एक रात हीरे-जवाहरात के दो सौदागर किसी दूरदराज रेगिस्तान की सराय पर लगभग एक ही वक़्त पर पहुंचे। उन दोनों को एक-दूसरे की मौजूदगी का अहसास था। जब वे अपने ऊंटों से माल-असबाब उतार रहे थे तब उनमें से एक सौदागर ने जानबूझकर एक बड़ा मोती थैले से गिरा दिया। मोती लुढ़कता हुआ दूसरे सौदागर के करीब पहुंच गया, जिसने बारीकी से मुआयना करते हुए उसे उठाया और पहले सौदागर को सौंपते हुए कहा, यह तो बहुत ही बड़ा और नायाब मोती है। इसकी रंगत और चमक बेमिसाल है। पहले सौदागर ने बेपरवाही से कहा, इतनी तारीफ करने के लिए आपका शुक्रिया लेकिन यह तो मेरे माल का बहुत मामूली और छोटा मोती है। दोनों सौदागरों के पासे ही एक खानाबदोश बद्दू बैठा आग ताप रहा था। उसने यह माजरा देखा और उठकर दोनों सौदागरों को अपने साथ खाने का न्यौता दिया। खाने के दौरान बद्दू ने उन्हें अपने साथ बीता एक पुराना वाकया सुनाया। दोस्तों, बहुत साल बीते मैं भी आप दोनों की मानिंद हीरे-जवाहरातों का बड़ा मशहूर सौदागर था। एक दिन मेरा कारवां रेगिस्तान के भयानक अंधड़ में फंस गया। मेरे साथ के लोग तितर-बितर हो गए और मैं अपने साथियों से बिछड़कर राह खो बैठा। कई दिनों तक मैं अपने ऊंट के साथ भूखा-प्यासा रेगिस्तान में भटकता रहा, लेकिन मुझे कहीं कुछ नहीं मिला। खाने की किसी चीज की तलाश में मैंने अपने ऊंट पर लदे हर थैले को दसियों बार खोलकर देखा। आप मेरी हैरत का अंदाजा नहीं लगा सकते जब मुझे माल में एक ऐसा छोटा थैला मिला जो मेरी नजरों से तब तक बचा रह गया था। कांपती हुई उंगलियों से मैंने उस थैले को खोला। और आप जानते हैं उस थैले में क्या था? वह बेशकीमती मोतियों से भरा हुआ था। मतलब यह है कि हीरे जवाहरात भूख नहीं मिटा सकते।