जनवाणी संवाददाता |
बड़ौत: क्षेत्र के शबगा गांव में पर्यावरण की शुद्धि के लिए ग्रामीणों व आर्यसमाज ने शबगा की उपाध्याय चौपाल में अग्निहोत्र यज्ञ किया। इस मौके पर यज्ञ के ब्रह्मा आचार्य धर्मवीर आर्य ने कहा कि यज्ञ प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। सभी को अपने-अपने घरों में प्रतिदिन यज्ञ करना चाहिए। इससे पर्यावरण शुद्ध होगा तो बीमारी से बचने की संभावना रहती है।
बुधवार को हुए यज्ञ में बोलते हुए आचार्य धर्मवीर आर्य ने कहा कि वैदिक काल में ऋषियों ने यज्ञ की महिमा का वर्णन किया है। वहीं हमारे पूर्वजों ने इसे दिनचर्या में अपनाया है। वैज्ञानिकों ने इसे वायु शुद्धि और रोग निवारण का आधार माना है। प्राचीनकाल में महामारी के निवारण के लिए आयुर्वेद में यज्ञों का वर्णन मिलता है।
उन्होंने कहा कि डॉक्टर फुन्दनलाल अग्निहोत्री मध्य प्रदेश में राजकीय टीवी सेनेटोरियम, जबलपुर में मेडिकल आफिसर थे। वहां उन्होंने यज्ञ के द्वारा तपेदिक के रोगियों की चिकित्सा की तथा 80 प्रतिशत रोगियों को इस विधि से पूर्ण लाभ हुआ। इसलिए यज्ञ करने से स्वस्थ्य रहा जा सकता है।
इस मौके पर डा. रवि शास्त्री ने बताया कपूर, गूगल, चन्दन, केसर, लोबान, बालछड़, अगर, तगर, नीम के पत्ते आदि कृमिनाशक हैं। इनका धुंआ अग्नि में जलाने से निकली गन्ध स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है।
इस अवसर पर समाजसेवी आरआरडी उपाध्याय ने गुरु गोरक्षनाथ के जीवन परिचय पर प्रकाश डाला। यज्ञ अवसर पर नकली राम, शिवा आर्य, जगबीर सिंह, जगदीश,अरविंद, धर्मेंद्र आर्य, पवन, अंकित, मोहित, सोनू आदि का सहयोग रहा।