Tuesday, March 19, 2024
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कृषि कॅरियर का साधन भी

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श्रीप्रकाश शर्मा |

प्रख्यात लेखक, वक्ता और संयुक्त राज्य अमेरिका के कई राष्ट्रपतियों के सलाहकार बूकर टी वाशिंगटन ने एक बार कहा था, ‘कोई भी राष्ट्र तब तक उन्नति नहीं कर सकता है जबतक उसे इस बात का ऐहसास नहीं हो कि खेत जोतने में उतना ही सम्मान है जितना कविता लिखने में है।’ भारत जैसे देश में जहां आबादी के दो तिहाई से अधिक लोग गांवों में बसते हों और जिनकी जीविका का मुख्य आधार कृषि हो तो इस संदर्भ में उपर्युक्त कथन की मयार्दा और भी अधिक बढ़ जाती है। सेंट्रल स्टटिस्टिकल आॅर्गनाईजेशन (सीएसओ) के एक लेटेस्ट सर्वे के अनुसार वर्तमान में कृषि सेक्टर का भारत की जीडीपी में शेयर प्राय: 21.8 फीसदी है जबकि इन्डस्ट्रीअल सेक्टर का शेयर 24.2 फीसदी और सर्विसेज सेक्टर का 54 प्रतिशत है। यहाँ पर इस तथ्य का जिक्र करना लाजिमी है कि स्वतंत्रता के समय देश की जीडीपी में सर्वाधिक शेयर कृषि क्षेत्र का होता था जो 50 फीसदी से भी अधिक था। किन्तु सभ्यता के विकास और आर्थिक सुधारों के फलस्वरूप देश का कृषि क्षेत्र भी बड़े परिवर्तनों के दौर से अछूता नहीं रहा है।

देश में 1960 के दशक में शुरू हुई हरित क्रांति के साथ कृषि का जिस तरह से आधुनिकीकरण और मशीनीकरण हुआ है उसके कारण वर्तमान में देश का खाद्यान्न उत्पादन प्राय: 316 मिलियन टन हो गया है और देश खाद्यान्न की जरूरत में आत्मनिर्भर हो गया है। किंतु इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बावजूद अभी भी कृषि क्षेत्र में विशेष रूप से तेलहनों के उत्पादन और ड्राइ फार्मिंग की प्रैक्टिस को प्रोत्साहित करने में इन्नोवेशन और बड़े पैमाने पर गहन अनुसंधान की जरूरत है। आनेवाले दशकों में कृषि क्षेत्र में क्वालिफाईड प्रोफेशनल्स इस प्रकार की क्रांतिकारी सुधार ला सकते हैं और कृषि को देश की जीडीपी में सर्वाधिक शेयर करनेवाले सेक्टर के रूप में पुनर्स्थापित कर सकते हैं।

कृषि का आशय केवल फार्मिंग अर्थात फसलों के उत्पादन से ही नहीं है। यह एक विशाल डोमेन है जिसकी कई शाखाएं हैं। उदाहरण के लिए – हॉर्टिकल्चर (बागवानी), डेयरी, मतस्य (फिशरिज), ऐनिमल हसबैंडरी, सॉइल साइंसेज, एग्रोनमी (कृषि विज्ञान), वानिकी (फॉरिस्ट्री), एक्वाफार्मिंग, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, सीड साइंस, फ्लॉरिकल्चर (फूलों की खेती), एग्रीकल्चरल ईकनॉमिक्स इत्यादि को कृषि में शामिल किया जाता है।

एग्रीकल्चर में प्रोफेशनल डिग्री होल्डर्स सेल्स, एडमिस्ट्रिेशन, इंजीनियरिंग और रिसर्च डोमेन में अपने प्रामिजिंग कॅरियर की शुरुआत कर सकते हैं और विभिन्न प्रकार के लूकरेटिव जॉब्स के अवसर पा सकते हैं। इस डोमेन में कार्य कर रहे प्रोफेशनल्स की मुख्य जिम्मेदारियां कृषि उत्पादों के बेहतर उत्पादन की योजना बनाने से लेकर उनकी मार्केटिंग और विभिन्न उत्पादों के हाई यील्डिंग वैराइटी के सीड्स से संबंधित रिसर्च से जुड़ी होती हैं।

शुरुआत कहां से करें

कृषि के डोमेन में कॅरियर का प्रारंभ बारहवीं क्लास पास करने के बाद से हो किया जा सकता है। सामान्य रूप से वैसे उम्मीदवार जो साइंस या एग्रीकल्चर विषय के साथ बारहवीं पास करते हैं वे बैचलर इन एग्रीकल्चर कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में विभिन्न डोमेंस में निम्नांकित स्नातक कोर्स भी किया जा सकता है –

  • बीएससी इन एग्रीकल्चर
  • बीएससी इन फॉरिस्ट्री
  • बीएससी इन ऐनिमल हसबेन्डरी
  • बीएससी इन जेनेटिक प्लांट ब्रीडिंग
  • बीएससी इन सॉइल एंड वाटर मैनेजमेंट
  • बीएससी इन एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग

उपर्युक्त अन्डग्रैर्जूइट कोर्स करने के बाद इन सभी डोमेंस में मास्टर डिग्री (पोस्टग्रैजवैशन) और पीएचडी किया जा सकता है जिससे रिसर्च रिलेटेड जॉब्स के बहुत सारे रास्ते आसान होते जाते हैं।

स्टडी के लिए प्रमुख एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी

देश में कृषि के डोमेन में ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी की स्टडी के लिए प्रसिद्ध संस्थान निम्नांकित हैं –

  • गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी आॅफ एग्रीकल्चर एण्ड टेक्नॉलजी, पंतनगर, उत्तराखंड
  • यूनिवर्सिटी आॅफ एग्रीकल्चरल साइंसेज, धारवाड़, कर्नाटक
  • तमिलनाडु एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, कोयम्बटूर
  • उड़ीसा यूनिवर्सिटी आॅफ एग्रीकल्चर एण्ड टेक्नॉलजी, भूबनेश्वर
  • चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, हिसार
  • राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर
  • पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना
  • चंद्रशेखर आजाद यूनिवर्सिटी आॅफ एग्रीकल्चर एण्ड टेक्नॉलजी, कानपुर
  • जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर
  • नरेंद्र देव यूनिवर्सिटी आॅफ एग्रीकल्चर एण्ड टेक्नॉलजी, फैजाबाद
  • राजेन्द्र एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा, समस्तीपुर
  • बिहार एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, सबौर, भागलपुर
  • आईसीएआर- नैशनल डेयरी रिसर्च इंस्टिट्यूट, करनाल
  • आईसीएआर- इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली
  • आईसीएआर- इंडियन वेटरेनरी रिसर्च इंस्टिट्यूट, इज्जतनगर
  • आईसीएआर सेंट्रल इंस्टिट्यूट आॅफ फिशेरीज एजुकेशन, मुंबई

कॅरियर के अवसर कहां हैं

धरती पर सभ्यता के विकास के समय से ही कृषि को केवल फसल उत्पादन के रूप में देखा जाता रहा है। किंतु टेक्नोलॉजी और रिसर्च के फास्ट डेवलपमेंट के कारण अब कृषि का दायरा काफी बढ़ चुका है। इसके फलस्वरूप कृषि क्षेत्र में सामान्य और हाईली क्वालिफाईड प्रोफेशनल्स के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित कॅरियर और लाभप्रद जॉब्स के अवसर बड़े पैमाने पर उपलब्ध हैं।

रिसर्च में अवसर

कृषि मूल रूप से रिसर्च का डोमेन है। कृषि में बम्पर उत्पादन के लिए लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और इन्नोवेटिव प्रैक्टिस के बारे में ज्ञान अनिवार्य है। इसके लिए कृषि के विभिन्न क्षेत्रों में गहन रिसर्च की आवश्यकता होती है। कृषि क्षेत्र में रिसर्च को प्रोत्साहित करने के लिए देश में शीर्ष संस्था इंडियन कौंसिल फॉर एग्रीकल्चरल रिसर्च (आईसीएआर) है जिसकी स्थापना 16 जुलाई 1929 को एक आॅटोनोमस बॉडी के रूप में की गई थी। आईसीएआर के अंतर्गत विभिन्न मुख्य फसलों के लगभग 100 रिसर्च इंस्टिट्यूट्स हैं जिसमें कुछ प्रमुख निम्नांकित हैं-

  • सेंट्रल इंस्टिट्यूट आॅफ वेजिटेबल रिसर्च, रांची
  • सेंट्रल पटैटो रिसर्च इंस्टिट्यूट, शिमला
  • सेंट्रल इंस्टिट्यूट आॅफ कॉटन रिसर्च, नागपूर
  • सेंट्रल रिसर्च इंस्टिट्यूट आॅफ ड्राइलेंड एग्रीकल्चर, हैदराबाद
  • इंडियन इंस्टिट्यूट आॅफ शुगरकैन रिसर्च, लखनऊ
  • इंडियन इंस्टिट्यूट आॅफ वाटर मैनेजमेंट, भुवनेश्वर
  • नैशनल रिसर्च सेंटर फॉर ग्रेप्स, पुणे
  • इंडियन इंस्टिट्यूट आॅफ मेज (मक्का) रिसर्च, नई दिल्ली

एग्रीकल्चर में प्रोफेशनल डिग्री होल्डर्स के लिए इन सभी रिसर्च इंस्टिट्यूट्स में रिसर्च के ढेर सारे अवसर उपलब्ध हैं जिसके पश्चात वे अपने लिए शानदार कॅरियर का आगाज कर सकते हैं।

बैंकिंग सेक्टर में अवसर

सरकारी नीति के तहत पब्लिक सेक्टर बैंक कृषि और इससे जुड़े अन्य ऐक्टिविटीज के लिए वित्त की व्यवस्था करती है। इतना ही नहीं सरकार की कई कल्याणकारी कार्यक्रम भी बैंकों के माध्यम से ही संचालित होती हैं। इन सभी कार्यक्रमों को एक्जीक्यूट करने के लिए बैंक पर्सनेल की नियुक्ति की जाती है। कृषि में विभिन्न डोमेंस में स्नातक अर्थात इ.रू, इ.श्.रू इत्यादि उम्मीदवार इस क्षेत्र में अपने कॅरियर का निर्माण कर सकते हैं। नाबार्ड सहित ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित पब्लिक सेक्टर के बैंकों में भी विभिन्न पदों के लिए कृषि स्नातकों के लिए जॉब्स उपलब्ध होते हैं।

आॅल इंडिया सर्विसेज

कृषि स्नातकों के लिए आॅल इंडिया लेवल के सर्विसेज में भी कॅरियर निर्माण की सुनहरे अवसर उपलब्ध हैं। सिविल सर्विसेज अर्थात आईएएस की परीक्षा भी कृषि स्नातक के लिए खुली होती है। यूपीएससी के द्वारा आयोजित आईएफएस (इंडियन फॉरेस्ट सर्विस) की परीक्षाएं कृषि गे्रजुएट्स के लिए कॅरियर निर्माण का शीर्ष अवसर प्रदान करता है।

माइक्रो फाइनेंस इंस्टिट्यूटस

माइक्रो फाइनेंस का अर्थ आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को लोन देकर उनको उत्पादन प्रक्रिया में शामिल करना होता है। इसका उद्देश्य निर्धन परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करके उनको सेल्फ एम्प्लॉइमेन्ट के लिए प्रोत्साहित करना होता है। इस उद्देश्य से कई माइक्रो फाइनेंस कम्पनियां, जिनमें गैर-सरकारी संस्थाएं और कमर्शियल बैंक्स शामिल होती हैं, एक लाख रुपये तक का ऋण प्रदान करती है। ये कंपनियां कृषि स्नातकों को माइक्रो फाइनेंसिंग के इन उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए जॉब्स आॅफर करती हैं।

टीचिंग के डोमेन में कॅरियर

कृषि में कॅरियर बनाने के उत्सुक उम्मीदवार एग्रीकल्चर के क्षेत्र में विभिन्न विषयों में शिक्षा देने के लिए एग्रीकल्चर इंस्टिट्यूट्स में टीचिंग फैकल्टी के रूप में भी कॅरियर की शुरुआत कर सकते हैं। कृषि कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर में रीक्रूट्मेंट के लिए न्यूनतम योग्यता एग्रीकल्चर संकाय में मास्टर डिग्री और यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की नेट परीक्षा में क्वालफाई करना होता है। इसके अतिरिक्त कृषि स्नातकों और पीएचडी के साथ मास्टर डिग्री होल्डर्स के लिए फूड एण्ड एग्रीकल्चरल आॅर्गनाइजेशन (एफएओ), फूड सिक्योरिटी, सार्क एग्रीकल्चर सेंटर, एनवायरनमेंट कनजर्वेशन, बायोडाइवर्सिटी इत्यादि विभिन्न क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं।

वैज्ञानिक के रूप में कॅरियर

मूल रूप से एग्रीकल्चर साइंस का एक डोमेन है और इस लिहाज से कृषि में क्वालिफाइड प्रोफेशनल्स सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के इंस्टिट्यूट्स में कृषि वैज्ञानिक के रूप में अपने कॅरियर की शुरुआत कर सकते हैं। सरकार के द्वारा स्थापति लैबोेटरीज और इंस्टिट्यूट्स में एग्रीकल्चर डोमेन के हाईली क्वालिफाइड प्रोफेशनल्स जो पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री के साथ पीएचडी किए हुए हैं और रिसर्च का अनुभव रखते हैं, वे एग्रीकल्चर साइंटिस्ट के रूप में कॅरियर का सलेक्शन कर सकते हैं। इस उद्देश्य से सरकार के द्वारा एग्रीकल्चर सांइटिस्ट रिक्रूट्मेंट बोर्ड (एएसआरबी) की 1973 मे स्थापना की गई थी। एएसआरबी एग्रीकल्चरल रिसर्च सर्विसेज (एआरएस) के अंतर्गत आॅल इंडिया लेवल के लिए कॉम्पिटिटिव एग्जामिनेश के द्वारा एंट्री लेवल सांइटिस्ट और अन्य पोस्ट्स के लिए रीक्रूट्मेंट करती है।

बिजनेस एंड मार्केटिंग

एग्रीकल्चर में प्रोफेशनल डिग्री के रास्ते से बिजनेस में एंट्री भी काफी आसान हो जाती है। एग्रीकल्चर के डोमेन में प्रोफेशनल्स खुद का बिजनेस स्टार्ट कर सकते हैं। एग्रीकल्चर और रुरल मार्केटिंग में स्पेशलाइजेशन करने के बाद इस सेक्टर में बिजनेस स्टार्ट करने के लिए कई अवसरों के द्वार खुल जाते हैं। देश में प्रमुख मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट्स एग्री बिजनस मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स कराती है, जिससे बिजनेस में कॅरियर बनाया जा सकता है।

फार्मिंग में कॅरियर

तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था के बावजूद भारत जैसे देश में अभी भी 60 फीसदी से भी अधिक जनसंख्या अपनी जीविका के लिए कृषि पर आश्रित है। इस लिहाज से कृषि कार्य को एक प्रोफेशन के रूप में अपनाया जा सकता है। कृषि में प्रोफेशनल डिग्री के साथ खुद के फार्म या लीज पर लिए हुए खेतों पर विभिन्न प्रकार के फसलों और अन्य कृषि उत्पादों को बेहतर और व्यावसायिक तौर पर उत्पादित करने का पेशा काफी लाभप्रद साबित हो सकता है। बड़े फार्म हाउस वाली कंपनियों और व्यक्तियों को फार्म मैनेजर की जरूरत होती है और इस क्षेत्र में भी एग्रीकल्चरल प्रोफेशनल्स अपने कॅरियर की शुरुआत कर सकते हैं।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है और गांवों का कृषि से गहरा संबंध रहा है। गांव संपूर्ण देश के लिए अन्नदाता हैं। खाद्यान्न मानव के मन और शरीर दोनों के पोषक होते हैं। इस लिहाज से इस धरती पर मानव जीवन के अस्तित्व तक कृषि में प्रोफेशनल्स के लिए रोजगार के अवसरों का भविष्य अपार संभावनाओं से भरा हुआ है।


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