- वेस्ट यूपी में पपीते का बड़ा उत्पादन और मुनाफा
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: गन्ना लैंड से मशहूर वेस्ट यूपी में किसानों को पपीते की खेती भाने लगी है। यही कारण है कि किसान गन्ने की खेती के साथ-साथ पपीते की खेती को भी करने लगे हैं। कई किसान ऐसे हैं, जो मुनाफे को देखते हुए इसको अपना रहे है। सरदार पटेल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डा. आरएस सेंगर ने बताया कि किसानों को पपीते की खेती के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए उत्तर प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश के द्वारा विश्वविद्यालय में एक परियोजना चलाई जा रही है। जिसमें पपीते के उभयलिंगी यह पौधों का विकास किया गया। जिससे प्रत्येक पेड़ में फल अधिक से अधिक लगने की संभावनाएं बढ़ी और उससे किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है।
पौधे से ही पता चल जाएगा पपीता लगेगा या नहीं
पपीते के उत्पादन में सबसे बड़ी समस्या नर पौधे को लेकर आती है। नर पौधे पर फल नहीं आता है और कई महीनों के बाद ही उसका पता चल पाता है। इससे किसानों के समय का नुकसान होता है। उसकी मेहनत बेकार चली जाती है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश लखनऊ से विस्तृत पोषित परियोजना के अंतर्गत कार्य करते हुए डा. सेंगर ने बताया कि उन्होंने टिशु कल्चर के माध्यम से उभयलिंगीय पौधों का विकास करने में काफी सफलता मिली है।
इस पर भी शोध और अधिक जारी है। पपीते की खेती में यदि नर पौधों की संख्या ज्यादा निकल जाए तो नुकसान किसानों को अधिक होता है क्योंकि इसमें नर पौधे पर फल नहीं आते हैं। यदि खेत में नर पौधों की संख्या अधिक हो जाती है तो काफी नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में अब बाजार में कई ऐसी प्रजातियां आ गई है। जो उभय लिंगी है। उनको लगाने से अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है।
इन इलाकों में हो रही पपीते की खेती
वेस्ट यूपी में पपीते की खेती सरधना खतौली मवाना मुजफ्फरनगर बिजनौर सहारनपुर शामली गाजियाबाद तथा मेरठ के अन्य तहसीलों में बड़े पैमाने पर की जा रही है। विश्वविद्यालय प्रयास कर रहा है कि अन्य इलाकों में भी पपीते की खेती का रकबा बढ़े। जिससे किसानों को लाभ मिल सके।