Tuesday, January 21, 2025
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ऐसे तो बिखरते रहेंगे स्मार्ट सिटी बनने के ख्वाब !

  • सांसद भी भाजपा के, फिर भी क्रांतिधरा स्मार्ट सिटी योजना से कोसों दूर

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: नरेन्द्र मोदी ने जब पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तो ऐलान किया था कि 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाया जाएगा।

इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने यूपी के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तथा कहा कि प्रधानमंत्री के स्मार्ट सिटी शहरों से जो बचेगा, यूपी के उन तमाम शहरों को स्मार्ट सिटी बनाया जाएगा। भाजपा के दोनों दिग्गज नेताओं ने जो कहा, जनता ने उस पर विश्वास किया, मगर अब जनता पूछ रही है कि कहां है स्मार्ट शहर?

स्मार्ट सिटी तो दूर अन्य योजनाओं में भी क्रांतिधरा को शामिल नहीं किया गया। ऐसा तब है जब मेरठ से लगातार सांसद भाजपा के हैं।

आठ विधानसभा में से सात विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा के विधायक जीतकर विधानसभा में पहुंचे हैं। फिर भी क्रांतिधरा की जनता साफ-सुथरे शहर की कल्पना कर रही थी, मगर यहां तो हर तरफ गंदगी के अंबार लगे हैं। इसके लिए जनप्रतिनिधि से लेकर नौकरशाह सीधे जिम्मेदार है।

क्योंकि जनप्रतिनिधि सत्ता और अफसरों के बीच एक सेतु का काम करते हैं, मगर यहां तो ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं देता। शहर की सड़कों की हालत कैसी हैं? नालों की सफाई हुई या फिर नहीं?

शहर की सफाई की प्लानिंग सिर्फ कागजों में बनी, धरातल पर क्यों नहीं उतर पाई? इन तमाम सवालों को लेकर जनवाणी टीम ने ग्राउंड स्तर पर पड़ताल की, जो यहां प्रस्तुत हैं।

12 माह, सफाई पर 30 करोड़ खर्च !

ये खबर हैरान कर देने वाली है। नगर निगम शहर की सफाई के लिए प्रत्येक वर्ष 30 करोड़ रुपये खर्च कर देता है। इसमें उन गाड़ियों का भी खर्च शामिल है, जो सफाई अभियान में जुटी है। करीब तीन हजार सफाई कर्मियों को वेतन बांटने का भी बड़ा खर्च है।

हर रोज कूड़ा उठाने के लिए जो डीजल खर्च हो रहा है, वह भी कम खर्च नहीं है। इस तरह से 12 माह के भीतर 30 करोड़ से ज्यादा का खर्च नगर निगम का आ जाता है। इतनी बड़ी रकम सफाई पर खर्च हो रही है, फिर भी शहर के ज्यादातर इलाके गंदगी से सराबोर है।

सफाई के नाम पर राजनीति भी नगर निगम में कुछ ज्यादा ही हो रही है। तीन हजार सफाई कर्मचारी शहर में काम करते हैं, जिसमें 2215 सफाई कर्मी आउट सोर्सिंग पर कार्य कर रहे हैं, बाकी नगर निगम के स्थायी कर्मचारी है। फिर भी सफाई के मामले में मेरठ देश में गंदे शहर की सूची में सातवें स्थान पर है।

क्या ठेके पर होगी शहर की सफाई?

शहर में व्याप्त गंदगी को लेकर नगरायुक्त डा. अरविंद चौरसिया सफाई कर्मियों पर ढीकरा फोड़ रहे हैं। अब नगर निगम ने इसकी तैयारी कर ली है कि शहर की सफाई ठेके पर कराई जाएगी, तभी कुछ हालात सुधर सकते हैं।

ये आरोप तो पहले भी लगते रहे है कि नगर निगम सफाई कर्मचारी शहर की सफाई करने में दिक्कत पैदा कर रहे हैं, जिसमें यदि सख्ती की जाती है तो सफाई कर्मचारी यूनियन आंदोलित हो जाती है।

इस सबको लेकर अब नगर निगम शहर की सफाई ठेके पर कराने के लिए विचार कर रही है। इसके लिए सितंबर में टेंडर किया जा सकता है।

शहर की सड़कें कब होंगी गड्ढा मुक्त ?

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शहर की सड़कों की बात की जाए तो उनका भी बुरा हाल है। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद ऐलान किया था कि 15 दिन के भीतर तमाम सड़कों को गड्ढा मुक्त कर दिया जाए, मगर जनता पूछ रही है कि आखिर कहां है गड्ढा मुक्त सड़कें।

यहां तो गड्ढा युक्त सड़कों से जनता को हर रोज रूबरू होना पड़ रहा है। एक-दो सड़क नहीं, बल्कि शहर की ज्यादातर सड़कें खराब हो चुकी है। बागपत रोड का तो बुरा हाल है। यहां पर तो पैदल निकलना भी दूभर हो गया है। यह सड़क पीडब्ल्यूडी की है।

लॉकडाउन के दौरान ही कहा जा रहा था कि टेंडर हो चुका हैं। डीएम की तरफ से अनुमति निर्माण की नहीं मिली है, मगर अब तो लॉकडाउन ओपन हुए भी काफी समय बीत गया है, मगर पीडब्ल्यूडी का ठेकेदार आखिर कहां चला गया? ठेकेदार व पीडब्ल्यूडी को बागपत रोड की दुर्दशा दिखाई क्यों नहीं दे रही हैं?

लॉकडाउन के दौरान तो भाजपा सांसद राजेन्द्र अग्रवाल भी काम कराने की बात कर रहे थे, लेकिन अब अनलॉक व्यवस्था हुई है तो वह भी बागपत रोड के निर्माण को भूल गए हैं। बागपत रोड ही नहीं, बल्कि आधे शहर की सड़कें टूटी हुई है। इन सड़कों को कब बनवाया जाएगा?

नाला सफाई के लिए कर दी कागजी खानापूर्ति

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बात शहर के नालों की करें तो वहां भी नगर निगम खरी नहीं उतरी। छोटे-बड़े करीब दो सौ शहर में नाले हैं, इनकी सफाई प्लानिंग के साथ की गई होती तो बारिश में हालात विकट पैदा नहीं हुए होते।

वर्तमान में स्थिति यह है कि लिसाड़ी गेट रोड पर तो बारिश होने के तीसरे दिन भी सड़कों पर पानी भरा हुआ है। ये हालात तो मुख्य रोड के हैं, बाकी गलियों में हालात बेहद विकट है।

दावे किये जा रहे थे कि शहर के तमाम नाले साफ कर दिये गए हैं। आबूनाला छोड़ दे तो बाकी की सफाई के नाम पर खानापूर्ति ही की गई है, जिसके चलते जलभराव की समस्या से जनता जूझ रही है।

बारिश के बाद ही पता चलता है कि नगर निगम ने कितनी ईमानदारी के साथ नालों की सफाई की है? बारिश आरंभ होने से दो माह पहले इनकी सफाई हो जानी चाहिए थी, मगर यहां तो बारिश आरंभ हो गई, मगर सफाई हुई नहीं। इन हालातों में क्रांतिधरा कैसे स्मार्ट सिटी बन सकता है?

कभी वीआईपी थे, अब बन गए एक्सीडेंटल जोन

दर्जा भले ही वीआईपी रोड का मिला हो, लेकिन जमीनी हकीकत की यदि बात की जाए तो कैंट की कई सड़कें तो ऐसी हैं जो अनदेखी के चलते चलने लायक नहीं रह गयी हैं।

कुछ रास्तों की हालत तो ऐसी है कि उन पर चलना हादसे को न्योता देना है। माल रोड सरीखी वीआईपी दर्जा हासिल कई सड़कें तो अफसरों की अनदेखी पर आंसू बहा रही हैं।

हैरानी तो इस बात की है कि आम सड़कों की तो बात ही छोड़ दो कैंट के जिन इलाकों में बड़े फौजी अफसरों के सरकारी आवास हैं वो भी कैंट अफसरों की नजरें इनायत का इंतजार कर रही हैं। जो हालत इन रास्तों की बनी हुई है उससे तो यही लगता है कि कोई भी इनकी सुध लेने वाला नहीं।

किसी वक्त में कैंट की शान कहलाने वाली माल रोड अफसरों की अनदेखी या उदासीनता के चलते पूरी तरह से अनाथ हो गयी है। जनवाणी की टीम ने कैंट की कुछ ऐसी ही खास सड़कों का जायजा लिया जिन्हें कैंट अफसरों की नजरें करम का इंतजार है।

माल रोड की यदि बात की जाए तो कैंट के अफसरों के लिए किसी दौर में यह फर्क हुआ करती थी। कैंट में जब भी कोई रक्षा मंत्रालय से कोई बड़े अधिकारी आया करते थे तो कैंट के अफसर उनका रूट इस प्रकार बनाते थे ताकि माल रोड से उनको गुजरा जा सके।

माल रोड की शान शौकत हुआ करती थी, लेकिन अब ऐसा लगता ही नहीं कि यहां कैंट का इलाका है। कैंट के इलाके आमतौर पर बेहद साफ सुथरे हुआ करते हैं। और माल रोड का इनमें खास मुकाम होता था। लालकुर्ती थाने के सामने तो इस सड़क की हालत बेहद खस्ता है।

रेस रोड की शुरूआत भगत स्कवॉयर से होती है। यह रोड एमएच रेस कोर्स तक जाती है। यह भी पुरसा हाल नहीं। इस रोड की बात की जाए तो काली पलटन मंदिर व मिल्ट्री अस्पताल के अलावा इस मार्ग पर कई फौजी अफसरों के कार्यालय व मैस पड़ते हैं।

मेरठ कैंट में फौजी अफसरों की आवाजाही के लिहाज से यह सड़क बेहद महत्वपूर्ण हैं। नई दिल्ली या फिर अन्य स्थानों से आने वाले फौजी अफसरों काफिल इस रास्ते से जरूर होकर गुजरते हैं। उसके बाद भी इस रोड की कोई सुध लेन को तैयार नहीं।

इनके अलावा डेयरी फार्म-मवाना रोड जहां कई फौजी प्रतिष्ठान हैं वह भी पुरसाहाल नहीं। इस सड़क पर आए दिन हादसे होते रहते हैं, लेकिन कैंट अफसरों को उससे कोई सरोकार नजर नहीं आता।

काठ का पुल से हनुमान चौक की ओर जाने वाला रास्ता भी बेहद खराब है। यहां जगह-जगह गड्ढे हैं। बारिश की वजह से ये गड्ढे और भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहे हैं। इनकी वजह से आए दिन इस रास्ते पर एक्सीडेंट होते हैं। सर्कुलर रोड हनुमान चौक वाला रास्ता भी जगह-जगह से उधड़ गया है। ये भी कैंट की शान में धब्बा सरीखा नजर आता है।

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