- पश्चिमी यूपी की जेलों की क्षमता पर बंदियों की संख्या भारी, बैरकों में है लाचारी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: पश्चिमी यूपी के जिला कारागार अर्थात आठ जेलों में बंदियों की क्षमता से दोगुनी संख्या में बंदियों को कारागार की बैरकों में ठूंस-ठूंसकर भर तो दिया, लेकिन कारागार में क्षमता से अधिक बंदियों के रखने पर वहां हालात बद से बदतर हो गये हैं। कारागार में निरुद्ध बंदियों और कैदियों का बैरकों में रहना तो दूर उन्हें सोने के लिए भी शिफ्ट बांधनी पड़ रही है, जिसके चलते कुछ बंदियों की हालत इतनी खराब है कि उन्हें वहां के अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है। क्षमता से अधिक बंदियों के रखे जाने पर जेल प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं है।
उत्तर प्रदेश कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग ने राज्य की जेलों में क्षमता से अधिक बंदियो की संख्या को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने कई नई जेलों के निर्माण का निर्णय लिया तो है, लेकिन यह योजना कब फलीभूत होगी। अभी कारागार विभाग की ओर से कुछ स्पष्ट नहीं है। चौधरी चरण सिंह कारागार की क्षमता 1707 है, लेकिन वर्तमान बंदी 2207 निरुद्ध हैं।
जिसके चलते कारागार की बैरकों के हालात बड़े विकट हैं। यहीं कारण है कि बैरकों में बंदियों के रखरखाव में कमी आ रही है। जिससे उन्हें उठने बैठने और सोने से लेकर खाने पीने तक की व्यवस्थाओं में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यही स्थिति सात कारागार व उपकारागारों की है। वहां भी कारागार क्षमता कम है जिसके सापेक्ष बंदी की संख्या ज्यादा है।
पश्चिमी यूपी मेरठ परिक्षेत्र की बात करें तो यहां आठ जिला कारागारों का जिम्मा पुलिस उपमहानिरीक्षक कारागार की देखरेख में है। इसका कार्यालय चौधरी चरण सिंह कारागार मेरठ परिसर में स्थित है। वर्तमान में प्रदेश की केन्द्रीय और जिला कारागार समेत कई कारागार में क्षमता से अधिक बंदी निरुद्ध हैं। ऐसे में जेल मैनुअल द्वारा प्रदत्त सुविधाएं उपलब्ध कराने और बंदियो के मानवाधिकारों के संरक्षण को देखते हुए नई जेलों की आवश्यकता है, लेकिन अभी शासन की ओर नई जेलों के निर्माण के लिए घोषणा है तो है।
लेकिन निर्माण की स्थिति अभी विचाराधीन है। वर्तमान में सात केन्द्रीय कारागार में 13669 बंदियों की क्षमता है। जबकि यहां पर 15 हजार 201 बंदी हैं। इस तरह 62 जिला कारागार में 49 हजार 107 बंदियों की क्षमता है। जिसके सापेक्ष 95 हजार 597 बंदी निरुद्ध हैं। वहीं दो उपकारागार में 306 बंदियों की क्षमता है जिसके सापेक्ष 664 बंदी निरुद्ध हैं। सरकार ने नई जेलों के लिए 11 जिले चिन्हित किये गये हैं जहां जेल नहीं हैं। शामली व हापुड जिले में नई जेल बनेंगी। इसके लिए बजट की कुछ धनराशि आवंटित की गई है।
कारागार का नाम क्षमता निरुद्ध बंदी
मेरठ 1707 2207
गाजियाबाद 1704 4412
गौतमबुद्धनगर 3750 3239
बुलन्दशहर 1000 2030
बागपत 690 936
सहारनपुर 550 1550
मुजफ्फरनगर 800 2400
देवबन्द 130 180
पूरे जोन की क्षमता 13 हजार के आसपास की है। बंदियो की क्षमता लगभग 13 हजार है। नई जेले बनने के लिए प्रस्तावित हैं। शामली और हापुड़ हैं। मुजफ्फरनगर से कुछ बंदी शामली में जेल बनने के बाद शिफ्ट कर दिया जायेगा। जमीन हर जेल को तकनीक रुप से समृद्ध कर दिया जायेगा। कि सुरक्षा के लिए जो हम व्यक्तियों पर निर्भर हैं हम मशीनों के द्वारा ही कर सकते हैं। -सुभाष चन्द शाक्य, मेरठ परिक्षेत्र-पुलिस उपमहानिरीक्षक कारागार