सोमवार देर रात डिस्चार्ज बढ़कर हुआ 2.9 लाख क्यूसेक
खादर में फिर गहराने लगा बाढ़ का संकट
खादर के किसानों के माथे पर पेशानी के बल
जनवाणी सवाददाता |
हस्तिनापुर: एक बार फिर से गंगा अपना रौद्र रूप दिखाने लगी है। जिसके चलते खादर के किसानों के माथे पर पेशानी के बल साफ दिखाई देने लगे हैं। गत एक माह से गंगा नदी का जलस्तर कभी घट रहा है तो कभी बढ़ रहा है। जलस्तर में लगातार उतार-चढ़ाव जारी है। जलस्तर के उतार-चढ़ाव के साथ-साथ ग्रामीणों के दिल भी हिचकोले ले रहे हैं।
आखिर बाढ़ की समस्या से कब निजात मिलेगी और कब पेट पालने के लिए वह खेती को पुन: संभाल सकेंगे। उधर, बिजनौर बैराज से सोमवार देर रात गंगा नदी का डिस्चार्ज बढ़कर 2.9 लाख क्यूसेक हो गया। जिसके चलते मंगलवार को गंगा जलस्तर में फिर से वृद्धि होने लगी।
गंगा में बाढ़ के हालात ग्रामीणों के लिए मुश्किल बनकर रह गए हैं। अब भी कुछ पता नहीं है कि कब तक गंगा नदी में बाढ़ के हालात रहेंगे। बरसात का मौसम चल रहा है, गंगा का जलस्तर कभी घटता है तो कभी तेजी के साथ बढ़ता है। घटता बढ़ता पानी फसले नष्ट कर चुका है। बीमारियों को जन्म दे चुका है। हालांकि अपर जिलाधिकारी सूर्यकांत त्रिपाठी ने चिकित्सीय टीमों को बाढ़ चौकियों से संपर्क कर ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात रहने के निर्देश दिए हैं।
गंगा नदी में सोमवार को हरिद्वार से डिस्चार्ज बढ़कर 1 लाख 80 हजार क्यूसेक तो बिजनौर बैराज से 2 लाख 9 हजार क्यूसेक हो गया। जिसके चलते मंगलवार को गंगा जलस्तर में फिर से वृद्धि होने लगी।
गंगा के जलस्तर में एक बार फिर हुई वृद्धि से ग्रामीणों के दिलों की धड़कनें तेज होने लगी है। बाढ़ प्रभावित गांव के लोगों का कहना है कि बाढ़ पहले ही उनकी फसलों को बर्बाद कर चुकी है। गंगा के जलस्तर में फिर से हो रही वृद्धि उनकी आने वाली फसलों की बुवाई को प्रभावित कर सकती है।
मानसून ने दिया साथ तो बाढ़ ने किया सबकुछ बर्बाद
गंगा किनारे खेती कर रहे लोगों का कहना है कि शुरुआत के समय मानसून ने साथ नहीं दिया। मानसून का साथ मिला तो जैसे-तैसे कर्ज लेकर धान व अन्य फसलोें की रोपाई की। फतेहपुर प्रेम, शेरपुर, भीकुंड, हंसापुर, परसापुर, खेड़ीकलां आदि के किसानों ने धान के साथ सब्जी की फसले भी लगाई गई थी।
लेकिन इस बार गंगा नदियों में बाढ़ के कारण फसले डूब गई और किसानों के अरमान पर भी पानी फिर गया। साहूकारों का कर्ज उनके सिर पर खड़ा है। ऐसे में अगली फसल की बुवाई समय पर नहीं हुई तो परिवारों के सामने भूखे मरने की नौबत आ जायेगी।
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