जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: उत्तराखंड के लगभग सभी इलाकों में फिलहाल मौसम साफ है। चारधाम यात्रा मार्ग भी सुचारू हैं। वहीं भवाली-अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग में नावली के पास बंद मार्ग बुधवार को 14 घंटे बाद खुल गया।
जिससे जाम में फंसे लोगों को राहत मिली। बुधवार दोपहर को यमुनोत्रीधाम में अचानक मौसम ने करवट ली और सीधे बर्फबारी शुरू हो गई। विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालुओं ने धाम बर्फबारी का आनंद लिया।
आपदा में मृतकों के परिजनों से मिले मंत्री
वहीं कैबिनेट व जिला प्रभारी मंत्री गणेश जोशी उत्तरकाशी के पाटा, सिरोर और नाल्ड गांव पहुंचे। उन्होंने पाटा गांव निवासी मृतक आईटीबीपी के पोर्टर दिनेश चौहान, नाल्ड निवासी मृतक संजय सिंह और सिरोर निवासी मृतक राजेन्द्र सिंह के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी।
मंत्री ने मृतकों की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की और सरकार से परिवार को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। इन सभी की पिछले दिनों अतिवृष्टि के कारण आई आपदा में मौत हो गई थी।
बुधवार को सुबह आठ बजे तक बाबा केदार के दर्शनों के लिए सोनप्रयाग से 2500 यात्रियों ने धाम के लिए प्रस्थान किया है। यमुनोत्रीधाम सहित यमुना घाटी मे चटक धूप खिली हुई है। यमुनोत्री हाईवे के साथ यमुनोत्री पैदल मार्ग पर आवाजाही सामान्य रूप से हो रही है। सुबह से अभी तक 200 से अधिक श्रद्वालुओं ने मां यमुना के दर्शन कर लिए हैं।
कुमाऊं में 134 मार्ग अब भी बंद
कुमाऊं में अब भी 134 सड़कें मलबे से बंद हैं। इनमें लोक निर्माण विभाग ने नैनीताल जिले में रामगढ़, धारी और भीमताल ब्लॉक के 16 ग्रामीण मार्गों को खोल दिया है, जबकि 29 ग्रामीण मार्ग अब भी बंद हैं। वहीं पिथौरागढ़ जिले में 24, चंपावत में 71, बागेश्वर में एक और अल्मोड़ा जिले में 9 सड़कें अब भी बंद है।
टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग नौवें दिन खुला
गणाईगंगोली में सेराघाट-बेड़ीनाग एनएच 16 घंटे बाद फिर से बंद हो गया है। ट्रक पर पहाड़ी से गिरे मलबे के कारण ट्रक मार्ग पर फंसने से एनएच फिर से बंद हो गया। इससे बेड़ीनाग, गणाईगंगोली समेत अन्य क्षेत्रों को जाने वाले 100 से अधिक वाहन वहां फंसे गए। वहीं, 18 अक्तूबर से बंद टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) मंगलवार को नौवें दिन खुल गया।
मार्ग पर जोखिम बरकरार
हालांकि टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर जोखिम बरकरार है। फिलहाल मार्ग को छोटे वाहनों के लिए ही खोला गया है। उधर, मूनाकोट में क्वीतड़-जमतड़ी-हल्दू सड़क सात दिन से बंद है। इससे जमतड़ी, क्वीगांव, हल्दू, सौरिया, भौरा और नेपाल के लोग बेहद परेशान हैं।
दैवी आपदा से वन विभाग को कुमाऊं में 32 करोड़ की चपत
छह दिन पहले आई दैवी आपदा से कुमाऊं मंडल में वन विभाग को 32 करोड़ का नुकसान हुआ है। प्रारंभिक सर्वे के बाद विभाग ने नुकसान की जानकारी शासन को उपलब्ध करा दी है।
दीपावली से पहले विभाग अब नुकसान के विस्तृत आकलन के साथ भविष्य की योजनाओं को लेकर आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों से अध्ययन कराएगा।
मुख्य वन संरक्षक (कुमाऊं) डॉ. तेजस्विनी अरविंद पाटिल ने बताया कि 18 व 19 अक्तूबर को आई मूसलाधार बरसात के कारण कुमाऊं मंडल के सभी जिलों में वन विभाग की संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है।
अलग-अलग स्थानों पर वन मार्ग, बटिया, चेकडैम, पाइप लाइनें, जलाशयों, आवासीय भवन, दीवारें, तटबंध, अवरोधी दीवारें, पौधरोपण कार्य, नर्सरी, सोलर फैंसिंग आदि को खासा नुकसान हुआ है। प्रारंभिक सर्वे में यह नुकसान लगभग 32 करोड़ आंका गया है, जबकि विस्तृत सर्वे चल रहा है।
उन्होंने बताया कि कोसी, दाबका, गौला, निहाल और नंधौर नदियों के तटबंध टूटने या फिर बहने से नदियों के चैनल बदल गए हैं। नदी, नालों और गधेरों के उफान पर चलने के कारण जबरदस्त भू कटाव हुआ है। उन्होंने बताया कि आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों को कुमाऊं में बुलाया गया है।
उम्मीद है कि दीपावली से पहले वह यहां आकर नुकसान का आकलन करने के साथ-साथ अपने सुझाव भी विभाग को उपलब्ध कराएंगे। उसके बाद उन सुझावों के आधार पर ही भविष्य के कार्यों की रूपरेखा तैयार की जाएगी।