जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर आज भी रहस्य बरकार है। अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई कि आखिर यह वायरस कैसे और कहां से फैला। साथ ही क्या ये प्राकृतिक है या इसे लैब में बनाया गया? हालांकि कई एक्सपर्ट्स इस वायरस की उत्पत्ति चीन में होने का दावा कर रहे हैं।
इस बीच अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने बड़ा दावा किया है कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (डब्ल्यूआईवी) अपने नागरिक अनुसंधान के साथ-साथ सैन्य गतिविधियों में लगा हुआ था। इस सिद्धांत की नए सिरे से जांच के बीच ही लैब से कोविड महामारी का जन्म हुआ।
पोम्पिओ ने कहा, “मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं वह यह है कि हम जानते हैं कि वे उस लैब के भीतर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से जुड़े प्रयासों में लगे हुए थे। इसलिए चीन ने जो दावा किया उसके साथ सैन्य गतिविधि की जा रही थी, वह सिर्फ अच्छा पुराना नागरिक शोध था।”
ब्रिटेन-नॉर्वे में हुए अध्ययन की रिपोर्ट, कोविड-19 का कोई पूर्वज नहीं, चीनी वैज्ञानिकों ने ही बनाया
वहीं, ब्रिटेन और नार्वे के वैज्ञानिकों के मुताबिक, वायरस की कृत्रिम उत्पत्ति छिपाने के लिए चीनी वैज्ञानिकों ने इसमें कई बदलाव भी किए हैं।
ब्रिटेन के प्रोफेसर एंगस डलग्लीश और नॉर्वे के वैज्ञानिक और उद्यमी डॉक्टर बर्जर सोरेन्सन ने अध्ययन के बाद दावा किया कि वुहान लैब के वायरस विशेषज्ञों ने इसे बनाने के लिए बाद अपनी करतूत के सुबूत मिटाने के लिए रिवर्स इंजीनियरिंग से इसका नया स्वरूप पैदा किया, ताकि यह प्राकृतिक रूप से चमगादड़ से बना लगे।
एक ब्रिटिश दैनिक में प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी वैज्ञानिकों ने अपने देश की गुफा में मिलने वाली चमगादड़ से मिले प्राकृतिक वायरस में स्पाइक जोड़े। जिससे यह बेहद घातक और तेजी से फैलने वाले नए कोरोना वायरस में बदल गया वैज्ञानिकों ने अमेरिका में चलाए गए गेन ऑफ फंक्शन नामक प्रोजेक्ट का हवाला दिया।
जिसमें प्राकृतिक रूप से मिलने वाले वायरस को ज्यादा संक्रामक बनाने का काम शामिल था। इस प्रोजेक्ट को 2014 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने गैरकानूनी घोषित कर दिया था।
चीन ने निष्पक्ष जांच कराने के सवाल से किया इनकार
दरअसल, वुहान विषाणु विज्ञान संस्थान (डब्ल्यूआईवी) से कोविड के लीक होने के आरोपों की निष्पक्ष जांच की मंजूरी देने वाले एक सवाल पर चीन ने जवाब देने से साफ इनकार कर दिया। पिछले सप्ताह चीन से इसकी स्वतंत्र जांच कराने की अनुमति मांगी गई थी, लेकिन उसने जांच कराने के सवाल पर चुप्पी साध ली। हालांकि चीन के शोधार्थियों ने दावा किया है कि यह संक्रमण पैंगोलिन (एक प्रकार की छिपकली) से आदमी तक पहुंचा हो।