Tuesday, May 20, 2025
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आफत: खतरे का काम, फिर भी काम पर खतरा

  • यूपी पावर कारपोरेशन के नए फरमान पर संविदा कर्मियों की नौकरी एसई के रहमो करम पर
  • संविदा कर्मचारी को हटाने के लिए अब एमडी की अनुमति की अनिवार्यता कर दी समाप्त

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: उत्तर प्रदेश पावर कारपोरशन संविदा कर्मचारियों खासतौर से वो फील्ड स्टाफ ड्यूटी पर आते ही जो हर वक्त हाइटेंशन लाइनों से रूबरू होने का खतरा उठाते हैं और कई बार ड्यूटी के दौरान ही ऐसी ही हाइटेंशन लाइन का शिकार होकर दुनिया को अलविदा तक कह जाते हैं। ऐसे ही खतरे भरी नौकरी करने वाले यूपी पावर कारपोरेशन के करीब एक लाख संविदा कर्मियों की नौकरी पर हर वक्त खतरे में रहेगी

या यूं कहें कि संविदा कर्मियों की नौकरी अब एसई यानि अधीक्षण अभियंता के रहमो करम पर आ टिकी है। इससे पहले यह व्यवस्था नहीं थी। किसी भी संविदा कर्मी को हटाना कोई आसान काम नहीं था। इसके लिए एक लंबी प्रक्रिया यूज में आती थी, लेकिन अब जो नया फरमान जारी किया गया है उसके अनुसार अधीक्षण अभियंता की कलम को संविदा कर्मियों को हटाने की पावर मिल गयी है।

पावर कारपोरेशन की पूर्व की व्यवस्था

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में संविदा कर्मियों या कहें आउटसोर्स से जो भी स्टाफ रखा जाता था, उसकी सेवाएं समाप्त करने की पावर केवल प्रबंध निदेशक की होती थी। यहां तक कि आउटसोर्स कंपनी के अफसर यदि मनमानी करते हुए किसी कर्मचारी को हटाना भी चाहे तो भी उसको हटा नहीं सकते थे।

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उसके लिए एक तय प्रक्रिया थी, जिसके तहत संविदा कर्मी की पहले जेई या एसडीओ सीधे अधीक्षण अभियंता को शिकायत करते थे। अधीक्षण अभियंता उसकी शिकायत के साथ अपनी रिकमंड एमडी को भेजा करते थे। यह एमडी पर निर्भर करता था कि संविदा कर्मी को मार देना है माफ कर देना है। यह प्रक्रिया इतनी जटिल व लंबी होती थी कि आमतौर पर आउटसोर्स कर्मचारी को हटाने का इक्का-दुक्का मामला ही सामने आता था।

नए फरमान में से एसई को मिल ताकत

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के 21 सितंबर के प्रबंध निदेशक (का. प्र. एवं प्रशा.) मृगांक शेखर के आदेश में कहा गया है कि आउटसोर्स कंपनी के माध्यम से नियोजित आउटसोर्स कंर्मियों को नियोजित संबंधित वितरण निगम के प्रबंध निदेशक से बिना अनुमोदन प्राप्त किए आउटसोर्स कंपनी को वापस न किए जाने का आदेश पारित किया गया था।

उक्त के संबंध मे आंशिक संशोधन करते हुए आदेशित किया जाता है कि डिस्कामों में आउटसोर्स कर्मियों को आवश्यकतानुसार हटाए जाने के लिए प्रबंध निदेशक के स्थान पर डिस्कॉम के संबंधित कान्टेक्ट इंजीनियर अर्थात अधीक्षण अभियंता अधिकृत होंगे। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।

आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर ये आदेश स्वीकार्य नहीं

गत 21 सितंबर को प्रबंध निदेशक के हस्ताक्षर से जारी इस फरमान के बाद पीवीवीएनएल के करीब 20 हजार संविदा कर्मियों समेत यूपी के पावर कारपोरेशन के करीब एक लाख संविदा यानि आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरी पर हर वक्त अब खतरा मंडराएगा। निविदा संविदा कर्मचारी सेवा समिति अध्यक्ष ठाकुर भूपेन्द्र सिंह तोमर ने शनिवार को मेरठ में इस आदेश का विरोध किया है।

निविदा संविदा कर्मचारी सेवा समिति अध्यक्ष ठाकुर भूपेन्द्र सिंह तोमर का कहना है कि आउटसोर्स कर्मचारियों को लेकर यह आदेश स्वीकार्य नहीं है। उत्तर प्रदेश के यूपी पावार कारपोरेशन में वर्तमान में एक लाख के करीब संविदा कर्मचारी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं, लेकिन इस आदेश के बाद उनका काम यानि नौकरी जोखिम में आ गयी है। इसको लेकर विरोध करते हुए एक पत्र एमडी पावर कारपोरेशन को भेजा गया है।

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