Tuesday, July 9, 2024
- Advertisement -
Homeसंवादसप्तरंगयोगी आदित्यनाथ ने तोड़े मिथक

योगी आदित्यनाथ ने तोड़े मिथक

- Advertisement -

 

Nazariya 8


Ahseesh Vashistपिछले 37 सालों में यूपी विधानसभा का इतिहास देखें तो आज तक कोई भी लगातार दो बार सीएम नहीं बना है। योगी जी ने इस मिथक को तोड़कर नया इतिहास यूपी की राजनीति के पन्ने पर लिखा है। यूपी में एक मिथक ये भी माना जाता रहा है कि जो मुख्यमंत्री नोएडा जाता है वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता। योगी जी अपने कार्यकाल में कई दफा नोएडा गए। नोएडा जाने के बावजूद उन्होंने अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया और अब दोबारा सरकार बनाने जा रहे हैं। योगी आदित्यनाथ ने जनसेवा के बल पर तमाम मिथकों को तोड़ने और नया इतिहास गढ़ने का काम किया। इसमें कोई दो राय नहीं है कि यूपी की जनता ने योगी आदित्यनाथ के नाम और चेहरे पर भरोसा जताया और उन्हें यूपी की सत्ता शानादार तरीके से सौंपी है। पिछले पांच साल में योगी आदित्यनाथ एक कुशल और सख्त प्रशासक के तौर पर उभरकर सामने आये हैं। विकास कार्यो में उनकी तल्लीनता, व्यक्तिगत रूचि और गंभीरता ने आम आदमी की नजरों में उनकी प्रतिष्ठा और साख को बढ़ाया। वहीं भ्रष्टाचार और माफियाओं के प्रति जीरो टालरेंस नीति ने उन्हें एक अलग व मजबूत पहचान दी। योगी जी ने पिछले पांच सालों में प्रदेश में विकास की गंगा बहाई।

वहीं कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी बिना किसी भेदभाव के जन-जन तक पहुंचाया। कोरोना काल में जनता की सेवा ने उन्हें जन-जन का प्रिय नेता बनाया। कोरोना की विकट परिस्थितियों में योगी जी अपनी सेहत की परवाह किये बिना मैदान में डटे रहे और देश की आबादी वाले सबसे बड़े सूबे में महामारी को कुशलता से काबू किया। वहीं इस बात में भी कोई दो राय नहीं है कि यूपी में बीजेपी की वापसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और काम ने अहम भूमिका निभाई है।

वहीं योगी जी ने भी प्रधानमंत्री के दिशा-निर्देशों को जमीन पर उतारने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इसी वजह से डबल इंजन की सरकार ने यूपी की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक तस्वीर बदलने का काम किया। यूपी में पिछले पांच साल में एक भी दंगा नहीं हुआ। गुण्डा-माफियाओं पर जिस तरह सख्ती हुई उससे आम जनमानस में ये विश्वास पैदा हुआ कि योगी जी के राज में आम आदमी सुरक्षित है। बेटियों और महिलाओं ने सुरक्षा के मामले में योगी सरकार की खुले दिल से प्रशंसा की, और उन्हें वोट देकर भरपूर अपना आशीर्वाद भी दिया।

2017 में योगी जी ने यूपी के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद दिसंबर 2017 में निकाय चुनाव, 2019 के आम चुनाव, 2021 में पंचायत चुनाव में योगी जी के नेतृत्व में बीजेपी ने विजय हासिल की। सभी चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन लगातार सुधरा। योगी जी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से शायद ही किसी दिन विश्राम किया हो। वो दिन रात काम में जुटे ही नजर आए। बीमारू और अपराध छवि वाले राज्य उत्तर प्रदेश का नया चरित्र और चेहरा गढ़ने में योगी आदित्यनाथ ने बहुत पसीना बहाया है। जिसका फल विधानसभा चुनाव नतीजों के रूप में बीजेपी की झोली में गिरा है।

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शुरू हुआ और उसका श्रेय भी ज्यादातर लोग योगी के बजाय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देते हैं। इन पांच साल में योगी ना केवल 40 से ज्यादा बार अयोध्या गए, वहां उन्होंने हर दीवाली पर लाखों दीपक जलाकर दीपोत्सव से अयोध्या शहर को नई पहचान देने का काम किया। फैजाबाद जिले का नाम बदल कर ‘अयोध्या’ किया। स्टेशन का नाम ‘अयोध्या कैंट’ कर दिया। रेलवे स्टेशन को नया रूप दिया। विकास की नई तस्वीर बनाई। एयरपोर्ट मंजूर किया और मंदिर निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण और खरीद का काम भी किया।

इसके साथ इलाहाबाद अब योगी राज में ‘प्रयागराज’ हो गया तो मुगलसराय रेलवे स्टेशन अब ‘दीन दयाल उपाध्याय’ के नाम से जाना जाता है। काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण हुआ। माफिया के खिलाफ अभियान चलाकर योगी ‘बाबा बुल्डोजर’ हो गए। आरोप है कि उनका यह बुल्डोजर एक वर्ग विशेष माफिया के खिलाफ ही चला और जो माफिया जेल में गए या फिर एनकाउंटर में मारे गए, वो भी एक वर्ग विशेष के माने जाते हैं।

इन पांच वर्षों में योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता सिर्फ उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं रही। बीजेपी ने उन्हें हैदराबाद, पश्चिम बंगाल, केरल,असम और तमिलनाडू जैसे इलाकों में भी प्रचार के लिए इस्तेमाल किया। संघ परिवार ने उन्हें हिन्दुत्व का चेहरा बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनका इन इलाकों में प्रचार का असर भी दिखा। मुख्यमंत्री रहते हुए 2019 में लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के तालमेल के बावजूद वे बीजेपी को प्रदेश में साठ से ज्यादा सीटें दिलाने में कामयाब रहे।

कांग्रेस के गढ़ रहे अमेठी को उन्होंने राहुल गांधी से छीन लिया। यूपी विधानसभा चुनाव की घोषणा से पूर्व हर चीज समाजवादी पार्टी के अनुकूल नजर आई, पार्टी ने जातीय इंद्रधनुष का ऐसा गठबंधन जमीन पर उतारा जिसे तोड़ना नामुमकिन लग रहा था। यह चर्चा आम थी कि यादव समाज की पार्टी में वापसी हुई है और मुसलमानों ने अखिलेश को वोट देने की कसमें खाई है, जबकि जाट भाजपा के खिलाफ जाकर अपने अपमान का बदला लेना चाहते हैं।

महंगाई, बेरोजगारी, कोरोना महामारी से होने वाली परेशानी की वजह से जनता में नाराजगी थी। सत्ताधारी पार्टी के विरोध का फैक्टर सबसे ऊपर था। इस सब के बावजूद बीजेपी की जीत ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर सत्ता की कमान किसी योगी के हाथ में हो जो राजनीति को सत्ता का जरिया मानता हो तो मिथक भी टूटेंगे और नया इतिहास भी रचा जाएगा।


janwani address 52

What’s your Reaction?
+1
0
+1
3
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments