- आधी रात को गुर्जर क्रांतिकारियों ने तहस नहस कर दी थी विक्टोरिया पार्क जेल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: ‘भारत मां के अमर सपूतों, पथ पर आगे बढ़ते जाना, पर्वत नदियां और समंदर, हंस कर पार सभी कर जाना’। जंग ए आजादी के दीवानों को समर्पित यह पंक्तियां जब स्वतंत्रता सेनानियों के कानों में रस की तरह घुलती तो उनके हौंसले सातवें आसमान पर होते थे। ‘मैं अकेला ही चला था जाबिन ए मंजिल मगर, लोग आते गए और कारवां जुड़ता गया’। जी हां यह वही कारवां था जिसने इस मुल्क को फिरंगी बेड़ियों से आजादी का दिलकश मंजर दिखाया।
जब जंग ए आजादी का दौर था। उस समय मेरठ इसका प्रमुख केन्द्र था। यहां पर अंग्रेजी हुकूमत ने स्वतंत्रता सेनानियों को कैद करने के लिए विक्टोरिया पार्क में एक विशाल जेल का निर्माण कराया था। इस जेल में अंग्रेजी फौज स्वतंत्रता सेनानियों के साथ उन लोगों को कैद करती थी जो अंग्रेजी हुकूमत को लगान नहीं देते थे। इस जेल में हर वक्त लगभग 800 कैदी बंद रहते थे। स्वतंत्रता सेनानियों की नजर हमेशा इस जेल पर रहती थी।
1854 से लेकर 1896 तक यह जेल कायम रही। जब यह जेल स्वतंत्रता सेनानियों की आंखों में खटकने लगी तब एक दिन जंग ए आजादी के दीवानों ने इस जेल पर हमला कर जेल को तोड़ डाला और अपने साथियों को रिहा कर ले गए। जेल टूटने की सूचना जब मेरठ के उत्तर भाग में रहने वाले गुर्जन क्रांतिकारियों को लगी तो उन्होंने उसी रात इस जेल पर आक्रमण कर इसे तहस नहस कर दिया था।
इसके बाद यह पब्लिक पार्क में तब्दील हो गया। विक्टोरिया पार्क जंग ए आजादी का एक महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि जब मेरठ में 10 मई की क्रांति का आगाज हुआ तब मेरठ के क्रांतिकारी सिपाहियों ने अपनी लाइनों से निकल कर अपने घोड़ों पर सवार होकर सीधे पहले इस जेल पर हमला किया और इस जेल को तोड़कर वहां जो इनके 85 क्रांतिकारी कैद किए गए थे उनको वहां से रिहा करा दिया। स्वतंत्रता सेनानियों के साथ लुहार भी थे जिन्होंने वहीं जेल के बाहर इन कैद किए गए लोगों की बेड़ियों को काट डाला। फिर यह लोग शहर के अंदर पहुंंचे और वहां से एक हुजूम ने दिल्ली की ओर कूच कर दिया।
जेल का टूटना आजादी का टर्निंग प्वॉइंट था
विक्टोरिया पार्क जेल का टूटना आजादी का एक टर्निंग प्वॉइंट था। जेल टूटते ही जंग ए आजादी के दीवानों के हौंसले बुलंद हो गए और उसके बाद तो तमाम स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजी हुकूमत के अफसरों की नाक में नकेल डाल दी थी।
इसी विक्टोरिया पार्क मैदान से हुई थी भविष्यवाणी
इसी विक्टोरिया पार्क में नवंबर 1846 के दौरान गुलाम भारत में जब इंडियन नेशनल कांगे्रस का आखिरी अधिवेशन हुआ तब यहां पं. जवाहर लाल नेहरू की मौजूदगी में आचार्य कृपलानी ने ने घोषणा की थी कि कांग्रेस का अगला अधिवेशन अब गुलाम भारत की जगह आजाद भारत में होगा। उनकी यह भविष्यवाणी सही साबित हुई और कुछ ही समय बाद देश आजाद हो गया।