Friday, September 29, 2023
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संस्कार में रहकर मर्यादित वस्त्र करें धारण: अनिरुद्धाचार्य

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  • बारिश से कथा स्थल पर हुई कीचड़, ट्रैक्टर पर बैठकर मंच तक पहुंचे आचार्य
  • दिसंबर में फिर से मेरठ में होगा कथा का आयोजन

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: सदर भैंसाली मैदान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कथा की शुरुआत भजनों के साथ की। जिसमें मेरा जी करता है मैं श्याम के भजनों में खो जाऊ आदि गीत उन्होंने श्रोताओं को सुनाए। महाराज ने कहा कि 10 दिसंबर में मेरठ फिर आ रहा हूं। उसकी तैयारी में आप अभी से लग जाए। उसके पश्चात अनिरुद्धाचार्य ने गिरीराज भगवान की कथा सुनाई और पुतना के वध का वर्धन किया।

गर्ग सहिंता में लिखा हुआ है कि ब्रह्मा जी ने राधा से कृष्ण का विवाह कराया था। राधा लक्ष्मी है और कृष्ण नारायण है। यह तो पहले से ही पति-पत्नी हैं, लेकिन लोग कहते हैं कि कृष्ण ने प्रेम तो राधा से किया मगर विवाह रुकमणी से किया। ऐसे में सवाल उठता है कि रुकमणी कौन थी, वह भी लक्ष्मी का ही रुप थी। कृष्ण ने तो केवल लीला कर दिखाई।

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महाराज ने श्रोताओं से पूछा कि आप के घर में कितनी लक्ष्मी रहती है फिर बताया कि कलयुग में मां, बहन, पत्नी आदि के रूप में भी लक्ष्मी सभी के घरों में विराजमान है। मैं कहता हूं कि सभी को अपनी संस्कृति को जानना चाहिए तभी भगवान को लेकर उनका संदेह कम होगा। राम के जीवन पर प्रकाश डालते हुए महाराज ने कहा कि भगवान श्री राम के दीक्षा गुरु वशिष्ठ जी थे, लेकिन उनकी धनुरु विद्या के गुरु विश्वामित्र थे।

हनुमान जी एक बार राम सेतु के निर्माण के लिए एक पर्वत को लेकर आए जो द्रोण के पुत्र थे, जिनका नाम था गोवर्धन। पर्वत को लेकर जब वह ब्रज मंडल पहुंचे तो उनको सूचना दी गई कि सेतु का काम पूरा हो गया है जो पत्थर आप ला रहे हैं, उसे वहीं रख दे। हनुमान जी ने राम से बात की तो उन्होंने कहा कि आप गोवर्धन को वहीं रख दे जिसपर गोवर्धन रोने लगे तब राम ने कहा कि उनसे कहो वह परेशान न हो मैं कृष्ण के रुप में जब आऊंगा तो उनके सभी मनोरथ पूर्ण होंगे।

गृहस्थ जीवन के बारे में जानकारी देते हुए महाराज ने कहा कि पहले राजा महाराज इतनी शादियां क्यों करते थे। दशरथ जी के समय तक तो यह था, लेकिन मर्यादा पुरुषोतम श्री राम ने इस प्रथा को खत्म कर दिया था। उन्होंने केवल एक ही विवाह किया। कलयुग में तो लोग तैयार रहते है बस कानून का भय रहता है।

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शरीर को आइसक्रीम बताते हुए महाराज ने कहा कि इस शरीर से कुछ काम कर लो नहीं तो यह यूं ही चिता पर चला जाएगा। जन मानस को अपनी संस्कृति में रमना होगा तभी देश का विकास हो सकेगा। आधुनिकता की दौड़ में महिलाओं ने भी अपनी संस्कृति को त्याग दिया हैं आज जरुरत है मर्यादा में रहकर वस्त्र पहनने की।

हस्तिनापुर की पावन धरा पर आना सौभाग्य की बात

हस्तिनापुर: भैंसाली मैदान में श्रीमद् भागवत कथा कर रहे कथावाचक अनिरुद्धाचार्य मंगलवार सुबह प्राचीन महाभारतकालीन तीर्थ नगरी हस्तिनापुर पहुंचे और प्राचीन मंदिरों के दर्शन कर पूजा-अर्चना की। कथावाचक अनिरुद्धाचार्य प्राचीन पांडेश्वर मंदिर के दर्शन किए और पूजा-अर्चना कर मंदिर का इतिहास जाना। तदोपरांत कथावाचक प्राचीन बूढ़ी गंगा नदी किनारे स्थित कर्ण मंदिर पहुंचे, जहां मंदिर के महंत ने पटका पहनाकर कथावाचक का स्वागत किया। अनिरुद्धाचार्य ने मंदिर के दर्शन के उपरांत पूजा-अर्चना कर मंदिर के इतिहास में विस्तार से जानकारी ली।

पांडवों की जन्मभूमि है हस्तिनापुर नगरी

कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने द्रौपदी घाट पर जनवाणी संवाददाता से हुई विशेष वार्ता में कहा कि महाभारत कालीन तीर्थ नगर भगवान श्रीकृष्ण की कर्मभूमि के साथ पांडवों की भी जन्मभूमि है। हस्तिनापुर की पावन धरा पर आना उनके लिए सौभाग्य की बात है। हस्तिनापुर स्थित पौराणिक चीजों को बचाकर रखना सरकार के साथ हस्तिनापुर नगरवासियों की भी जिम्मेदारी है। भगवान श्रीकृष्ण का अधिकांश चरित्र हस्तिनापुर से जुड़ा है। हस्तिनापुर में भगवान शांतिदूत बनकर आये थे। हस्तिनापुर नगरी कोई आम नगरी नहीं है। हस्तिनापुर का नाम गं्रथों में भरा पड़ा है।

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