- रोहटा रोड पर धड़ल्ले से चल रहे अवैध निर्माण
- मेडा इंजीनियर मौन, चेताने के बावजूद नहीं आ रहे बाज
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: रोहटा रोड पर अवैध निर्माण की बाढ़ आ गई हैं। रोड के बायी और दायी तरफ अवैध निर्माण खूब चल रहे हैं। बिल्डिंग बन रही हैं, जिसके बाद भी प्राधिकरण के इंजीनियर मौन हैं। प्राधिकरण उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय की तमाम सख्ती के बाद आखिर हो क्या रहा हैं? इंजीनियरों ने आंखें क्यों मूंद रखी हैं। जिस तरह से करीम होटल का अवैध निर्माण सामने आया, वैसे रोहटा रोड पर तो दर्जन भर से ज्यादा निर्माण सामने आयेंगे।
क्या प्राधिकरण उपाध्यक्ष की चाबुक चलने के बाद ही इंजीनियरों की आंखें खुलती हैं? करीम होटल के मामले में भी प्राधिकरण इंजीनियरों ने खासी किरकिरी करा दी हैं। बार-बार चेताने के बाद भी प्राधिकरण के इंजीनियर बाज नहीं आ रहे हैं। एक के बाद एक अवैध निर्माण कराते जा रहे हैं, जो प्राधिकरण उपाध्यक्ष की छवि को धुमिल करने की कोशिश की जा रही हैं।
दरअसल, रोहटा रोड से तमाम वीआईपी गुजरते हैं। यहां पर चल रहे अवैध निर्माण लगता है मेडा इंजीनियरों को दिखाई नहीं दे रहे हैं। इनके लिए जो जवाबदेही तय की गई हैं, उसके लिए जिम्मेदार कौन हैं? क्योंकि जवाबदेही तय करने के बाद भी अवैध निर्माण नहीं रुक पा रहे हैं। जब निर्माण बनकर तैयार हो जाता हैं, तब इंजीनियर को दिखाई देता है। इसके बाद ही खानापूर्ति की सील लगा दी जाती हैं।
क्योंकि एक मामले में नहीं, बल्कि शहर में दो सौ से ज्यादा ऐसे मामले हैं, जिसमें प्राधिकरण इंजीनियर अवैध निर्माण घोषित कर सील की कार्रवाई कर चुके हैं, लेकिन वहां पर प्रतिष्ठान का उद्घाटन करन चालू कर दिया जाता हैं। सील की कार्रवाई के बाद कैसे व्यापारिक प्रतिष्ठान का उद्घाटन कर दिया गया हैं? इसके बाद इसमें एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई गयी? एक नहीं, बल्कि ध्वस्तीकरण भी करने की तिथि भी घोषित नहीं की गई। इस तरह से अवैध निर्माण दर अवैध निर्माण व्यापक स्तर पर होते चले जा रहे हैं, जिसके लिए जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं की।
सिर्फ कार्रवाई की जद में मेठ ही आते हैं। कार्रवाई जेई पर क्यों नहीं की जाती हैं? ये भी बड़ा सवाल हैं। जेई पर कार्रवाई हुई होती तो ये तय था कि अवैध निर्माणों पर ब्रेक लग गया होता। करीम होटल के अवैध निर्माण के मामले में जांच बैठाई गयी। सचिव ने जांच के लिए पत्र भी लिखा, लेकिन अभी तक ये जांच पूरी नहीं हुई। कौन जेई थे, जो इसका अवैध निर्माण प्राधिकरण उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय की अगुवाई में कराकर गए। होटल अवैध बना, फिर भी चुनौती देखिये कि विज्ञापन देकर प्राधिकरण उपाध्यक्ष को चुनौती दी गई। खैर छोड़िये रोहटा रोड पर हो रहे अवैध निर्माणों पर मेडा के इंजीनियर अंकुश क्यों नहीं लगा पा रहे हैं।
जिम्मेदारों पर कब कार्रवाई होगी? ये बड़ा सवाल हैं। कॉलोनियों में ध्वस्तीकरण के नाम पर खानापूर्ति की जा रही हैं। जिस कॉलोनी में ध्वस्तीकरण हुआ, फिर बनकर तैयार हो जाती हैं। ऐसे कई उदाहरण है, जहां पर एक ही कॉलोनी में तीन-तीन बार बुलडोजर चल चुके हैं खानापूर्ति वाले। फिर वहां पर सड़क भी बन जाती है और सीवर लाइन भी डाल दी जाती हैं। पिछले कुछ समय से तो यहीं सबकुछ हो रहा हैं, मगर जिम्मेदार किस तरह की जिम्मेदारी निभा रहे है, इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता हैं।