Saturday, July 27, 2024
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आस्था का सबसे महत्वपूर्ण भाग है जल

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  • प्रकृति से छेड़छाड़ का नतीजा था कोरोना, प्रकृति और प्रभू में नहीं है कोई अंतर

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: विश्च जल दिवस के मौके पर सोमवार को आरजी पीजी कॉलेज में जागरुक नागरिक एसोसिएशन के तत्वाधान में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसका विषय था जल संरक्षण। कार्यक्रम में पदम भूषण सम्मान से नवाजे गए एवं पर्यावरणविद् डॉ.अनिल जोशी मुख्य अतिथि के रुप में मौजूद रहे। इस दौरान उन्होंने छात्राओं को संबोधित किया और पोस्टर प्रतियोगिता में स्थान पाने वाली छात्राओं को सम्मानित किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ कॉलेज प्राचार्या डॉ. दीपशिखा ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर किया। उसके बाद मुख्य वक्ता डॉ.अनिल जोशी ने विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हम सभी को मिलकर आने वाली पीढ़ी की चिंता करनी होगी और उनके लिए पानी की बूंद-बूंद बचानी होगी। यदि समय रहते पर्यावरण और जल संरक्षण के लिए नहीं चेते तो वह दिन दूर नहीं जब जिंदा रहने के लिए आॅक्सीजन का सिलेंडर रखना होगा और पानी की राशनिंग होगी।

वहीं उन्होंने शहरी लोगों के बारे में वार्ता करते हुए कहा कि इनसे अधिक ग्रामीण परिवेश के लोग पर्यावरण और जल सरंक्षण के बारे में जानते है। आज भी कुछ जगहों पर 30 से 40 फीसदी महिलाएं पानी दूर-दराज के क्षेत्रों से लेकर आती है। शहर के लोग केवल बच्चों को एबीसीडी पढ़ाने का काम कर रहे है अन्य ज्ञान नहीं दे रहे। प्रकृति को नकारोगे तो वह तुम्हें कभी माफ नहीं करेगी।

उन्होंने कहा कि कोरोना भी प्रकृति को नकराने की वजह से ही अस्त्तिव में आया। आज की पीढ़ी केवल विज्ञापन वाली हैं,जो देखेगी उसको तुरंत अमल में ले आएगी। विश्व के सबसे बड़े देश जैसे अमेरिका,इटली,जापान आदि को कोरोना ने प्लेट कर दिया। प्रकृति और प्रभू में कोई अंतर नहीं है। भगवान से पहले आप प्रकृति को पूजे। गिरीश शुक्ला ने कहा कि जल के साथ लोगों की आस्था जुड़ी है।

भारत में पानी को जल नहीं कहते उन्हें नील यानि नरायण का दर्जा दिया गया है। एके शुक्ला ने कहा कि हमारे प्रकृति के स्त्रोत दूषित हो रहे है। मेरठ की बात की जाए तो यहां काली नदी और परतापुर का कुछ ऐरिया सबसे अधिक दूषित है।

वहां के जनीजवन पर टीडीएस का सबसे अधिक असर देखने को मिला हैं,जिसकी वजह से लोगों में खांसी,बुखार और एलर्जी जैसी समस्याएं अधिक हो रही है। समापन पर कॉलेज प्राचार्या डॉ. दीपशिखा ने सभी का आभार व्यक्त किया। संचालन डॉ. दीक्षा ने किया। कार्यक्रम में डॉ. उपासना, डॉ. संगीता, डॉ. रेनू, डॉ.रीतल आदि मौजूद रही।

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