- 500 का टैक्स कर दिया 50 हजार, कोई बोलने को तैयार नहीं
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: या तो विरोध करो, वर्ना पब्लिक ने मान लिया है कि इस खुली लूट में माननीयों का भी हिस्सा है। हाउस टैक्स के नाम परिवर्तन के नाम पर नगर निगम की खुली लूट पर निगम पाषर्दों को तो मुंह खोलने की फुर्सत नहीं, लगता है कि जिस जनता ने उन्हें अपने वोट व नोट के चंदे से पार्षद बनाया है वो अब पार्षद बनने के बाद उस पब्लिक से कोई सरोकार नहीं रखना चाहते जिसने उन्हें पार्षद बनाया है, वर्ना क्या वजह है जो हाउस टैक्स के नाम पर मची लूट खसोट के खिलाफ पुरजोर तरीके से आवाज उठाना तो दूर की बात मुंह तक खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
ज्यादातर पार्षदो की दशा इस मामले में अफसरों के सामने भीगी बिल्ली सरीखी है, लेकिन हाउस टैक्स के नाम पर नगर निगम की लूटपाट के खिलाफ आरटीआई एक्टिविस्ट संदीप पहल ने ना केवल आवाज उठायी है। बल्कि इसको लेकर शुरू होने जा रही लड़ाई में उन्होंने माननीयों को भी साथ आने की दावत दी है ताकि महानगर की पब्लिक को इस लूट से राहत दिलायी जा सके। साथ नगर निगम के अफसरों को सलाह दी है कि जो शुल्क 500 रुपये थे, उसको बढ़ाकर 50 हजार कर दिया गया है, बेहतर होगा कि उसको पांच हजार कर दिया जाए। अन्यथा पब्लिक सड़कों पर भी उतरना जानती है।
इनसे कहा है उठाओ आवाज
एडवोकेट संदीप पहल ने पांच हजार का हाउट टैक्स 50 हजार करने के खिलाफ खुद आवाज उठाने के साथ-साथ माननीयों से भी कहा है कि नगर निगम अफसरों की इस लूट के खिलाफ आवाज उठाएं। इनके लिए उन्होंने जिन्हें चिट्टी भेजी है। उनमें महानगर के प्रथम नागरिक महापौर हरिकांत अहलूवालिया, राजेन्द्र अग्रवाल सांसद लोकसभा के अलावा राज्यसभा सांसद कांता कर्दम, विजयपाल तोमर और डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी को भी पत्र भेजा है।
मेरठ की जनता से की जा रही लूट रोकी जा सके। इनके अलावा एमएलसी डा. सरोजिनी अग्रवाल, विधायक अमित अग्रवाल व रफीक अंसारी को भी पत्र भेजकर लूट पर उतारू निगम अफसरों पर अंकुश का आग्रह किया है। साथ ही नगरायुक्त को पत्र भेजकर सवाल पूछा है कि पांच हजार के एक ही झटके में 50 हजार क्यों कर दिए हजूर। सभी से आवाज उठाने का आग्रह किया है।
मुख्य वित्त नियंत्रक के पत्र का हवाला
हाउस टैक्स में नाम परिवर्तन के 500 रुपये शुल्क किए जाने के संबंध में नगर निगम के वित्त नियंत्रक के 3 अक्तूबर 2010 को जारी आदेश का उल्लेख करते हुए एडवोकेट संदीप पहल ने सवाल किया है कि बगैर किसी मापदंड के साल 2020 में हाउस टैक्स में नामांतरण शुल्क 500 रुपये से बढ़कर 50 हजार कर दिया गया। उन्होंने बताया कि जब इसको लेकर नगरायुक्त से आग्रह किया गया तो उन्होंने इसको कम करने का वादा किया, लेकिन यह लूट आज भी जारी है।
आय बढ़ाने का तर्क खारिज
एडवोकेट संदीप पहल का कहना है कि अफसरों का यह तर्क कि आय बढ़ाने के लिए यह शुल्क बढ़ाया गया है, यह गलत है। इसको वह एक सिरे से खारिज करते हैं। उनका आरोप है कि विकास व निर्माण संबंधित कामों में नगर निगम में रिश्वत का रेट तीन फीसदी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जो शुल्क 500 से बढ़ाकर 50 हजार कर दिया गया है। उसको पांच हजार किया जाना चाहिए।