Thursday, April 18, 2024
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एक तांगे वाला जिसने 1,500 से 2,000 करोड़ रुपये बनाए

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जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: बोर्ड मीटिंग लाफ्टर क्लास लगवाने वाले गुलाटी का कर्मचारियों के प्रति रवैया शानदार रहता था। 98 साल की उम्र में उनके पास पद्मभूषण भी था और लक्ष्मी भी। FMCG सेक्टर के सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले CEO थे MDH ग्रुप के धरमपाल गुलाटी।

650 रुपये में खरीदा था तांगा

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पाकिस्तान से भारत आने के बाद गुलाटी ने 650 रुपये में तांगा खरीदा था। उस वक्त उन्हें तांगा चलाने भी नहीं आता था। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें तांगा चलाने भी नहीं आता था। वह धीरे-धीरे चलाना शुरू किए। उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड और करोल बाग से बारा हिंदू राव के लिए तांगा चलाया।

पाकिस्तान में 1923 में पैदा हुए थे गुलाटी

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गुलाटी के पिता का नाम महाशय चुन्नीलाल और माता का नाम चानन देवी था। वह पाकिस्तान के सियालकोट में 27 मार्च 1923 को पैदा हुए थे। 1933 में उन्होंने 5वीं के बाद स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी थी।

दिल्ली में खोली मसाले की दुकान

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गुलाटी ने दिल्ली में ही अजमल खान रोड, करोल बाग में एक दुकान खरीदी और अपने परिवार के मसाले का बिजनेस शुरू किया और महाशियन दि हट्टी के नाम से मसाले के कारोबार में चार चांद लगा दिए।

98 साल के गुलाटी की ऐसी थी दिनचर्या

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गुलाटी रोजाना सुबह 4 बजे उठकर पंजाबी बीट्स पर डंबल से कसरत करते थे, फिर फल खाते थे। इसके बाद नेहरू पार्क में सैर करने जाते थे, दिन पराठों के साथ गुजरता था, शाम होते ही दोबारा सैर पर निकलते थे और फिर रात में मलाई और रबड़ी का दौर शुरू होता था। 98 साल के महाशय फिर भी कहते थे ‘अभी तो मैं जवान हूं’।

1,500 से 2 हजार करोड़ का कारोबार

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सिर्फ 1500 रुपये से शुरू किया बिजनस 2000 करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया। विज्ञापन में आने वाले धरमपाल दुनिया के सबसे अधिक उम्र के स्टार के रूप में जाने जाते थे। अवॉर्ड के बाद से सैकड़ों लोगों के गुलदस्ते और कॉल्स आने के बाद उनका कहना था- मेरी तो ‘बल्ले-बल्ले’ हो गई है।

ऑफिस में मिलने वालों की लाइनें लगी हुई थीं। इसे देखकर उन्होंने कहा था, ‘मैं कोई और नशा नहीं करता, मुझे प्यार का नशा है।’ मुझे यह बहुत पसंद है जब बच्चे और युवा मुझसे मिलते हैं और मेरे साथ सेल्फी लेते हैं। अवॉर्ड के बारे में कहते हैं यह आप लोगों का प्यार है। मेरा कुछ नहीं।

राजकपूर के साथ महाशय गुलाटी

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महाशय जी को लाइमलाइट में रहना पसंद था। पश्चिमी दिल्ली के कीर्ति इंडस्ट्रियल एरिया में में उनके एमडीएच हाउस की दीवार का एक-एक इंच उनके मुस्कान भरे चेहरे से पटा पड़ा है। टीवी विज्ञापनों में उनका आना अचानक ही हुआ जब विज्ञापन में दुल्हन के पिता की भूमिका निभाने वाले ऐक्टर मौके पर नहीं पहुंचे।

गुलाटी याद करते हैं, ‘जब डायरेक्टर ने कहा कि मैं ही पिता की भूमिका निभा दूं तो मुझे लगा कि इससे कुछ पैसा बच जाएगा तो मैंने हामी भर दी।’ उसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। तब से गुलाटी एमडीएच के टीवी विज्ञापनों में हमेशा दिखते रहे। इस तस्वीर में राजकपूर के साथ दिख रहे हैं गुलाटी।

सोशल मीडिया यूजर्स भी दुखी, ट्वीट कर दे रहे श्रद्धांजलि

98 साल के कारोबारी और ‘MDH’ के मालिक धर्मपाल गुलाटी का 98 साल की उम्र में निधन हो गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुलाटी का दिल्ली के अस्पताल में बीते 3 हफ्तों से इलाज चल रहा था। गुरुवार को सुबह 5.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। अपने जीवन में गुलाटी ने कई पद्म भूषण समेत कई पुरस्कार जीते हैं।

उनके जाने की खबर सोशल मीडिया यूजर्स के लिए काफी चौंकाने वाली है। क्योंकि कई बार हमने देखा कि ‘चाचा’ और उनकी उम्र को लेकर कई बार सोशल मीडिया पर मजाकिया पोस्ट शेयर किए जाते रहे हैं।

खास बात है कि इतनी बड़ी उम्र में भी अपने उत्पादों का खुद प्रचार करने टीवी पर आने वाले मासाला किंग का हर कोई फैन था। सोशल मीडिया पर उनके प्रशंसक कम नहीं थे। गुलाटी के निधन की खबर का सोशल मीडिया पर साफ दिख रहा है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा सोशल मीडिया के आम यूजर्स भी उनके निधन से दुखी नजर आ रहे हैं और ट्वीट के जरिए श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

साल 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में जन्में गुलाटी ने अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे थे। उनके पिता का मसालों का कारोबार था। खास बात है कि गुलाटी का पढ़ने में मन नहीं लगता था, जिसकी वजह से उन्होंने स्कूल की पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया था और पिता के साथ काम में लग गए थे। 1947 में विभाजन के बाद जब गुलाटी परिवार पाकिस्तान से भारत आया, तो उन्हें अमृतसर के रिफ्यूजी कैंप में रखा गया।

इस दौरान गुलाटी अपने जीजाजी के साथ दिल्ली काम की तलाश में पहुंच गए। शुरुआत में उन्होंने अपनी भतीजी के करोल बाग स्थित घर पर रहना शुरू किया। खास बात है कि इस घर में न तो बिजली थी, न पानी और न ही टॉयलेट थी। जब गुलाटी दिल्ली आ रहे थे, तो पिता ने उन्हें 1500 रुपए दिए थे। इन रुपयों से उन्होंने एक तांगा खरीदा था। हालांकि, यह काम उन्हें ज्यादा दिन रास नहीं आया और तांगा बेच दिया।

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