- भीषण गर्मी और बेहाल जानवर, हस्तिनापुर वन के जानवरों को अब नहीं होगी पानी की दिक्कत
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: हस्तिनापुर वन क्षेत्र के जंगली जानवर पानी की तलाश में गांवों की ओर रुख ने करे इसके लिए वन विभाग की ओर से नया तरीका निकाला गया है। वन विभाग जानवरों को जंगल में ही रोकने के लिए अब वहां मानव निर्मित वॉटर होल्स बना रहा है।
बता दें कि इस वर्ष मार्च माह से ही पूरे प्रदेश में गर्मी अपने चरम पर है। ऐसे में न केवल इंसान बल्कि जानवर भी गर्मी की तपिश से बेहाल है। बढ़ती गर्मी के सितम को देखते हुए मेरठ वन विभाग की ओर से हस्तिनापुर के जंगल में 15 स्थायी वॉटर होल्स बनाए हैं। जिसके लिए एक टीम बनाई गई थी जो लगातार वॉटर होल्स की निगरानी करेगी।
ताकि उनमें किसी भी सूरत में पानी कम न हो पाए। वन अधिकारी लगातार प्रयास कर रहे हैं कि जंगली जानवर पानी की तलाश में जंगल से बाहर न आए। क्योंकि गर्मी के मौसम में नदी और नाले सूख जाने की वजह से अक्सर जंगली जानवर पानी की तलाश में जंगल से बाहर आने लगते हैं और वह ऐसे में इंसानी दायरे में भी जाने से नहीं चूकते हैं।
जानवरों के बाहर आने पर इंसानों द्वारा उन पर हमले की घटनाएं भी बढ़ जाती है। सूत्रों के मुताबिक हस्तिनापुर के जंगल में तेंदुआ, हिरण, सांभर, बारहसिंघा, जंगली सूकर, बंदर, लंगूर और नील गाए आदि की अच्छी खासी संख्या हैं, जोकि इस समय गर्मी से परेशान है और ठंड की तलाश में दिन गुजार रहे हैं।
डीएफओ राजेश कुमार का कहना है कि जानवरों को पानी के लिए इधर-उधर न भटकना पड़े उसके लिए वॉटर होल्स की व्यवस्था की गई है। पूरी सेंचुरी क्षेत्र में 15 सीमेंट के वॉटर होल्स बनाए गए हैं। जिनमें हर चार दिन बाद पानी भर दिया जाता है। इसके अलावा अस्थायी वॉटर होल्स भी बनाए गए हैं।
इनमें भी पानी की व्यवस्था की जा रही है। इसके अलावा नहर, नालों और पोखरों में जाकर भी जानवर अपनी प्यास बुझा रहे है। जंगल में इन दिनों पानी की जबरदस्त कमी महसूस की जा रही है। अस्थायी वॉटर होल्स में टैंकरों के माध्यम से पानी भरा जा रहा है। वहीं, हस्तिनापुर सेंचुरी का मौजूदा क्षेत्रफल करीब 2073 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। वर्ष 1986 में गंगा नदी के दोनों तरफ के इलाकों को मिलाकर हस्तिनापुर सेंचुरी बनाई गई थी।
धारा 18-ए के तहत वन विभाग सेंचुरी का अधिग्रहण का नोटिफिकेशन जारी किया गया था। इस वन रेंज में हजारों जानवर अपना जीवन व्यापन कर रहे हैं। गर्मी के मौसम में अब प्राकृतिक स्त्रोत पानी के सूख जाते हैं तब जानवरों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है। ऐसे में वन विभाग की जिम्मेदारी है कि वह इन विकट परिस्थितियों में बेजुबानों के लिए पानी की व्यवस्था करे।