Tuesday, March 19, 2024
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ओमिक्रॉन वायरस से निपटने की तैयारी में जुटा प्रशासन

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  • भारत में तेजी से बढ़ रहे केस, स्वास्थ्य विभाग सतर्क 
  • मेडिकल के सुपरस्पेशलिटी ब्लॉक में 200 बेड का बनेगा कोविड वार्ड

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: नए वैरिएंट आॅफ कंसर्न ओमिक्रॉन से कोरोना की तीसरी लहर की आशंका बनी हुई है। इसको देखते हुए सरकार ने सीएमएचओ, नर्सिंग होम व आइएमए को ओमिक्रॉन से बचाव के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि ओमिक्रॉन डेल्टा से अधिक म्यूटेशन करने वाला खतरनाक वैरिएंट है।

इसी कारण ओमिक्रॉन तेजी से फैल रहा है। सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने बताया कि कोरोना संक्रमितों का इलाज जिले के अस्पताल में ही किया जाएगा। इसके लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं। उधर, संक्रमण के खतरे को देखते हुए प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग भी सतर्क हो गया है।

वहीं, दिल्ली में भी कोरोना के नए स्वरूप ओमिक्रॉन वैरिएंट ने दस्तक दे दी है। ऐसे में मेरठ जिले का स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट मोड पर आ गया है। लाला लाजपत राय मेडिकल चिकित्सालय में इमरजेंसी में कोविड वार्ड बना हुआ है। मेडिकल कालेज के मीडिया प्रभारी डा. वीडी पांडे ने बताया कि वर्तमान में स्वाइन फ्लू वार्ड के इमरजेंसी में 20 बेड का कोविड वार्ड बना हुआ है। जब मरीज 15 से ज्यादा हो जाएंगे तो सुपरस्पेशलिटी ब्लॉक को कोविड वार्ड में बदल दिया जाएगा। मरीजों की संख्या बढ़ने पर 200 बेड का कोविड वार्ड सुपरस्पेशलिटी ब्लॉक में बनाया जाएगा। जिसमें 160 बेड आइसोलेशन और 40 बेड आइसीयू के होंगे। कोविड वार्ड का मॉक ड्रिल कर लिया गया है।

कोविड वार्ड में हर बेड पर आॅक्सीजन की सुविधा उपलब्ध है। सभी चिकित्सक चिकित्सालय में हैं एवं सारी तैयारियां कर ली गई हैं। एलएमओ (लिक्विड मेडिकल आॅक्सीजन) की सप्लाई भी हो रही है। अस्पताल में आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध हैं। तीसरी लहर से निपटने के लिए आॅक्सीजन युक्त 20-20 बेड की व्यवस्था पहले ही की जा चुकी है। हालांकि, अभी कोई मामला जिले में नहीं आया है।

ओमिक्रॉन की पुष्टि होने के बाद मरीजों को क्वारंटीन किया जाएगा। अस्पताल में लगे आॅक्सीजन प्लांट को अलर्ट मोड पर रखा गया है। साथ ही सभी जरूरी दवाओं का भी इंतजाम किया गया है। वहीं, इस संबंध में सीएमओ डा. अखिलेश मोहन का कहना है कि कोरोना मरीज के इलाज, होम आइसोलेशन और अस्पताल में उपचार व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के लिए कहा गया है।

इसके साथ ही टेस्ट-टैÑक ट्रीट के साथ ही वैक्सीनेशन और कोरोना प्रोटोकॉल के पालन करवाने पर भी जोर दिया जा रहा है। जिले के सभी अस्पतालों को अलर्ट कर सभी सुविधाएं करने के निर्देश दिए गए हैं। आॅक्सीजन सिलेंडर की पर्याप्त व्यवस्था, प्लांट की ट्रायल करने के लिए कहा गया है। साथ ही कोविड सेंटर भी तैयार रखने के निर्देश दिए हैं।

कोरोना संक्रमित हो चुके तो ओमिक्रॉन वैरिएंट से री-इंफेक्शन का खतरा

साउथ अफ्रीका के एक्सपर्ट की रिपोर्ट ने एक बार फिर दुनिया के सभी देशों को हैरान कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना के डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमिक्रॉन से तीन गुना ज्यादा री-इंफेक्शन का खतरा है। इसका मतलब यह है कि जो लोग कोरोना से पहले इंफेक्टेड हो चुके हैं, उन्हें भी ओमिक्रॉन से संक्रमित होने का खतरा है। साउथ अफ्रीका ने नवंबर के आखिरी सप्ताह में ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर दुनिया को आगाह किया था।

जिससे दुनियाभर के लोगों की चिंता बढ़ गई है। वहीं, मंडलीय सर्विलांस अधिकारी डा. अशोक तालियान ने बताया कि वैक्सीन लेने वाले या कोरोना से संक्रमित होने वालों को भी इससे बचाव की जरूरत है। ओमिक्रॉन से बचाव के लिए लोग भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। घर से बाहर जाते समय मास्क का प्रयोग करें। हाथों को बार-बार धोएं व सैनिटाइजेशन करते रहे।

क्या सिर्फ दोपहर दो बजे तक ही हो सकती है कोरोना की एंट्री?

मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार प्रदेश में बाहर से आने वाले सभी यात्रियों की कोरोना जांच कराई जानी है। जाहिर है कि अन्य प्रदेशों से आने वाला व्यक्ति शहर में किसी भी समय प्रवेश कर सकता है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली के अनुसार अन्य प्रदेश से कोरोना यदि शहर में आता है तो वह सिर्फ सुबह चंद घंटों के बीच ही पधारेगा। जी हां! सिटी स्टेशन और बस अड्डो पर ऐसा ही नजारा देखने को मिल रहा है। यहां आने वाले यात्रियों की कोरोना जांच सिर्फ चंद घंटों के मध्य ही की जाती है। बाकि यात्रियों में जैसे कोराना मिलने की संभावना ही न हो।

रेलवे स्टेशन पर स्वास्थ्य विभाग की टीम सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक तैनात रहती है और इस बीच सभी रेलयात्रियों की जांच की जा रही है। इसके अलावा रात को आने वाले एक ट्रेन के यात्रियों की भी जांच की जाती है। उधर, रोडवेज बस स्टैंड पर सुबह सिर्फ कुछ ही घंटों तक यात्रियों की जा रही है। दोपहर दो बजे बाद विभाग को आराम पसंद है। रोडवेज से रोजाना हजारों की संख्या में यात्री सफर करते हैं।

मात्र भैंसाली बस स्टैंड पर ही एक दिन में इतनी अधिक संख्या में यात्री आते हैं कि सभी जांच होना मुमकिन नहीं है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग भी इसके लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देता नजर नहीं आ रहा है। कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट को शहर में रोकने के कड़े प्रयास होते नजर नहीं आ रहे हैं, यह सब सिर्फ बाते ही नजर आती हैं, जो बैठकों में होती है। रोडवेज बस स्टैंड पर स्वास्थ्य विभाग की टीम चंद घंटे यानि सुबह से दोपहर दो बजे तक ही यात्रियों की जांच करती है। यानि विभाग के अनुसार दो बजे के बाद कोरोना को मेरठ शहर पसंद नहीं है।

यह लापरवाही आगे के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। अन्य प्रदेशों में कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट के मरीज मिलने लगे हैं। इन हालातों में यदि कड़े रुख नहीं अपनाए जाते हैं, यूपी भी संक्रमण से दूर नहीं है। स्टेशन अधीक्षक आरपी शर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीम सुबह नौ से दोपहर दो बजे स्टेशन पर यात्रियों की जांच करती है। इसके अलावा रात को आने वाली छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस के यात्रियों की जांच होती है। उधर, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक रोडवेज राकेश कुमार के अनुसार सुबह 10 बजे से दोपहर करीब दो बजे दो सदस्यों की टीम यात्रियों की जांच करती है। इसके अलावा स्टेशन पर विभाग को कोई कर्मी स्थाई रूप से मौजूद नहीं रहता है।

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