Saturday, July 27, 2024
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लोहियानगर विस्फोट की पांच मौत का असली राज मलबे में दफन

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  • घटना को पुलिस ने अपने तरीके से खूब तरोड़-मरोड़ कर की पेश

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: लोहियानगर के एम पॉकेट स्थित एक बिल्डिंग के गोदाम में पटाखे बम विस्फोट की घटना को पुलिस ने अपने तरीके से तरोड़ मरोड़ कर पेश तो किया ही। लेकिन हैरत की बात ये है कि जिसे विस्फोटक का मुख्य आरोपी बनाया वह तो एक मोहरा मात्र था। उसके पीछे की कहानी तो सत्तासीन सफेदपोश के हाथों रची गई थी। विस्फोट में बचे एक शख्स के जरिये कंही कोई राजफाश न हो जाये। पुलिस उस शख्स को चार दिन तक खाकी की चादर में छुपाये घूमती रही। पूरा सिस्टम बारुद के विस्फोट की इस कहानी पर पर्दा डालने में जुटा है।

लोहिया नगर क्षेत्र एम पॉकेट 307-308 बिल्डिंग के गोदाम में विस्फोट से हुई पांच लोगों की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है। यह सवाल अपने आप में वाक ई चौंकाने वाला है। विस्फोट की इस कहानी के पीछे सिस्टम पर कई सवाल खड़े होना लाजिमी है। चूँकि जब विस्फोट हुआ तो थोड़ी देर बाद ही प्रशासनिक अफसरों का बयान वायरल हुआ कि साबुन फैक्ट्री चल रही थी। विस्फोट के मात्र दो घंटे बाद ही पुलिस प्रशासनिक अफसरों क ा साबुन फैक्ट्री होने का पुख्ता बयान बड़ा ही संदेहास्पद था। जिस बड़े धमाके में अंदर काम करने वाले पांच लोगों की मौत हो गई। चंद सेकंड में पूरी बिल्डिंग जमींदोज हो गई। उस बिल्डिंग में साबुन फैक्ट्री में विस्फोट की कहानी का अस्तित्व कैसे शुरु हुआ और अंत कैसे हो गया।

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यह बड़ा सवालिया और रहस्यमयी है। जिस विस्फोट को पुलिस प्रशासन साबुन फैक्ट्री कहकर चल रहा था। वहीं उस विस्फोट को लोहिया नगर के स्थानीय लोग चिल्ला चिल्लाकर कह रहे थे कि यहां बम पटाखे बनाये जा रहे थे, लेकिन सबूत के तौर पर एनडीआरएफ ने भी एक बम को वहां से बरामद कर पुलिस प्रशासन की जुबान पर विराम लगा दिया था। सबसे बड़ी हैरत की बात ये है कि जिस गौरव गुप्ता को पुलिस ने मुख्य आरोपी बनाकर विस्फोट की पूरी पटकथा उसके इर्द गिर्द जोड़ दी। वह वास्तव में संदेहास्पद प्रतीत होती है।

गौरव गुप्ता इतने बड़े स्तर पर कैसे अकेला पटाखों का निर्माण कर रहा था। वह गैर जिलों से लेकर दूसरे राज्यों में भी सप्लाई करने वाला था। उसके साथ कौन से ऐसे लोग थे जो उसे आर्थिक मदद पहुंचा रहे थे। पटाखों और बम बनाने के लिए उसने अपनी रिश्तेदार गुड़िया के माध्यम से ही उन रिश्तेदारों को एकत्र किया जो वास्तव में बम और पटाखे बनाना जानते थे। पुलिस उस चश्मदीद के बारे में आज तक नहीं बता पाई कि आखिर वह शख्स विस्फोट के बाद बचने वाला एकमात्र कौन था। उसे पुलिस ने क्यों थाने में चार दिन से ज्यादा बैठाये रखा।

पुलिस को जानकारी थी कि विस्फोट से पहले रिंकू नाम का वह शख्स दूध लेने गया था। इसलिए वह अकेला ही शख्स है जो जिंदा बचा है। रिंकू को पूरे गोदाम की जानकारी थी कि उसको संचालित करने वाले कौन लोग हैं। बिल्डिंग मालिक संजय गुप्ता का इसमें क्या रोल है। वहीं बिहार के पांच लोगों की मौत के पीछे विस्फोट की कहानी का असली राजदार वह शख्स है जो ऐेन वक्त पर दूध लेने चला गया था। पुलिस ने उस ज्ािंदा चश्मदीद को अपनी डायरी में मलबे में दफन कर विस्फोट की कहानी पर पूरी तरह पर्दा डाल दिया।

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