Saturday, June 10, 2023
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HomeUttar Pradesh NewsMeerutघिरकर आए बदरा संग बरसा अन्नदाता की आंख से पानी

घिरकर आए बदरा संग बरसा अन्नदाता की आंख से पानी

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  • देहात क्षेत्र में आलू, मटर के बाद बेमौसम बरसात से तबाह हो गई गेहूं और सरसों की फसलें, किसानों की पेशानी पर बल
  • किसान बोले-कर्ज लेकर बुवाई थी गेहूं एवं सरसों की फसल
  • बारिश के कारण गेहूं, सरसों व आम की फसल को भारी नुकसान, किसानों ने प्रशासन से की मुआवजे की मांग

जनवाणी संवाददाता |

किठौर: मौसम की मार ने इस बार अन्नदाता को बबार्दी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। पहले बेवक्त बढ़े तापमान से एक साथ तैयार हुई अगेती-पछेती मटर औने-पौने दामों में बेचनी पड़ी तो अधिक बुवाई के कारण आलू भी सस्ते में गया। दोनों फसलों में घाटा खाए किसान को गेहूं और सरसों से राहत की उम्मीद थी। इस पर बेमौसम बरसात ने पानी फेर दिया। आलम यह है कि तीन दिन से घिरे बदरा के साथ बेबस किसान की आंखों से बराबर पानी बरस रहा है।

वैसे तो गेहूं और गन्ने को किसान की नकदी फसल माना जाता था किंतु प्रौद्योगिकी के युग में आलू, मटर, सरसों जैसी फसलें भी किसान को काफी आर्थिक लाभ पहुंचाती हैं, लेकिन इस बार मौसम की मार ने किसान को कंगाली के दलदल में धंसा दिया है। वजह शुरू फरवरी में बेवक्त बढ़े तापमान से न सिर्फ अगेती-पछेती मटर की फसल एक साथ तैयार हुई बल्कि उत्पादन और रेट भी एक तिहाई रहा।

इससे किसान की लागत भी नही लौटी और वह बड़े नुकसान में पहुंच गया। यही स्थिति आलू की रही अधिक बुवाई के चलते आलू ने भी बाजार में भाव नही पाया। दो फसलों में घाटा झेल चुके किसान को गेहूं और सरसों से थोड़ी राहत की उम्मीद थी उस पर भी कहर बनकर आई बेमौसम बरसात ने पानी फेर दिया। किसानों की आधी से अधिक गेहूं और सरसों की फसलें बरसात में ढहकर तबाह हो गईं।

जिससे किसान के सामने खाद्यान और पशुचारे का संकट मुंह बाए खड़ा है। उसे पशुपालन से होने वाले आर्थिक लाभ पर खतरा भी मंडराता दिख रहा है। शायद यही वजह है कि तीन दिन से घिरे बादलों के साथ बेबस किसान की आंखें बराबर बरस रही हैं।

बारिश तबाही: गेहूं-सरसों नष्ट, आम पर भी तबाही

मवाना: मार्च महीने के अंतिम छोर में मौसम की करवट एवं लगातार हो रही बारिश ने किसानों की फसल नष्ट कर हो गयी है। लगातार दो दिन से हो रही बारिश ने खिल खिलाती किसानों की गेहूं एवं सरसों की फसल को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। किसानों का कहना है कि ठेके पर जमीन लेने के साथ बैंक से किसान क्रेडिट लोन लेकर मौसम के अनुसार खेती करने का प्रयास किया था। बारिश ने हमारे सपने धूमिल कर दिये।

कर्ज लेकर खेती की, लेकिन नुकसान बहुत हो गया। हम बच्चों को क्या खिला पाएंगे। तीन दिन से रुक-रुककर हो रही बारिश ने किसानों की फसल नष्ट भले ही कर दी है, लेकिन जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बारिश के बाद दिनभर किसानों के खेतों में खडी लहलहाती गेहूं एवं सरसों की फसल ढहने के साथ पानी मे गिर गयी है। मवाना खुर्द गेहूं की बुवाई करने वाले किसान दिनेश कुमार, संजीव कुमार एवं मुकेश सिंह ने बताया कि उनके द्वारा महंगाई को लेकर गेहूं एवं सरसों की फसल की पैदावार की थी लागत करीब 50 हजार रुपये से ज्यादा की,

लेकिन बारिश के बाद सपने धूमिल हो गये। उन्होंने मांग उठाते हुए कहा कि सरकार आपदा के बाद नष्ट हुए फसलों का वाजिब दाम पीड़ित किसानों को दे। इसी क्रम में तहसीलदार आकांक्षा जोशी ने जनवाणी संवाददाता से विशेष रूप से बात कहते हुए कहा कि बारिश के दौरान किसानों के साथ पशु हानि,

जनहानि आदि समस्याओं का समाधान के लिए राजस्व विभाग की टीम के साथ आरके विभाग की टीम को तैनात कर किसानों के बीच भेजा है। टीम के अनुसार रिपोर्ट आने पर फसलों का वाजिब दाम पीड़ित किसानों को दिलाने का काम किया जाएगा।

किसानों पर बारिश का कहर, खेतों में खड़ी फसल हुई ढेर

सरधना: बेमौसम हुई बारिश आसमान से किसानों ऊपर कहर बनकर बरसी है। लगातार हुई बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। बारिश के कारण खेतों में खड़ी गेहूं के अलावा सरसों व आम की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है। जहां गेहूं की फसल गिर गई है। वहीं कटी पड़ी सरसों बर्बाद हो गई। पेड़ों पर लगा आम का बोर टूट गया। बारिश हर तरह से किसानों पर आफत बनकर बरसी है।

मगर बेबस किसान फसलों को बर्बाद होते देखने के अलावा कुछ नहीं कर सका। किसानों ने प्रशासन से सर्वे कराके नुकसान के मुआवजे की मांग की है। पिछले कई दिन से मौसम का मिजाज बदला हुआ है। रुक-रुककर बारिश का सिलसिला जारी है। ऐसे में बारिश ने सबसे अधिक नुकसान किसानों को पहुंचाया है। क्योंकि खेतों में गेहूं की फसल पकड़े की तैयारी है, सरसों खेतों में कटी हुई पड़ी है और आम के पेड़ बोर से ढके पड़े हैं।

ऐसे में बेमौसम हुई बारिश ने सभी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। किसान अशोक सिरोही का कहना है कि बारिश के कारण गेहूं व सरसों की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा है। जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। कई स्थानों पर तो ओलवृष्टि भी हुई है। खासतौर पर छोटे किसान बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं। ऐसे में प्रशासन को चाहिए की सर्वे कराएं और किसानों को मुआवजा देने का का करें।

किसान अजय त्यागी उर्फ पिंटू का कहना है कि बारिश के कारण सबसे अधिक नुकसान गेहूं व सरसों की फसल को पहुंचा है। खेतों में खड़ी गेहूं की फसल गिर गई है। पहले की किसान आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। ऐसे में आसमान से किसानों के ऊपर आफत बरसी है। छोटे किसानों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा है। सरकार ऐसे किसानों को मुआवजा दे, जिनको नुकसान पहुंचा है।

किसान व प्रधान दिनेश सोम का कहना है कि बारिश से किसानों को सिर्फ नुकसान हुआ। खेतों में खड़ी हर एक फसल को नुकसान पहुंचा है। गेहूं व सरसों की फसल बर्बाद हो गई। पेड़ों पर लगे आम के बोर को नुकसान पहुंचा है। खेतों में पानी भरने से गन्नें की कटाई भी बाधित हो गई है। बारिश से किसानों को हुए नुकसान की सरकार भरपाई कराए। इसके लिए सर्वे कराकर पीड़ित किसानों को मुआवजा दिलाए। किसान उमेश शर्मा का कहना है कि बारिश के कारण सभी फसल को नुकसान पहुंचा है। बारिश के चलते गेहूं के उत्पादन पर भी बहुत असर पड़ेगा।

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