जन्म से लेकर
जीवन की अंतिम यात्रा तक
रिश्तों की दुनिया से जुड़ा है आदमी
परिवार से शुरू होती है
रिश्तों की एबीसीडी
यहीं पर मिलता है रिश्तों को
फलने-फूलने के लिये स्नेह, प्यार, सहयोग
और जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा।
त्याग, सहानुभूति से भरी अपने पन की भावना
रिश्तों में लाते हैं प्रगाढ़ता
जब रिश्ते तुलने लगें हानि-लाभ के गणित से
और सिंचित हो छल-कपट-लालच से
तो पड़ जाती है गांठ रिश्तों में
तब नहीं मिल पाती इन्हें लंबी उम्र
दरक पड़ते हैं कभी भी।
रिश्तों को सदा हरा-भरा बनाये रखने के लिए
इन्हें करना होता है संचालित
स्नेह, प्यार कृतज्ञता से
आखिर रिश्तों की दुनिया ही लाती है
आदमी से सम्पन्नता, सुरक्षा और बढ़ाती है
सुखद भविष्य की प्रगति की ओर
ये बिखरते हैं जीवन में इन्द्र धनुषी रंग
लम्बा सिलसिला है आदमी की जिन्दगी में
रिश्तों की दुनिया का।
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