नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन है। आज मंगलवार से आस माता के व्रत शुरू हो गए है। हिंदु पंचांग के फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष में प्रतिपदा से लेकर अष्टमी तिथि के मध्य किसी भी दिन आस माता का व्रत एवं पूजन कर सकते है। आस माता का व्रत और पूजन करने से जीवन में कोई कष्ट नही आता, जो भी विपत्ति आती है वो आस माता की कृपा से बड़ी आसानी से टल जाती है।
इस वर्ष फाल्गुन मास की शुक्लपक्ष की प्रथमा तिथि 21 फरवरी, 2023 मंगलवार से लेकर अष्टमी तिथि 27 फरवरी, 2023 सोमवार तक आस माता की पूजन और व्रत किया जा सकता है।
आस माता की पूजा करने के महत्व
हिंदु मान्यता के अनुसार आस माता की पूजा और व्रत करने वाले मनुष्य का कभी अनिष्ट नही हो सकता। इस व्रत और पूजन के विषय में ज्यादा लोग नही जानते। यह व्रत बहुत दुर्लभ है। इसकी विधि बहुत ही आसान है। इस व्रत करने आस माता सदैव उसकी सहायता करती है। जीवन में उसे सभी प्रकार के सुख साधन प्राप्त होते है। वो एक सुविधापूर्ण जीवन जीता है। वो हमेशा विजयी होता है। उसको कभी धन-धान्य की कमी नही होती। जीवन में प्रसन्नता आती है। पारिवारिक सम्बंधों में मधुरता आती है।
ऐसे करें व्रत और पूजन
- व्रत के दिन प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजास्थान पर के चौकी बिछाकर उस पर एक जल से भरा कलश स्थापित करें।
- धूप-दीप जलाकर कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाकर उसपर चावल चढ़ायें।
- फिर गेहूँ के सात दाने हाथ में लेकर आस माता की कहानी कहें या सुनें।
- कहानी सुनने के पश्चात् एक थाली में पूरी, हलवा और दक्षिणा रखकर बायना निकालकर अपनी सास या परिवार की किसी बड़ी स्त्री या किसी ब्राह्मणी को दें। फिर उनके पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
- बायना निकालने के पश्चात् स्वयं भोजन करें। दिन में एक भी समय पूजा करें।
- यदि किसी के पुत्र का जन्म हुआ हो या पुत्र का विवाह हुआ हो तो उस वर्ष आस माता का उद्यापन अवश्य करें।