल दिखावे के लिए सभी जरूरी संसाधनों के होने का ढोल पीटा जात है। जबकि जमीन पर हकीकत कुछ और है। वहीं, इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी सतेंद्र कुमार का कहना है कि विद्यालय में बिजली कनेक्शन पिछले कई सालों से नहीं है। अब इसके लिए सभी प्रक्रिया पूरी कर दी गई है। 10 से 15 दिन में बिजली कनेक्शन लग जाएगा।
300 छात्रों की संख्या है स्कूल में
कंपोजिट विद्यालय लोहियानगर फेस-टू में इस समय 254 छात्र रजिस्टर्ड है। इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन इस विद्यालय में पिछले 10 सालों से बिजली का कनेक्शन नहीं है। यहां शिक्षा लेने के लिए पहुंचने वाले छात्रों को इस भीषण गर्मी मे बिना पंखों के ही पढ़ाई करनी पड़ रही है। बच्चों का समय पढ़ाई के साथ खुद को हवा करनें में भी गुजरता है।
स्कूल इंचार्ज बच्चों को हाथ के पंखे खरीदकर देते हैं
विद्यालय में कक्षा एक में 20, दो में 20, तीन में 41, चार 41, पांच में 40, कक्षा छह में 36, सात में 18 व कक्षा आठ में 21 छात्र रजिस्टर्ड है। लेकिन यह छात्र भीषण गर्मी में बिना बिजली के ही स्कूल में शिक्षा लेने को मजबूर है। स्कूल के हेड अपने पैसे से बच्चों को हाथ के पंखे खरीदकर देते हैं। जिससे बच्चे खुद को हवा करते हैं।
शिक्षकों की है कमी
नियम के अनुसार प्राइमरी विद्यालय में 35 छात्रों पर एक शिक्षक जबकि जूनियर विद्यालय में 30 छात्रों पर एक शिक्षक होना चाहिए, लेकिन इस विद्यालय में दोनों स्कूलों को मिलाकर 254 छात्र है। इन छात्रों के लिए महज दो शिक्षक ही नियुक्त है, जो नाकाफी है।
स्कूल में साफ-सफाई करते है शिक्षक
महज दो शिक्षक होने के बावजूद यहां न तो कोई सफाईकर्मी है न ही कोई चौकीदार या अन्य चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी। ऐसे में विद्यालय में सफाई भी शिक्षकों के द्वारा ही की जाती है। साथ ही यह स्कूल जिस जगह है। वहां पर लगातार असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है तो शिक्षकों को बच्चों की सुरक्षा भी खुद ही करनी पड़ती है।