Sunday, May 18, 2025
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हड़ताल ने बिगाड़ा रोडवेज का गणित

  • इमेज सुधारने के लिए यात्रियों की कमी के बावजूद चलाई जा रहीं सभी बसें

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: नए साल का पहला हफ्ता उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के लिए घाटे का सौदा साबित हुआ है। पहले दो दिन चली ड्राइवर की हड़ताल में विभाग ने प्राइवेट करोड़ रुपये का घाटा वहन किया है। इसके बाद चलाई जा रही सभी बसों को कड़ाके की ठंड के बीच 50 प्रतिशत से भी कम लोड फैक्टर मिल पा रहा है। हिट एंड रन केस को लेकर जारी किए गए संशोधित कानून के विरोध में देशभर में चालकों ने दो दिन तक हड़ताल की। इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से यह आश्वासन दिया गया कि संशोधित कानून चालकों के प्रतिनिधियों से बात करने के बाद ही लागू किया जाएगा।

इस बीच साल के पहले दोनों दिन परिवहन निगम के चालकों ने भी बसों का चक्का जाम रखा। अधिकारियों के प्रयास के बावजूद बसों का संचालन नियमित रूप से नहीं हो सका। स्थिति यह रही कि अकेले मेरठ परिक्षेत्र की बात की जाए तो चालकों की हड़ताल में यहां प्रतिदिन औसतन 2.25 लाख किलोमीटर प्रतिदिन चलने वाली यूपी परिवहन निगम की 773 बसें दो दिन की हड़ताल के दौरान केवल 1.34 लाख किलोमीटर ही चल सकीं। हड़ताल के दो दिनों के दौरान मेरठ परिक्षेत्र में निगम को डेढ़ करोड़ से अधिक का घाटा उठाना पड़ा।

विभागीय अधिकारियों ने तीन जनवरी से निगम की बसों को नियमित रूप से संचालित कर दिया है। वर्तमान स्थिति यह है कि मेरठ परिक्षेत्र में मौजूद 773 में से अधिकांश बसें रोड पर हैं, लेकिन इनमें 50 प्रतिशत भी लोड फैक्टर नहीं मिल पा रहा है। इसे आम भाषा में यूं समझ सकते हैं कि बस की कुल सिटिंग क्षमता के विपरीत आधी क्षमता के अनुसार भी यात्री सफर नहीं कर पा रहे हैं। कड़ाके की ठंड के बीच लोग अपने घरों में दुबके रहने के लिए मजबूर हो गए हैं। यात्री बहुत जरूरी होने पर ही सफर कर रहे हैं।

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आंकड़ों के आईने में स्थिति बीते तीन दिनों की भी कोई बहुत अच्छी नहीं है। तीन जनवरी को 522 बसें मार्ग पर रहीं, जिन्होंने 84 हजार किलोमीटर का सफर तय किया। चार जनवरी को 618 बसों ने 1.25 लाख किलोमीटर का सफर तय किया। जबकि पांच जनवरी को 634 बसों ने 1.95 लाख किलोमीटर का सफर तय किया है। मौजूदा स्थिति यह बनी हुई है कि परिवहन निगम की बसों के संचालन पर आय से अधिक खर्च हो रहा है। डीजल, स्टाफ के वेतन और यात्रियों की संख्या का गुणा भाग करके देखा जाए तो फिलहाल बसों का संचालन विभाग के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है।

सिटी बसों की आय में 25 प्रतिशत की कमी

महानगर सेवा के अंतर्गत संचालित होने वाली इलेक्ट्रिक, सीएनजी तथा वोल्वो बसों की आय पर भी मौसम की मार पड़ी है। महानगर और ग्रामीण क्षेत्र को जोड़ने वाली इन बस सेवाओं के जरिये विभाग को प्रतिदिन करीब आठ लाख रुपये तक की आय प्राप्त होती है। इस बीच साल के पहले तीन दिन चालकों की हड़ताल की भेंट चढ़ गए। संचालन प्रभारी सचिन सक्सेना का कहना है कि चार जनवरी से बसों का संचालन नियमित रूप से किया जा रहा है, लेकिन इस बीच कड़ाके की ठंड के चलते यात्री पर्याप्त संख्या में नहीं निकाल पाए हैं। इस दौरान प्रतिदिन औसतन आठ लाख रुपये के कलेक्शन के विपरीत यह आंकड़ा छह लाख रुपये तक ही पहुंच पाया है।

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