जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: सचिन-सहवाग का दम। गौतम गंभीर का साहसिक प्रदर्शन। युवा कोहली का समर्थन। मिडिल ऑर्डर की जान रैना-युवी। धोनी की फिनिशिंग और जहीर-नेहरा-मुनाफ की तिकड़ी ने भारत को आज ही के दिन विश्व कप दिलाया था।
2 अप्रैल 2011 को वानखेड़े स्टेडियम में दिवाली मनाई गई थी। जश्न से समूचा भारतवर्ष उत्साहित था क्योंकि 28 साल बाद भारत ने वर्ल्ड कप जीता था। आज उस जीत के 10 साल पूरे हो गए।
It's time to relive the @cricketworldcup 2011 festival of cricket 💥
🎆 The party starts. Again… #CWC11Rewind (19 Feb-2 Apr)
— #CWC11Rewind (@cricketworldcup) February 17, 2021
अमर हो गया धोनी का छक्का
श्रीलंका के खिलाफ खेले गए फाइनल में पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर जीत के नायकों में शामिल थे, उन्होंने 97 रन की पारी खेली थी, जिसके बाद तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने नाबाद अर्द्धशतक जड़ते हुए छक्का लगाकर टीम को जीत दिलाई थी।
गौतम गंभीर का मानना है कि हमने किसी एक छक्के से विश्व कप नहीं जीता। हमने जो भी किया उससे किसी पर एहसान नहीं किया। अगर मैंने 97 रन बनाए तो मुझे यह रन बनाने के लिए ही चुना गया था। जहीर खान का काम विकेट हासिल करना था। हमें अपना काम करना था। इस जीत के कई हीरो हैं।’
जीतने के लिए ही चुना गया
गौतम गंभीर का मानना है कि लोगों को अतीत की विश्व कप की जीतों को लेकर अधिक उत्सुक नहीं होना चाहिए क्योंकि टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया और ऐसा उन्होंने अपनी पेशेवर जिम्मेदारी के तहत किया।
विश्व टी-20 2007 फाइनल में भी भारत की जीत के दौरान शीर्ष स्कोरर रहे गंभीर ने कहा, ‘2011 में जब हमें चुना गया तो सिर्फ टूर्नामेंट में खेलने के लिए नहीं चुना गया, हम जीतने के लिए उतरे थे। जहां तक मेरा सवाल है अब इस तरह की कोई भावना नहीं बची है। हमने कोई असाधारण काम नहीं किया, हां हमने देश को गौरवान्वित किया, लोग खुश थे, यह अब अगले विश्व कप पर ध्यान लगाने का समय है।
पिछला विश्व कप जीतते तो सुपर पावर होते
गंभीर को लगता है कि, ‘अगर हम 2015 या 2019 विश्व कप जीत जाते तो शायद भारत को विश्व क्रिकेट में सुपर पावर माना जाता। इसे 10 साल हो चुके हैं और हमने कोई दूसरा विश्व कप नहीं जीता इसलिए मैं अतीत की उपलब्धियों को लेकर अधिक उत्सुक नहीं होता।
इस पूर्व ओपनर ने कहा, ‘मुझे समझ नहीं आता कि लोग पीछे मुड़कर 1983 या 2011 के शीर्ष पलों को क्यों देखते हैं। हां, इसके बारे में बात करना अच्छा लगता है या यह ठीक है। हमने विश्व कप जीता लेकिन पीछे मुड़कर देखने की जगह आगे बढ़ना हमेशा अच्छा होता है।