- कृषि कानून वापस नहीं होने तक आंदोलन जारी रखने का निर्णय
- कृषि कानून की प्रतियां फूंककर जताया विरोध
जनवाणी संवाददाता |
बागपत: नए कृषि कानून के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा के आहवान पर बुधवार को क्षेत्र के किसानों व राजनीतिक दलों ने काले दिवस के रूप में मनाया। उन्होंने हाथों पर काली पट्टी बांधकर तांगा स्टैंड पर नारेबाजी करते हुए एसडीएम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन सौपकर उन्होंने नए कृषि कानून को वापिस लेने, गन्ना भुगतान समय से करने, किसानों के बिजली बिल माफ करने, फसलों की एमएसपी लागू करने की मांग की। साथ ही किसानों की मांगे पूरी नहीं होने पर आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया।
नए कृषि कानून के विरोध में किसान काफी समय से आंदोलन कर रहे है। आंदोलन कर रहे किसानों के संयुक्त मोर्चा ने बुधवार को काला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इसके विरोध में रालोद पदाधिकारियों ने केन्द्र व प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर कलक्ट्रेट में प्रदर्शन किया।
उन्होंने कृषि कानून को निरस्त करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर संसद से लाभकारी समर्थन मूल्य का कानून पारित करने, स्वामीनाथन आयोग की जो सिफारिश पंद्रह वर्ष से कूडे के ढेर में पडी है उन्हें तत्काल लागू कराने, किसानों का बकाया भुगतान कराने, गरीब, मजदूर, किसान के बिलों में की गयी बढ़ोत्तरी को वापस लेने, प्रदेश में हो रही यूरिया की भारी किल्लत को दूर करने, डीजल, पेट्रोल के दामों में की गयी दो गुना वृद्धि को वापस लेने आदि मांगों का ज्ञापन एसडीएम को राष्ट्रपति के नाम सौंपा।
इस मौके पर जिलाध्यक्ष डा. तगपाल सिंह तेवितया, ओमवीर सिंह तोमर, ब्रहमपाल सिंह, कृष्णपाल, महक सिंह, अजहर खान, धीरज, अमित जैन, जाहिद खान आदि मौजूद रहे। वहीं 26 मई को किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे होने पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी के आह्वान पर पूर्व जिलाध्यक्ष एवं पूर्व जिला पंचायत सदस्य कपिल चौधरी गुर्जर ने अपने आवास पर काला झंडा बांधते हुए सांकेतिक धरना दिया।
उन्होंने कहा कि जब तक कानून वापस नहीं हो जाता तब तक वह पीछे नहीं हटेंगे और उनका आंदोलन जारी रहेगा। इस मौके पर रविंद्र मुंशी, अनुराग, श्यामवीर, दिनेश, हितेश बंैसला, पिंटू, आकाश बंैसला, विकास कसाना आदि मौजूद रहे। वहीं वार्ड नंबर दस से जिला पंचायत सदस्य परविन्द्र तोमर ने किसानों के साथ मलकपुर गांव में ट्रेक्टर पर काला झंडा और हाथ पर काली पट्टी बांधकर केन्द्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए तीनों अध्यादेश वापस लेने की मांग की।
वहीं भाकियू जिलाध्यक्ष प्रताप गुर्जर के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और कृषि कानून वापस लेने की मांग की। उधर, खेकड़ा में किसान सर्व खाप चौधरी जितेंद्र धामा के नेतृत्व में तांगा स्टैंड पर एकत्रित हुए थे। वहां एकत्रित किसानों ने हाथों में काले झंडे लेकर, काली पट्टी बांधकर व काला साफा बांधकर नए कृषि कानून के विरोध में काला दिवस मनाया।
किसानों ने नए कृषि कानून के विरोध में जमकर नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि छह माह से ज्यादा का समय आंदोलन करते हुए हो गया है, लेकिन सरकार अपनी हठधर्मिता पर अड़ी हुई है। किसान भी बिल वापिस ना होने तक आन्दोलन में डटे रहेंगे। उन्होंने सरकार से तीनों काले कानून वापिस लेने, फसलों पर एमएसपी लागू करने, पराली जलाने वाला बिल वापिस लेने, किसानों के बिजली बिल माफ करने, पेट्रोल डीजल, रसोई गैस की बड़ी कीमतों को वापिस लेने की मांग की। किसानों ने आंदोलन को लेकर राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन एसडीएम अजय कुमार को सौंपा।
इस अवसर पर डॉ जगपाल तेवतिया, ब्रहमपाल सिंह, सचिन धामा, धर्मेंद्र धामा, संदीप धामा, सोनू चौहान, विनय धामा, महक सिंह, मनोज धामा, नीरज धामा, विपिन, विनय आदि मौजूद रहे। उधर, ढिकौली गांव में संयुक्त मोर्चा किसान के आहवान पर आधा दर्जन गांव के किसानों ने बनिया वाली जगह पर एक बैठक का आयोजन किया, जिसमें बोलते हुए आप नेता एडवोकेट सोमेन्द्र ढाका व ग्राम प्रधान संदीप ढाका ने कहा की पिछले छह माह से किसान कृषि बिल के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर बैठे है, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।
सरकार के तीनो काले कानूनों से किसान बहुत परेशान हो चुका, लेकिन सरकार अपने अड़ियल रवैये पर कायम है। प्रधान संदीप ढाका ने कहा कि किसान भूखमरी के कगार पर खड़ी है सीमा पर धरने पर बैठे कितने किसान शहीद हो चुके है, लेकिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के शहीद होने पर भी आज तक एक शब्द नहीं कहा। उन्होंने कहा कि जब तक तीनों कृषि काले कानून वापस नहीं होंगे तब तक वह पीछे नहीं हटेंगे चाहे उन्हें अपनी कुर्बानी क्यों नहीं देनी पड़े।
धरने में ढिकौली, पांची, पिलाना, सैदपुर, औगटी, पटौली, नंगलाबडी गावों में भी किसानों ने बैठक कर काले झन्डे दिखा विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन करने वालों में संदीप प्रधान, रामबीर ढाका, विनय, प्रमोद ढाका, महक सिंह, जयपाल, उमरद्दीन, शौकीन नीरज, वीरपाल, जयदेव, ओमप्रकाश, डा. जितेन्द्र आदि सैकड़ों किसान मौजूद रहे। वहीं किसान संगठन के जिलाध्यक्ष महिपाल यादव के नेतृत्व में हरियाखेड़ा गांव में एकत्रित हुए थे।
वहां एकत्रित होकर किसानों ने काले झंडे लेकर, बांधकर व काला साफा बांधकर नए कृषि कानून के विरोध में काला दिवस मनाया। किसानों ने नए कृषि कानून के विरोध में जमकर नारेबाजी की। उन्होंने सरकार से तीनों काले कानून वापिस लेने, फसलों पर एमएसपी लागू करने, पराली जलाने वाला बिल वापिस लेने, किसानों के बिजली बिल माफ करने, पेट्रोल डीजल, रसोई गैस की बड़ी कीमतों को वापिस लेने की मांग की। किसानों ने आंदोलन को लेकर राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन बालैनी इंस्पेक्टर नरेश कुमार को सौंपा । इस मौके पर ब्रह्म सिंह यादव, राकेश गुर्जर, ताराचंद यादव ,कृष्णपाल, सतीश,प्रवीण ,विजयपाल, जगदीश, शिवकुमार, आदि मौजूद रहे।
सांसद को देख किसानों की नारेबाजी में आया जोश
बुधवार को तांगा स्टैंड पर जिस समय किसान नए कृषि कानून को लेकर काले दिवस के रूप में मना रहे थे। तभी वहां से भाजपा नगर अध्यक्ष के देहान्त पर उनके परिजनों को सांत्वना देने के लिए भाजपा सांसद डॉ सत्यपाल सिंह भी निकले। उन्हें देखकर किसानों में जोश आ गया। किसानों ने उनकी गाड़ी देखते ही जोर से नारेबाजी शुरू कर दी। वह भी उन्हें देखते हुए निकल गए।