- 1995 का है मामला, डीएम ने दिये जांच के आदेश
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: विजेंद्र सिंह कभी मेरठ सदर तहसील के तहसीलदार हुआ करते थे। इस दौरान पट्टे की जमीन का जो खेल हुआ, उसको लेकर तहसीलदार के परिजन भी जांच के दायरे में आ गए हैं। दरअसल, एनएच-58 स्थित हाईवे पर 1770 मीटर पट्टे की जमीन तहसीलदार विजेंद्र सिंह ने अपनी पत्नी सुनीता पुत्री होशियार सिंह के नाम खरीदना सरकारी दस्तावेजों में दर्शाया हैं।
ये मामला 1995 का है, लेकिन वर्तमान में इसकी जांच पड़ताल आरंभ हो गई है। जांच डीएम दीपक मीणा ने शुरू कराई है, जिसमें एडीएम प्रशासन अमित कुमार भी इसको देख रहे हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि विजेंद्र सिंह इस दौरान मेरठ सदर तहसील के तहसीलदार हुआ करते थे। तब पट्टे की इस जमीन की खरीद-फरोख्त हुई है। यह जमीन पट्टे की थी। पट्टा धारकों से सेटिंग कर जमीन को औने-पौने दाम में खरीद लिया गया।
सुनीता के अलावा देवेंद्र पुत्र जयप्रकाश के नाम भी कुछ जमीन पट्टे की खरीदी गई थी। ये आपस में एक-दुसरे के रिश्तेदार हैं। वर्तमान में इस जमीन की कीमत 6 करोड़ बताई गई है। दरअसल, सुनीता के विजेंद्र पति थे। हालांकि वर्तमान में तहसीलदार विजेंद्र सिंह की मृत्यु हो चुकी है। विजेंद्र सिंह मुजफ्फरनगर के एसडीम भी रहे है। तहसीलदार ही नहीं, बल्कि इस दौरान लेखपाल मेहर सिंह और तहसीलदार के चतुर्थश्रेणी कर्मचारी महक सिंह के नाम पर भी पट्टे की जमीन खरीदी गई थी।
देखा जाए तो पट्टे की जमीन को लेकर लूट मची हुई थी। चपरासी से लेकर लेखपाल और तहसीलदार ने पट्टे की जमीनों को औने-पौने दाम में खरीद लिया, जिसको लेकर अब सरकारी कर्मचारी और उनके परिजन जांच के दायरे में आ गए हैं। पट्टे का बैनामा कराने का मामला सामने आया है। इसकी फिलहाल जांच पड़ताल डीएम दीपक मीणा ने शुरू करा दी है। बताया गया कि गुरुमेहर सिंह तब लेखपाल हुआ करते थे, जो वर्तमान में कानूनगो के पद पर तैनात हैं।
460 मीटर जमीन उन्होंने अपनी माता राजेंद्र कौर पत्नी बचन सिंह निवासी के नाम पर खरीदी थी। जमीन को लेकर विवाद पैदा हो सकता था, इसलिए अपने परिजनों के नाम पर जमीन को कराया गया। क्योंकि सरकारी पद पर रहते हुए ये जमीन खरीदी गई, वो भी पट्टे की भूमि। यह जमीन गुरुमेहर सिंह ने पट्टे धारको से खरीदना सरकारी दस्तावेज में दर्शाया है, जिसकी कीमत वर्तमान में करीब 2 करोड़ है।
इसके अलावा महक सिंह पुत्र प्रभुदयाल जो उस दौरान तहसीलदार सदर के पास चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हुआ करते थे। ये पट्टे की जमीन बिना किसी अनुमति खरीदी गई। पट्टे की जमीन को खरीदने से पहले अनुमति लेनी पड़ती हैं, मगर इसमें अनुमति नहीं होने का आरोप लगा हैं। ये जमीन करीब 400 मीटर है, जो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने अपने नाम से खरीदी हैं। जमीन खसरा संख्या 896 तथा इसका रकबा 1190 मीटर हैं।
वर्तमान में इस जमीन की कीमत करीब 2 करोड़ होना बताया जा रहा हैं। दरअसल, यह शिकायत कुवरपाल सिंह पुत्र स्वर्गीय ऋषि पाल सिंह निवासी दौराला ने डीएम से की है। इसी शिकायत के आधार पर डीएम ने जांच के आदेश दिये हैं। डीएम ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच के आदेश दिए हैं।
क्योंकि करोड़ों की जमीन का मामला है। हालांकि इस दौरान तहसीलदार रहे विजेंद्र सिंह की मृत्यु हो चुकी है, लेकिन जमीन उनकी पत्नी सुनीता के नाम पर दर्ज है। उनका परिवार भी जांच के दायरे में आ गया हैं। जिस जमीन को लेकर खासा बवाल खड़ा हो गया है, ये जमीन ग्रांड-5 के पास का हैं। यहां नाले की पटरी से सटकर ये जमीन हुआ करती थी, वर्तमान में किसका कब्जा हैं? ये स्पष्ट नहीं हैं।