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जर्जर सभागार में भर रहे विकास कराने का दम

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जर्जर सभागार में भर रहे विकास कराने का दम
  • जर्जर हालत में सरधना पालिका का सभागार
  • दो साल पहले छोड़ा था मरम्मत का टेंडर, आज तक नहीं हुआ पूरा

जनवाणी संवाददाता |

सरधना: जिस नगर पालिका की जिम्मेदारी सरधना का विकास करना है, वह खुद विकास के लिए तरस रही है। हालत यह है कि छोटी विधानसभा यानी बोर्ड बैठक के लिए बना सभागार सालों से जर्जर हालत में पड़ा है। दीवारों से प्लास्टर उखड़ा पड़ा है तो छत भी आधी अधूरी बनी हुई है। चेहरों से टपकते पसीने के बीच सभासद विकास कार्यों के प्रस्ताव रखते हैं।

ऐसा नहीं है कि पालिका को सभागार के अच्छे दिन पसंद नहीं है। मरम्मत और सौंदर्यकरण का टेंडर भी छोड़ रखा है। मगर दो साल से काम अधर में लटका हुआ है। कई बार नोटिस जारी करने के बाद भी ठेकेदार काम पूरा करने को तैयार नहीं है। जिसका नतीजा यह है कि जर्जर सभागार में ही कस्बे का विकास करने के दावे किए जा रहे हैं। कुल मिलाकर नगर का विकास करने का दम भरने वाली पालिका खुद अपने विकास को लेकर जूझ रही है। जो दीया तले अंधेरा होने वाली बात है।

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सरधना का विकास करने की जिम्मेदारी नगर पालिका परिषद की है। नगर को विकसित करने के लिए पालिका में समय-समय पर छोटी विधानसभा यानी बोर्ड बैठक सजती है। जिस सभागार में सदन बोर्ड बैठक करके सरधना को विकसित करने के फैसले लेता है, वह खुद विकास के लिए तरस रहा है। यह भवन पालिका की सबसे पुरानी इमारत है। पिछले कार्यकाल में पूर्व चेयरमैन ने इसकी मरम्मत कराई थी।

मगर समय के साथ भवन फिर से जर्जर हालत में पहुंच गया। भवन की मरम्मत और सौंदर्यीकरण के लिए पालिका द्वारा करीब दो साल पहले 12 लाख रुपये का ठेका छोड़ा गया था। जिसके तहत दीवारों की मरम्मत, छत के साथ एयरकंडीशनर लगाना था। सभागार में काम शुरू किया गया। दीवारों को उधेड़ा गया और छत बनाने का कार्य चालू हुआ। मगर यह काम आज तक पूरा नहीं हो सका है।

पालिका की ओर से ठेकेदार को दो बार नोटिस भी जारी किया जा चुका है। फिर भी कोई असर नहीं हुआ। जिसके चलते इस जर्जर सभागार में ही बैठकर सदन नगर का विकास कराने का दम भर रहा है। मतलब जिस पालिका पर नगर का विकास करने की जिम्मेदारी है, वह खुद अपने विकास के लिए जूझ रहा है। ऐसे में सवाल यही उठता है कि जो अपना विकास नहीं कराने पा रहे हैं, वह नगर का विकास कैसे करेंगे।

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फिलहाल पालिका में दीया तले अंधेरा हो रहा है। वहीं, इस संबंध में चेयरपर्सन नगर पालिका सरधना सबीला अंसारी का कहना है कि ठेकेदार को दो बार नोटिस जारी किए जा चुके हैं। इसके बाद भी यदि शीघ्र कार्य पूरा नहीं होता है तो जमानत राशि जब्त करके नए सीरे से टेंडर छोड़कर कार्य पूरा कराया जाएगा।

12 लाख का ठेका, समय दो महीने

पालिका द्वारा जनवरी 2020 में डा. एपीजे अब्दुल कलाम सभागार की मरम्मत व सौंदर्यीकरण का ठेका छोड़ा गया था। करीब 12 लाख रुपये के ठेके के अनुसार दो महीने में यह काम पूरा होना था। मगर दो साल होने पर भी यह कार्य पूरा नहीं हो सका है। फिलहाल सभागार पहले भी खराब हालत में है। क्योंकि एसी व विद्युत लाइन बिछाने के लिए दीवारें खुदी पड़ी हैं।

नोटिस का भी नहीं हो रहा असर

ठेका छूटने के बाद सभागार में कार्य शुरू हो गया था। लगा था कि सभागार जल्द नए अंदाज में देखने को मिलेगा। मगर कुछ दिन काम चला और फिर बंद हो गया। काम पूरा कराने के लिए पालिका ने ठेकेदार को नोटिस जारी किया। कोई असर नहीं हुआ तो दूसरा नोटिस भेजा गया। इसके बाद भी कोई फर्क नहीं पड़ा। नतीजा यह है कि कार्य आधी अधूरी हालत में है।

पालिका का सबसे पुराना भवन

नगर पालिका में डा. एपीजे अब्दुल कलाम सभागार सबसे पुरानी इमारतों में से एक है। बताया जाता है कि यह इमारत अंग्रेजों के जमाने यानी आजादी से पहले की है। पहले पालिका इस छोटे से भवन में ही संचालित होती थी। समय के साथ पालिका की विस्तार और मगर इस भवन के दिन नहीं सुधरे। पिछले कार्यकल में पूर्व चेयरमैन ने सभागार का सौंदर्यीकरण कराया था। मगर हालत फिर से खराब हो गई थी। आज भी यह सभागार अपनी अस्तीत्व की जंग लड़ रहा है।