Friday, March 29, 2024
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इस बार डोली पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा

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  • इस बार सिर्फ आठ दिन का होगा नवरात्र पर्व

जनवाणी ब्यूरो |

सहारनपुर: शारदीय नवरात्र को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। बाजार में पूजा सामग्री व व्रत के खाद्य पदार्थों की खेप उतरने लगी है। हिंदुओं की अगाध आस्था का प्रतीगक यह महापर्व इस बार सात अक्टूबर से शुरू हो रहा है। यह महापर्व 14 अक्टूबर को समाप्त होगा। इसके साथ ही बुराई पर अच्छाई का प्रतीक विजयदशमी का त्योहार 15 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हिंदू पंचाग के अनुसार इस बार पंचमी व षष्ठी तिथि एक ही दिन होने के कराण नवरात्रि पर्व आठ दिन का ही रहेगा।

आचार्य शुभम कौशिक के अनुसार इस साल मां दुर्गा का आगमन पालकी (डोली) पर हो रहा है। लेकिन दशमी शुक्रवार को होने से माता का प्रस्थान हाथी पर हो रहा है जो अति फलदायक रहेगा। इसके चलते नई स्फूर्ति, नव चेतना का संचार होगा। साथ ही सुख-समृद्धि की भी प्राप्ति होगी।

सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरुपों की पूजा-अर्चना की जाती है। मां को प्रसन्न करने के लिए भक्तों द्वारा नौ दिन तक व्रत भी रखा जाता है। तो वहीं कुछ भक्त दो दिन व्रत रखकर भी मां की पूजा अर्चना करते हैै। नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहर्त में कलश स्थापना की जाती है।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

शारदीय नवरात्र के पहले दिन घट या कलश स्थापना की जाती है। इस दौरान भक्तों द्वारा सामर्थ्य के अनुसार व्रत रखने का संकल्प लिया जाता है। आचार्य शुभम कौशिक के अनुसार इस वर्ष कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 7 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 17 मिनट से सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक है। घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक है। कलश स्थापना निषिद्ध चित्रा नक्षत्र के दौरान की जाएगी।

कलश या घट स्थापना की विधि:

भक्तगण नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर नहा ले। तत्तपश्चात नए वस्त्र धारण करने के बाद कलश को पूजा घर में रखें। इसके बाद मिट्टी के घड़े के गले में पवित्र धागा बांधे। अब कलश के नीचे मिट्टी के ऊपर जौ के बीज डाल दें। इसके बाद कलश में पवित्र जल भरकर उसमें सुपारी, गंध, अक्षत, दूर्वा घास और सिक्के डालें। उसके बाद भक्तगण कलश के मुख पर एक नारियल रखें। तत्तपश्चात कलश को आम के पत्तों से सजाएं। इसके साथ ही जौ के बीजों को आम के पत्तों से भी ढक सकते हैं।

किस दिन करें कौन से रूप की पूजा:

  • 7 अक्तूबर- घटस्थापना व मां शैलपुत्री पूजा
  • 8 अक्तूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
  • 9 अक्तूबर- मां चंद्रघंटा पूजा
  • 10 अक्तूबर- मां कुष्मांडा पूजा
  • 11 अक्तूबर- मां स्कंदमाता और मां कात्यायनी पूजा
  • 12 अक्तूबर- मां कालरात्रि पूजा
  • 13 अक्तूबर- मां महागौरी पूजा
  • 14 अक्तूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा
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