Saturday, July 27, 2024
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गोरे होने की चाह में त्वचा को नुकसान पहुंचा रही सनस्क्रीन क्रीम

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  • सनस्क्रीन क्रीम में स्टेरॉयड और हाइड्रोक्विनॉन त्वचा को पहुंचाते हैं नुकसान
  • क्रीम का प्रयोग करना चाह रही हैं तो डर्मेटोलॉजिस्ट की लें सलाह

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: लंबे समय तक त्वचा को गोरा करने वाली क्रीम का इस्तेमाल करने से त्वचा पतली हो जाती है। इससे चेहरे पर अनचाहे बाल पहले से ज्यादा उगने लगते हैं। नेचुरल चीजों का इस्तेमाल करके त्वचा को साफ और सुंदर बनाया जा सकता है। सनस्क्रीन का प्रयोग हम स्किन को यूवी किरणों के खतरनाक प्रभावों से बचाने और कैंसर जैसी बीमारियों को दूर करने के लिए करते हैं।

सनस्क्रीन हमारी स्किन को सनबर्न और रिंकल से बचाने के लिए भी यूज किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि सनस्क्रीन का अधिक इस्तेमाल त्वचा पर हानिकारक प्रभाव भी छोड़ सकता है। मायोक्लीनिक के अनुसार यह त्वचा को कई तरह की परेशानियों से बचाने का काम करता है, लेकिन सनस्क्रीन में प्रयोग किए जाने वाले कुछ केमिकल त्वचा पर एलर्जी, जलन, स्वेलिंग, रेडनेस, पोर ब्लॉकेज आदि का भी कारण बन जाते हैं। दरअसल, नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफॉर्मेसन की रिसर्च के अनुसार सनस्क्रीन ब्लड पर बुरा असर डालती सकती है।

स्किन को ऐसे करती है प्रभावित

1-स्टेरॉयड और हाइड्रोक्विनॉन त्वचा को पहुंचाते हैं नुकसान

हर व्यक्ति की त्वचा अलग होती है। जैसे तैलीय, रूखी और शुष्क। ऐसे में बिना डॉक्टर की सलाह से क्रीम का प्रयोग त्वचा को नुकसान पहुंचाता है। फेयरनेस, ब्यूटी व वाइटनिंग क्रीम के निर्माण में अक्सर स्टेरॉयड, ब्लीचिंग एजेंटस, हाइड्रोक्विनॉन व मर्करी जैसे केमिल इस्तेमाल होते हैं। जिसे लगाने के बाद त्वचा का रंग साफ होने से व्यक्ति गोरा दिखता है। हालांकि स्टेरॉयड चमड़ी को पतला करने व अनचाहे बालों के उगने और हाइड्रोक्विनॉन त्वचा में जमकर दाग-धब्बे को बढ़ाते हैं।

2-त्वचा पर धब्बे और निशान छोड़ती क्रीम

विभिन्न तरह की फेयरनेस और वाइटनिंग क्रीम का लंबे समय तक इस्तेमाल त्वचा को पतला करने के साथ बदरंग कर देता है। इस कारण त्वचा पर धब्बे, निशान हो जाते हैं। जिससे खुजली और पिंपल्स की दिक्कत होती है। इसके अलावा त्वचा पर अनचाहे बालों के उगने की समस्या आम हो जाती है।

त्वचा के अनुसार हो सही क्रीम का चयन

त्वचा के आॅयली या रूखी होने के आधार पर विशेषज्ञ सही क्रीम लगाने की सलाह देते हैं। प्रोफेशन या त्वचा की जरूरत फेयरनेस क्रीम लगाने की है तो लगा सकते हैं। लेकिन दुष्प्रभाव होने पर इसे एकदम से बंद न करके धीरे-धीरे करें। बाजार में बिना स्टेरॉयड व हाइड्रोक्विनॉन केमिकल वाली क्रीम उपलब्ध हैं। इनमें मौजूद अन्य केमिकल जैसे कोजिक एसिड, आरबीटिन, बीटा वाइट आदि से नुकसान कम होता है।

सनस्क्रीन का त्वचा पर नुकसान

एलर्जी: सनस्क्रीन में कुछ ऐसे केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। जो आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसकी वजह से त्वचा पर जलन, सूजन, रैश, पिंपल्स या खुजली जैसी समस्या शुरू हो सकती है। यही नहीं, कभी-कभी दाने, सूजन या रैश को ठीक होने में काफी समय लग जाता है और ऐसी स्थिति में एलर्जी या संक्रमण की समस्या शुरू हो सकती है।

मुहांसे: सनस्क्रीन की वजह से मुहांसे की परेशानी बढ़ सकती है। दरअसल, सनस्क्रीन के प्रयोग से कई आॅयल ग्लैंड जरूरत से ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं और इस वजह से पिंपल्स एक्ने की समस्या होने लगती है। इस दुष्प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए आपको नॉन-आॅयली सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए।

आंखों में जलन: आंखों में सनस्क्रीन लगने से दर्द और जलने की समस्या हो सकती है। यही नही कई बार संवेदनशीलता बढ़ जाती है और आंखों में लालिमा रहने लगती है। यदि अप सनस्क्रीन लगाते ही हैं तो इसे हटाते वक्त आंखों को पानी से बेहतर तरीके से साफ करें।

त्वचा के अनुसार खरीदें सनस्क्रीन

  • जब भी आप डोर स्पोटर्स के लिए सनस्क्रीन खरीदें तो एसपीएफ 15 या अधिक का खरीदें।
  • बच्चों को सनस्क्रीन लगा रहे हैं तो एसपीएफ 15 और अल्कोहल फ्री लोशन लगाएं।
  • ड्राई स्किन है तो क्रीम बेस्ड सनस्क्रीन लगाएं और आॅयली स्किन है तो अल्कोहल बेस्ड सनस्क्रीन लगाएं।
  • वेरी फेयर स्किन है तो एसपीएफ 12-20 का प्रयोग करें

इन बातों का रखें ख्याल

  • यदि क्रीम का प्रयोग करना चाह रही हैं तो डर्मेटोलॉजिस्ट की सलाह लें। वे परेशानी की वजह जैसे हार्मोनल बदलाव, दवा का दुष्प्रभाव, एलर्जी, आदि को जानकर क्रीम, माइश्चरराइजर या सनस्क्रीन लोशन लगाने की सलाह देते हैं।
  • किसी भी क्रीम को शुरुआत में कम मात्रा में हथेली के पीछे त्वचा पर 5-10 मिनट के लिए लगाएं। इससे यदि त्वचा के लाल होने, खुजली की समस्या हो तो समझें कि क्रीम सही नहीं है। अगर परेशानी न हो तो धीरे-धीरे प्रयोग बढ़ाएं।
  • सोने से पहले चेहरे को अच्छे से धोकर सोएं ताकि रोमछिदÑ बंद न हों।
  • सूरज की पराबैंगनी किरणों से बचाव के लिए सनस्क्रीन लोशन का प्रयोग करें। अगर हो सके तो इसके बजाय चेहरे को ढककर ही धूप में बाहर निकलें।

मेडिकल कॉलेज की अस्सिटेंट प्रोफेसर डा. सौम्या सिंघल (एमडी) का कहना है कि सनस्क्रीन सुरक्षा के लिए होती है। सूरज की पराबैंगनी किरणों से यह त्वचा को बचाती है, लेकिन सनस्क्रीन को संतुलित मात्रा में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। आजकल जो बाजार में सनस्क्रीन बिक रहे हैं वो फिजिकल सनस्क्रीन होते हैं। जिनमें जिंक आॅक्साइड या टाइटेनियम आॅक्साइड होता है। ये मेटल पार्टिकल होते है, जो त्वचा के ऊपर एक परत बना लेते हैं। बाद में पसीने और नहाने के बाद धुल जाते हैं, लेकिन त्वचा के भीतर नहीं जाते। कुछ रासायनिक तत्व होते हैं, जो नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए आॅर्गेनिक सनस्क्रीन का इस्तेमाल ही करें। साथ ही सनस्क्रीन खरीदते समय सेकन प्रोटेक्टर फैक्टर (एसपीएफ) का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

-डा. सौम्या सिंघल, एमडी, अस्सिटेंट प्रोफेसर मेडिकल कॉलेज

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