Monday, June 16, 2025
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महाकवि गोपालदास नीरज की पुण्यतिथि आज, पढ़ें यह विशेष…

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। आज बुधवार को बॉलीवुड के दिग्गज बोल लेखक गोपालदास नीरज की पुण्यतिथि है। गोपालदास ने फिल्मी जगत के गई सुपर हिट और सदाबहार गाने दिए हैं। दिग्गज लिरिक्स राइटर गोपालदास नीरज आज भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके आश्चर्यजनक काम ने उन्हें अमर कर दिया है। दरअसल, बीते वर्ष 2018, 19 जुलाई को इन्होंने आखिरी सांस ली थी और हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया। आइए उनके पुण्यतिथि पर कुछ विशेष अनकहे पहलुओं और उन्हें मिले सम्मान पर नजर डालते हैं…

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उत्तर प्रदेश के इटावा में

गोपालदास नीरज का जन्म 4 जनवरी 1925 को यूपी यानि उत्तर प्रदेश के इटावा में हुआ था। उन्होंने गांव से ही प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद साल 1953 में हिंदी साहित्य में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। लेकिन आर्थिक दिक्कतों की वजह से उन्होंने 12वीं कक्षा से ही काम करना शुरू कर दिया था।

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बता दें कि, कवि ने मेरठ कॉलेज में हिंदी प्रवक्ता के पद पर अध्यापन कार्य शुरू किया, लेकिन कॉलेज प्रशासन के जरिए आरोप लगाए जाने के कारण उन्होंने स्वंय ही नौकरी छोड़ दी थी।

जिसके बाद वे अलीगढ़ के धर्म समाज कॉलेज में हिन्दी विभाग के प्राध्यापक नियुक्त हुए और मैरिस रोड जनकपुरी अलीगढ़ में बस गए। बताया जाता है कि नीरज वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन को लेकर जेल भी गए थे।

सम्मेलन में उनकी उपस्थिति अनिवार्य

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गोपालदास नीरज ने अपने काव्य के जादू से उनकी उपस्थिति अनिवार्य हो गई। इतना ही नहीं कवि सम्मेलनों की लोकप्रियता ने नीरज को मुंबई की ओर आकर्षित किया गया था। उन्होंने हिंदी फिल्म जगत को बहुत अच्छी रचनाएं दीं। साथ ही हिंदी सिनेमा को 10 वर्ष का समय दिया।

यह हैं गानों की लिस्ट

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10 वर्ष में गोपालदास नीरज ने इंडस्ट्री को कई सदाबहार गाने दिए, जिनमें ‘फूलों के रंग से, दिल की कलम से’ (प्रेम पुजारी 1970), ‘ए भाई, जरा देखके चलो, आगे ही नहीं पीछे’ (मेरा नाम जोकर 1972), ‘बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं’ (पहचान 1971), ‘ओ मेरी ओ मेरी ओ मेरी शर्मीली’ (शर्मीली 1971), ‘रंगीला रे तेरे रंग में’ (प्रेम पुजारी 1970), ‘काल का पहिया घूमे भैया’ (अज्ञात 1970) ‘लिखे जो खत तुझे’ (कन्यादान 1968) शामिल है।

20 शहरों में कवि सम्मेलन

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उन्होंने सितंबर 2004 से नवंबर 2004 तक अमेरिका के लगभग 20 शहरों में कवि सम्मेलन किया। नीरज की कलाकारी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने 1968 में शशि कपूर और आशा पारेख स्टारर फिल्म ‘कन्यादान’ के हिट गाने ‘लिखे जो खत तुझे , जो तेरी याद में…’ को महज छह मिनट में लिख डाला था।

तीन बार फिल्मफेयर अवॉर्ड

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बताया जाता है कि एक टाइपिस्ट करियर की शुरुआत करने वाले नीरज आगे चलकर लिरिक्स राइटर बने थे। जहां, गोपालदास को बेस्ट लिरिक्स राइटर के लिए तीन बार फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। नीरज ने हिंदी सिनेमा को तकरीबन 200 बेहतरीन गीत दिए थे।

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